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अगर लंबे समय से है पेट दर्द, अल्ट्रासाउंड-सीटी स्कैन में पकड़ में नहीं आ रही बीमारी तो कराएं यह जांच - diagnostic laparoscopy test

यदि आपको लंबे समय से पेट दर्द की समस्या है और सीटी स्कैन और अल्ट्रासाउंड में भी कोई कारण नजर नहीं आ रहा है तो आपको "डायग्नोस्टिक लेप्रोस्कोपी" जांच करानी चाहिए.

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पेट की बिमारी की डायग्नोस्टिक लेप्रोस्कोपी से कराए जांच (photo credit- Etv Bharat)

By ETV Bharat Uttar Pradesh Team

Published : Aug 23, 2024, 10:04 AM IST

सर्जरी विभाग के एसोसिएट प्रोफेसर डॉक्टर अभिषेक जीना ने दी जानकारी (video credit- etv bharat)

गोरखपुर: अगर आपको लंबे समय से पेट दर्द हो रहा है. दवा से आराम नहीं मिल रहा है, सीटी स्कैन और अल्ट्रासाउंड में भी कोई कारण नजर नहीं आ रहा तो आपको "डायग्नोस्टिक लेप्रोस्कोपी" जांच करानी चाहिए. इससे आपकी बीमारी पकड़ में आ जाती है. इसके बाद बीमारी का समुचित इलाज होना आसाना हो जाएगा. यह सुझाव है गोरखपुर बीआरडी मेडिकल कॉलेज सर्जरी विभाग के एसोसिएट प्रोफेसर डॉक्टर अभिषेक जीना का है.

डॉक्टर अभिषेक जीना ने बताया कि सर्जरी में अध्ययन व शोध के दौरान उन्होंने पाया कि कई ऐसे पेशेंट थे जो 3 से 7 साल से पेट दर्द को लेकर परेशान थे. अल्ट्रासाउंड और सीटी स्कैन में उनकी समस्याएं पकड़ में नहीं आ रही थीं, लेकिन, जब उन्होंने डायग्नोस्टिक लेप्रोस्कोपी जांच कराई तो उनकी समस्या उभर कर सामने आ गई.

उन्होंने बताया, कि इसके बाद सर्जरी और दवाओं के प्रयोग से काफी पुराने दर्द को झेल रहे मरीजों को राहत मिली है. ईटीवी भारत से बातचीत में डॉक्टर अभिषेक जीना ने बताया कि 7 लोग ऐसे मिले जिनके पेट में कैंसर और 9 लोगों में अपेंडिक्स की सूजन मिली. किसी को टीबी थी तो किसी का लीवर खराब था. महिलाओं के अंडाशय में गांठ थी तो अंडाशय से बच्चेदानी आपस में चिपकने से दर्द हो रहा था.

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डॉक्टर अभिषेक ने बताया कि कैंसर रोगियों को छोड़कर उपचार से अन्य सभी की बीमारी ठीक हो गई है. बीआरडी मेडिकल कॉलेज में करीब 450 रोगी अब तक सर्जरी विभाग में इस तरह के मामले पहुंच चुके हैं. एक साल के भीतर ऐसे लोगों को इलाज मिल रहा है जो वर्षों पुराने पेट दर्द को झेल रहे थे. दवा खा रहे थे. सीटी स्कैन और अल्ट्रासाउंड की जांच रिपोर्ट से उनके दर्द का कारण सामने नहीं आ रहा था. 450 रोगी सर्जरी डिपार्टमेंट के संपर्क में आए, उनमें से इस जांच के लिए 51 रोगी तैयार हुए थे जो पेट की बीमारी 3 से 7 साल झेल रहे थे. इन रोगियों में पुरुषों की संख्या 23, महिलाओं की संख्या 28 थी. इनमें खास बात यह थी, कि उनकी उम्र 31 से 40 वर्ष के बीच की थी.

क्या है डायग्नोस्टिक लेप्रोस्कोपी:डॉक्टर अभिषेक ने बताया कि डायग्नोस्टिक लेप्रोस्कोपी वह विधि है, उसकी जांच में पेट में नाभि या उसके आसपास, 5 मिलीमीटर का छेदकर दूरबीन डालकर पेट के अंदर की स्थिति को देखा जाता है. अपेंडिक्स और गांठ का तत्काल ऑपरेशन कर दिया जाता है. कैंसर और टीबी की जांच के लिए नमूना निकालकर जांच के लिए भेजा जाता है. उन्होंने बताया, कि जांच के बाद पता चला कि नौ रोगियों में क्रॉनिक अपेंडिक्स, आठ लोगों के पेट में टीबी और चार लोगों के गॉल ब्लाडर में कैंसर, और तीन लोगों के पेट में मेटास्टैटिक डिजीज फैला हुआ कैंसर है.

तीन में लिवर सिरोसिस, 3 महिलाओं में बच्चेदानी और अंडाशय का आपस में चिपकना, दो महिलाओं के अंडाशय में गांठ पाई गई है. इसके साथ ही अन्य रोगियों की बड़ी आंत में घाव, छोटी आंत की झिल्ली का चिपकने जैसे कारण पाए गए हैं. महिलाओं को स्त्री और प्रसूति रोग विभाग में जहां रेफर किया गया, वहीं कैंसर के रोगियों को छोड़कर सभी की बीमारी सर्जरी डिपार्टमेंट के उपचार के बाद ठीक हो गई. उन्होंने बताया, कि इस अध्ययन को सऊदी अरब के "इंटरनेशनल जनरल ऑफ मेडिकल एंड बायो मेडिकल स्टडीज" ने प्रकाशित किया है, जो निश्चित रूप से पेट के रोग से और दर्द से बरसों से पीड़ित लोगों के इलाज में काफी मददगार साबित होने वाला है और हो भी रहा है.


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