जयपुर. प्रदेश में मानसून के दस्तक के साथ ही पौधारोपण कार्यक्रमों की शुरूआत हो गई है. कई विभाग अपने स्तर पर पर्यावरण संरक्षण को लेकर मानसून में पौधे लगा रहे हैं. प्रदेश में जल संरक्षण और हरियाली क्षेत्र को बढ़ाने के लिए शुक्रवार को जलदाय विभाग की ओर से पौधारोपण कार्यक्रम की शुरूआत हुई. राज्य सरकार ने प्रदेश में 7 करोड़ पौधे लगाने का लक्ष्य रखा है. कन्हैयालाल ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के "एक पेड़ मां के नाम अभियान" को सफल बनाने का आह्वान करते हुए कहा कि हम पौधे लगाएं और उसे बचाने की जिम्मेदारी भी लें.
चौधरी ने कहा कि प्रदेश में भूजल स्तर लगातार घटता जा रहा है. भूजल के अधिक दोहन और संग्रहण की कमी के चलते स्थिति बिगड़ रही है. इसके लिए सभी को जागरुक होना पड़ेगा और वेस्ट वाटर को रिसाइकिल कर उपयोग में लेना होगा. पानी को सहेज कर ही हम अगली पीढ़ी को पानी उपलब्ध करवा पाएंगे. उन्होंने कहा कि राज्य सरकार ग्राउंड वाटर रेगुलेशन एक्ट लाने की तैयारी में है. जलदाय विभाग के शासन सचिव डॉ समित शर्मा ने कहा कि पेड़ वर्षा को आकर्षित करते हैं. प्रदेश में गिरते भूजल स्तर को बढ़ाने के लिए बारिश के पानी को वापस संग्रह करने की जरूरत है.
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वेस्ट वाटर ट्रीटमेंट प्लांट का शिलान्यास :राजस्थान में गिरते भूजल स्तर, पेयजल गुणवत्ता, जल सुरक्षा, जल संरक्षण, वर्षा जल संचयन और वृक्षारोपण कार्यों की राज्यस्तरीय कार्य-योजना तैयार करने के लिए शुक्रवार को जल भवन में सेमिनार का भी आयोजन हुआ. सेमिनार में जलदाय मंत्री कन्हैयालाल चौधरी ने भी शिरकत की. कार्यशाला में मंत्री कन्हैयालाल चौधरी ने कहा कि राज्य सरकार हर घर जल पहुंचाने और किसानों को कृषि के लिए पानी उपलब्ध कराने के लिए प्रयास कर रही है. इसके लिए सभी को मिलकर पानी का मितव्ययता से उपयोग करने के साथ ही भूजल स्तर को बढ़ाना होगा. रेन वॉटर हार्वेस्टिंग के जरिए बारिश के पानी को सहेजना होगा, जिससे पानी की कमी को दूर किया जा सके. उन्होंने कहा कि राजस्थान में करीब 71 प्रतिशत ब्लॉक डार्क जोन में चले गए हैं. जलदाय मंत्री ने नीर निधि निर्माण के तहत वेस्ट वाटर ट्रीटमेंट प्लांट का शिलान्यास किया.
शासन सचिव डॉ समित शर्मा ने प्रदेश में गिरते भूजल स्तर का उदाहरण देते हुए बताया कि यदि भूमि में 100 लीटर पानी जाता है तो 148 लीटर का दोहन किया जा रहा है. उन्होंने कहा कि इसके लिए बड़े पार्कों, होटल, मैरिज गार्डन, हॉस्पिटल और भवनों को राजस्थान सरकार की टाउनशिप पॉलिसी के तहत वर्षा जल संग्रहण और वेस्ट वाटर ट्रीटमेंट के नियमों का पालन करना चाहिए, जिससे 50 प्रतिशत से अधिक पानी का पुनः उपयोग किया जा सके. सेमिनार में राजस्थान में जल के क्षेत्र में उत्कृष्ट कार्य करने वाली स्वयंसेवी संस्थाओं के करीब 70 से अधिक प्रतिनिधियों में भी भाग लिया. सेमिनार में मुख्य वक्ता के रूप में पद्मश्री लक्ष्मण सिंह लापोड़िया, पद्मश्री हिमताराम नागौर एवं अन्य विषय विशेषज्ञों ने अपने विचार व्यक्त किए.