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2009-2014 विधानसभा चुनाव की दास्तान, जिसे याद कर झामुमो-कांग्रेस खुद को बता रहे बेहतर - Jharkhand assembly election

Jharkhand Politics. झारखंड विधानसभा चुनाव से पहले ही कांग्रेस और जेएमएम के बीच तकरार देखने को मिल रहा है. कांग्रेस की तरफ से रोटेशनल सीएम की बात कही गई है तो जेएमएम ने वास्तविकता को याद रखने की बात कही है.

By ETV Bharat Jharkhand Team

Published : 5 hours ago

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Updated : 5 hours ago

JHARKHAND ASSEMBLY ELECTION
सुप्रियो भट्टाचार्य, जगदीश साहू और मनोज पांडे की कोलाज तस्वी (ईटीवी भारत)

रांची: विधानसभा चुनाव से पहले झारखंड में इंडिया गठबंधन के मुख्य दल कांग्रेस और झारखंड मुक्ति मोर्चा के बीच खटास बढ़ने के संदेश मिलने लगे हैं. कांग्रेस के प्रदेश प्रभारी गुलाम अहमद मीर द्वारा रोटेशनल सीएम वाले मुद्दे पर दिए एक बयान ने खटास बढ़ाई है. दोनों दलों के बीच बयानबाजी भी शुरू हो चुकी है. झारखंड मुक्ति मोर्चा के केंद्रीय महासचिव सुप्रियो भट्टाचार्य ने कांग्रेस को 2014 और 2009 विधानसभा चुनाव के नतीजे की दिलाई. कांग्रेस ने संयमित भाषा इस्तेमाल करने की सलाह दी है.

मंगलवार को झारखंड मुक्ति मोर्चा के केंद्रीय महासचिव सुप्रियो भट्टाचार्य ने बयान देते हुए कांग्रेस को 2014 और 2009 के विधानसभा चुनाव परिणाम याद करने को कहा था. जवाब में आज कांग्रेस के प्रदेश प्रवक्ता जगदीश साहू ने सुप्रियो भट्टाचार्य को संयमित भाषा के इस्तेमाल की सलाह दी. उन्होंने कहा कि 2014 में यही हुआ था कि हेमंत सोरेन मुख्यमंत्री नहीं बन पाये थे और 2009 विधानसभा चुनाव में झाविमो के साथ मिलकर पार्टी ने चुनाव लड़ा था और कांग्रेस को 14 सीटें मिली थी.

झामुमो और कांग्रेस में आरोप-प्रत्यारोप (ETV Bharat)
हमारे सहयोग से 2019 में कांग्रेस को मिली थी आशातीत सफलताः झामुमो

केंद्रीय महासचिव सुप्रियो भट्टाचार्य के अकेले 81 विधानसभा सीट पर चुनाव लड़ने और 55 सीट अकेले जीतने वाले बयान का जेएमएम ने समर्थन किया है. पार्टी के प्रवक्ता मनोज पांडेय ने कहा कि जो वास्तविकता है वह सभी को याद रहना ही चाहिए. 2009 और 2014 में कांग्रेस का गठबंधन झामुमो के साथ नहीं हुआ था तब उनकी कितनी सीटें आयी थी यह सार्वजनिक है. झामुमो नेता ने कहा कि बिना हमारे सहयोग के पुअर प्रदर्शन होता है कांग्रेस का. मनोज पांडेय ने कहा यह सच्चाई है कि झामुमो के साथ गठबंधन का फायदा ज्यादा कांग्रेस को होता.

क्या हुआ था 2009 और 2014 में

वर्ष 2009 और 2014 में हुए झारखंड विधानसभा चुनाव के नतीजे बताते हैं कि राज्य की राजनीति में कांग्रेस और झारखंड मुक्ति मोर्चा दोनों को गठबंधन नहीं होने का नुकसान हुआ था. 2009 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने बाबूलाल मरांडी की पार्टी झारखंड विकास मोर्चा के साथ मिलकर चुनाव लड़ा था, तब कांग्रेस ने 14 और झाविमो ने 11 विधानसभा सीटें जीती थी. उस चुनाव में बहुमत किसी को नहीं मिला था.

2014 विधानसभा चुनाव से पहले राज्य में हेमंत सोरेन के नेतृत्व में गठबंधन की सरकार चल रही थी लेकिन चुनाव से ठीक पहले कांग्रेस के कुछ बड़े नेताओं जैसे आलमगीर आलम, प्रदीप बलमुचू और इरफान अंसारी के लिए क्रमश पाकुड़, घाटशिला और जामताड़ा सीट को लेकर सहमति नहीं बनीं थी और गठबंधन टूट गया था. इस चुनाव में कांग्रेस की सीट 14 से घटकर 8 हो गयी थी और झामुमो 19 सीटे जीत पाया था. तब राज्य में सत्ता हेमंत सोरेन के हाथों से खिसक कर भाजपा के हाथ चली गयी थी और रघुवर दास मुख्यमंत्री बने थे.

महागठबंधन नहीं, ठगबंधन....अभी से ही कुर्सी की लड़ाई शुरूः भाजपा

झामुमो और कांग्रेस के नेताओं के बीच आपस में ही चल रहे बयानों के बाण पर तंज कसते हुए बीजेपी के प्रदेश प्रवक्ता ने कहा कि भाजपा शुरू से कहती रही है कि ये ठगबंधन हैं और झारखंड को लूटने के लिए बना एक सिंडिकेट है. भाजपा प्रवक्ता ने कहा कि ये लोग अभी से ही कुर्सी के लिए लड़ने लगे हैं.

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