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By ETV Bharat Chhattisgarh Team

Published : Sep 26, 2024, 1:46 PM IST

Updated : Sep 26, 2024, 2:25 PM IST

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टाइगर रिजर्व में गिद्ध रेस्टोरेंट, मनपसंद खाना मिलने से वलचर की संख्या हुई 4 गुना - Vulture Restaurant

Vulture restaurant in Indravati Tiger Reserve बस्तर के इंद्रावती टाइगर रिजर्व में गिद्ध रेस्टोरेंट से गिद्धों के लिए उनकी मनपसंद का खाना भरपूर मात्रा में रखने की तैयारी चल रही है. इस गिद्ध रेस्टोरेंट में ना सिर्फ खाना मिलेगा बल्कि गिद्धों को सुरक्षित आवास भी मिलेगा.

Vulture restaurant
गिद्ध रेस्टोरेंट (ETV Bharat Chhattisgarh)

बस्तर:बीजापुर में पिछले 4 साल से गिद्ध परियोजना चलाई जा रही है. बस्तर रेंज के सीसीएफ आरसी दुग्गा ने बताया किइस परियोजना के जरिए गिद्धों के संरक्षण और संवर्धन की कोशिश की जा रही है. इसी परियोजना के अंतर्गत गिद्ध रेस्टोरेंट शुरू किया जा रहा है.

गिद्ध रेस्टोरेंट क्या है:आरसी दुग्गा ने बताया कि इंद्रावती टाइगर रिजर्व के गिद्ध कोर क्षेत्र के आसपास रहने वाले गांव वालों को इस बात की समझाइश दी जा रही है कि उनके मवेशियों को मरने के बाद यहां वहां ना फेंककर निर्धारित स्थल में रखें, जिससे आसपास के गिद्ध वहां पहुंचेंगे और उन्हें भोजन मिलेगा. दुग्गा बताते हैं कि गिद्ध रेस्टोरेंट रोमांचक शब्द है, इसी नाम से इसे प्रचलित किया जा रहा है. यह लोगों को भी काफी पसंद आ रहा है.

मद्देड़ एरिया में गिद्ध रेस्टोरेंट: आरसी दुग्गा ने बताया कि ''गिद्ध रेस्टोरेंट की योजना पिछले डेढ़ साल से चल रही है. इसके लिए स्थल को चयनित किया गया. गिद्धों का रहवास मद्देड़ एरिया में ज्यादा है. जो मवेशी मरते हैं, उन्हें चयनित जगह पर दिया जा रहा है. इस योजना से गिद्धों को काफी मात्रा में पोषण मिल रहा है. जिससे गिद्धों की संख्या में तेजी आई है. इसकी मॉनिटरिंग भी की जा रही है.''

गिद्ध रेस्टोरेंट (ETV Bharat Chhattisgarh)

गिद्धों की संख्या में हुआ इजाफा:बस्तर रेंज के सीसीएफ आरसी दुग्गा का कहना है कि पिछले तीन साल में इंद्रावती टाइगर प्रोजेक्ट में गिद्धों की संख्या में काफी वृद्धि हुई है. साल 2021 में रिजर्व में 55 गिद्धों की गणना की गई थी. जो अब बढ़कर 200 से ज्यादा हो गई है. इस वृद्धि को और बढ़ावा देने के लिए जियो टैगिंग का इस्तेमाल किया जाएगा. जिससे गिद्धों की वास्तविक संख्या का पता लगाया जा सकेगा.

गिद्धों की तीन प्रजातियां: ग्रामीण क्षेत्रों में पशु चिकित्सा विभाग और 'गिद्ध मित्र' की सहायता से मवेशियों का इलाज अब एलोपैथिक दवाओं के बजाय जड़ी-बूटियों से किया जा रहा है. ताकि मृत पशुओं के शरीर में जहरीले तत्व न रहे और गिद्धों को सुरक्षित भोजन मिल सके. इस प्रयास से इंद्रावती क्षेत्र में गिद्धों की तीन प्रजातियां– इंडियन गिद्ध, व्हाइट-रंप्ड गिद्ध, और अब ग्रिफॉन गिद्ध भी देखे जाने लगे हैं.

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Last Updated : Sep 26, 2024, 2:25 PM IST

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