प्रयागराज :महाकुंभ के भव्य और दिव्य आयोजन की हर तरफ चर्चा है. देश-विदेश के संतों की मौजूदगी इसे और खास बना रही है. इन सबके बीच विवादित स्थलों पर संघ प्रमुख मोहन भागवत के बयान से मची खलबली के बाद विश्व हिंदू परिषद ने अपना पक्ष स्पष्ट कर दिया है. विहिप के केंद्रीय संगठन मंत्री मिलिंद परांडे ने ईटीवी भारत से खास बातचीत में कहा कि 1984 के धर्म संसद में पास हुए प्रस्ताव के मद्देनजर काशी, मथुरा और अयोध्या का एजेंडा सबसे ऊपर है. बाकी जगहों पर क्या हो रहा है. यह जांच का विषय है. संघ प्रमुख, संत और विश्व हिंदू परिषद इन स्थानों को लेकर अडिग है. इस पर भी चर्चा होनी चाहिए.
ईटीवी भारत से मिलिंद परांडे ने की बातचीत. (Video Credit; ETV Bharat) विश्व हिंदू परिषद के केंद्रीय संगठन मंत्री मिलिंद परांडे ने महाकुंभ पर कहा कि मुझे लगता है कि यह मानवता का सबसे बड़ा एकत्रीकरण है. पूरे विश्व के हिंदू समाज के लिए यह प्राचीन परंपरा है. इसमें बिना बुलाए श्रद्धा से लाखों श्रद्धालु और संत मां गंगा का दर्शन और स्नान करने के लिए आते हैं. श्रद्धालु पूज्य संतों का मार्गदर्शन लेने के लिए आते हैं. यह हमारे लिए बहुत महत्व का विषय है, यह आश्चर्य नहीं है.
महाकुंभ हिंदू समाज के लिए आनंद का विषय :केंद्रीय संगठन मंत्री ने कहा कि साल 2019 के बाद से यहां की व्यवस्थाएं तो बहुत अधिक अच्छी हो गईं हैं. इसलिए आकर्षण भी बढ़ गया है. यह व्यवस्थित तरीके से चल रहा है. यह हिंदू समाज के लिए बहुत ही आनंद का विषय है. उन्होंने कहा कि महाकुंभ पर राजनीति हो रही है या नहीं यह तो मैं नहीं कह सकता, मुझे यह नहीं पता किसको आमंत्रण दिया गया है. मेरा मानना है कुंभ में लोग बिना बुलाए आते हैं.
स्वयं को हिंदू मानने वालों को नहीं करनी चाहिए राजनीति :मिलिंद परांडे ने कहा कि पूज्य संत और शिष्य संबंध संप्रदाय से संबंधित कथाएं अलग-अलग प्रकार के कार्यक्रम कर रहे हैं, यदि जिन लोगों को अनेक जगह एक ही वक्त पर जाना है तो उनके लिए समय और कार्यक्रम का नियोजन करना पड़ेगा. इसमें सभी लोग आ सकते हैं, यह सभी का पर्व है. सभी को आना चाहिए मुझे नहीं लगता है कि राजनीतिक दृष्टि से यह सही है, क्योंकि जो स्वयं को हिंदू मानता है और आस्था में विश्वास रखता है और इस मार्ग पर चलना चाहता है, उसको इस पर ही विचार करना चाहिए, राजनीति नहीं करनी चाहिए.
आचरण से भी हिंदू बनने की जरूरत :अखिलेश यादव के महाकुंभ में आमंत्रण को लेकर विरोध और अपने आप को सनातनी दिखाने के लिए गंगा स्नान की तस्वीर वायरल करने पर कहा कि हिंदू दिखाने की होड़ लग रही है. इसी में कल्याण है, अब दिखाने की नहीं, आचरण की भी होड़ लगनी चाहिए. मैं कितना अच्छा हिंदू बन सकता हूं इस पर चर्चा होनी चाहिए. उन्होंने कहा कि इस देश का इतिहास है, हिंदू संस्कृति है और हिंदू हित ही इस देश का हित है.
धर्म संसद में हुआ था ये निर्णय :वहीं संघ प्रमुख मोहन भागवत की तरफ से विवादित स्थलों पर दिए गए बयान पर मिलिंद परांडे ने कहा कि 1984 में जो धर्म संसद हुई थी, वह विश्व हिंदू परिषद के द्वारा आयोजित की गई थी. उसमें पूज्य संत मौजूद थे, पहली बार सामूहिक संकल्प प्रकट हुआ था. इसमें संतों ने स्पष्ट रूप से यह निर्णय लिया था कि श्री राम जन्मभूमि, काशी विश्वनाथ और साथ में कृष्ण जन्मभूमि इन तीनों ही स्थानों के बारे में हिंदू संकल्पित हैं. हिंदू समाज भी संकल्पित है, संत समाज, विश्व हिंदू परिषद और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ भी उसके लिए संकल्पित हैं.
तीनों स्थानों को लेकर संकल्प दृढ़ :केंद्रीय संगठन मंत्री ने कहा कि सर संघ चालक भी इस बारे में अपनी बातें रख चुके हैं. इसके बारे में किसी के मन में संदेह नहीं होना चाहिए. उस समय भी संकल्प दृढ़ था, आज भी संकल्प दृढ़ है. भविष्य में भी रहेगा. हिंदू समाज का जो संकल्प राम जन्मभूमि का था, वह पूर्णता की तरफ बढ़ रहा है. अगले वर्ष तक मंदिर का निर्माण पूरा हो जाएगा और काशी विश्वनाथ और कृष्ण जन्म स्थान के बारे में भी हिंदू समाज का जो संकल्प है, उसके बारे में विश्व हिंदू परिषद और संघ प्रमुख पहले ही बार-बार कह चुके हैं. इस पर चिंता नहीं करना है.
संभल में पहले भी हो चुका हैं दंगा :केंद्रीय संगठन मंत्री ने कहा कि संभल का जो विषय है, वह प्राचीन विषय है. हमारे शास्त्रों में उसका उल्लेख है इसलिए वहां पर कल्कि भगवान का अवतार भी होना है. यह शास्त्रों में वर्णित है. इसलिए समाज के लिए यह विषय भी बहुत सोचने वाला है. दशकों पहले वहां बहुत बड़ा दंगा भी हुआ था. इसमें बहुत लोगों की मृत्यु भी हुई थी. यह प्रश्न आज का नया नहीं है. 1984 में जो बातचीत हुई थी, वह बातचीत यही थी कि जो हमारे तीन बड़े स्थान हैं, वह यदि मिल जाते हैं तो कोई समस्या नहीं उभरेगी. उस बात को भी बहुत वक्त बीत चुके हैं. 41 वर्ष हो चुके हैं, वह भी एक मंदिर भी पूरा नहीं हुआ है. इसके बारे में किसी को कमेंट करनी है तो पृष्ठभूमि के बारे में सोचना चाहिए मैं बस इतना कहना चाहता हूं.
अब जानिए आरएसएस चीफ ने क्या कहा था :बीते साल 20 दिसम्बर को पुणे के एक कार्यक्रम में संभल के मस्जिद-मंदिर विवाद पर आरएसएस चीफ मोहन भागवत ने कहा था कि राम मंदिर बनने के बाद कुछ लोगों को लगता है कि वे नई जगह पर इसी तरह के मुद्दे उठाकर हिंदुओं के नेता बन सकते हैं. राम मंदिर हिंदुओं की आस्था का विषय था, इसलिए मंदिर का निर्माण किया गया, लेकिन हर रोज एक नया मामला उठाया जा रहा है. यह स्वीकार्य नहीं है. इसकी अनुमति नहीं दी जा सकती है. उन्होंने यह भी कहा था कि भारत को यह दिखाने की जरूरत है कि हम एक साथ रह सकते हैं. हम लंबे समय से सद्भावना के साथ रहे हैं.
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