नई दिल्ली:दिल्ली में आगामी 2025 विधानसभा चुनावों को लेकर बीजेपी और आम आदमी पार्टी हर मुद्दे पर एक दूसरे पर हमलावर दिख रही है. दिल्ली भाजपा के अध्यक्ष वीरेंद्र सचदेवा ने कहा है कि यह अजीब विडम्बना है कि जिस अरविंद केजरीवाल ने 2011-12 में तत्कालीन कांग्रेस सरकार के खिलाफ अपने राजनीतिक सफर की शुरूआत CAG रिपोर्टों को सार्वजनिक कर उन पर कार्रवाई एवं पावर डिस्कॉम की भागीदार निजी कम्पनियों के खातों की जांच जैसी मांग से की थी. वहीं दिल्ली की सरकार पिछले दो साल से अधिक से CAG की रिपोर्टों को सार्वजनिक करने से बच रही है. अब केजरीवाल के पार्टी की सरकार पावर डिस्कॉम के निजी पार्टनरों के बचाव में भी सक्रिय है.
केजरीवाल ने CAG रिपोर्टों को आधार बना शुरू किया राजनीतिक :सचदेवा ने कहा किअरविंद केजरीवाल ने न सिर्फ कॉमनवेल्थ खेलों के व्यय पर आई CAG रिपोर्ट को उठा कर राजनीतिक यात्रा शुरू की थी. 6 फरवरी 2014 को मुख्यमंत्री रहते हुए अरविंद केजरीवाल ने एक CAG रिपोर्ट के आधार पर पूर्व मुख्यमंत्री शीला दीक्षित पर ACB जांच के आदेश भी दिये थे. दिल्ली भाजपा अध्यक्ष ने स्पष्ट किया की CAG एक स्वतंत्र संस्था है जिसका काम है हर सार्वजनिक व्यय एवं कार्य की समीक्षा करना. CAG की रिपोर्ट हर सरकार को जवाबदेह बनाती है और न्यायालय में स्वीकार्य होती है.
केजरीवाल सरकार 14 प्रमुख CAG रिपोर्टें को दबा कर बैठी :वीरेंद्र सचदेवा ने कहा कि यह अजीब विडम्बना है की 2017-18 से 2021-22 के बीच CAG ने अरविंद केजरीवाल सरकार के दौरान शराब पर एक्साइज ड्यूटी, प्रदूषण एवं अन्य वित्तीय मुद्दों पर हुई गड़बड़ियों को लेकर 14 प्रमुख रिपोर्टें आई पर केजरीवाल सरकार उन्हें आज तक दबा कर बैठी है. सचदेवा ने कहा कि संवैधानिक व्यवस्था ऐसी है कि सरकारी व्यय का आडिट करने वाली सर्वशक्तिमान संस्था CAG अपनी रिपोर्ट राज्य सरकार को सौंपती है और राज्य सरकार उपराज्यपाल से प्रशासनिक धारा 48 के तहत अनुमति लेकर विधानसभा सत्र में रखती है.
केजरीवाल, आतिशी और सिसोदिया की इसमें मुख्य भागेदारी :अरविंद केजरीवाल इस बात को जानते थे कि यदि यह रिपोर्ट सार्वजनिक होंगी तो उन्हीं की सरकार पर अनेक आर्थिक घोटालों के मुकदमें बनेंगे इसलिए उन्होंने एक के बाद एक आई लगभग 14 प्रमुख रिपोर्टों को लेकर दबाते रहे. यहां यह याद रखना जरूरी है की इन रिपोर्टों के दबाये जाने के लिए यूं तो पहले पूरा अरविंद केजरीवाल मंत्रीमंडल और अब आतिशी मंत्रीमंडल दोषी है पर विशेष यह है की केजरीवाल सरकार में वित्त मंत्री होने के नाते आतिशी एवं मनीष सिसोदिया मुख्य मंत्री के विशेष भागीदार रहे हैं.
29 अक्टूबर 2024 को CAG रिपोर्ट को लेकर याचिका दाखिल :सचदेवा ने कहा की भाजपा विधायक दल लगातार दो वर्षों से इन रिपोर्टों को विधानसभा के पटल पर रखने की बार-बार मांग करता रहा पर जब अरविंद केजरीवाल के कान पर जूं नही रेंगी तब दिल्ली भाजपा के निर्देश पर विधायक दल के नेता विजेन्द्र गुप्ता एवं अन्य 6 विधायकों अजय महावर, ओमप्रकाश शर्मा, मोहन सिंह बिष्ट, अभय वर्मा, जितेन्द्र महाजन एवं अनिल बाजपेयी ने CAG रिपोर्ट विधानसभा पटल पर रखकर सार्वजनिक करने की मांग को लेकर माननीय दिल्ली उच्च न्यायालय में एक याचिका 29 अक्टूबर 2024 को दायर की.
न्यायालय को भी भ्रमित कर लम्बा स्थगन लेने का प्रयास :माननीय न्यायालय ने दिल्ली सरकार से जवाब मांगा पर सरकार ने यह कह कर की रिपोर्ट उपराज्यपाल महोदय के पास है और वह सक्षम अधिकारी हैं.इस तरह माननीय न्यायालय को भी भ्रमित कर लम्बा स्थगन लेने का प्रयास किया गया. दिल्ली वालों के सौभाग्यवश CAG ने भी अपना हलफनामा माननीय न्यायालय में रख दिया जिससे स्थिति पूरी तरह साफ हो गई. वीरेन्द्र सचदेवा ने बताया की CAG के हलफनामे ने साफ कर दिया की उसने दिल्ली सरकार को हस्ताक्षरित पूरी रिपोर्ट भेजी. जिसकी बिना हस्ताक्षर की कॉपी सील लिफाफे में उपराज्यपाल को भेजी जो केवल सूचनात्मक थी. इस दौरान क्योंकि दिल्ली विधानसभा का सत्र चल रहा था तो भाजपा विधायकों ने जल्दी सुनवाई की अर्जी माननीय न्यायालय में लगाई और अंततः कार्रवाई आगे बढ़ी.