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कांकेर में जल प्रलय से तबाही, पानी के प्रकोप से कई गांवों का संपर्क टूटा, जानलेवा हुआ जीवन - Villages submerged in Kanker

कांकेर में पानी का प्रकोप लगातार बढ़ता जा रहा है. यहां लगातार बारिश होने से कई नदी नाले उफान पर हैं. कांकेर के आमाबेड़ा गांव के सात गांवों का जिला मुख्यालय से संपर्क टूट गया है. पुल पुलिया नहीं होने से लोगों को जानलेवा कदम उठाना पड़ रहा है.

VILLAGES SUBMERGED IN KANKER
कांकेर में जानलेवा हालात (ETV BHARAT)

By ETV Bharat Chhattisgarh Team

Published : Jul 27, 2024, 6:15 PM IST

कांकेर में भारी तबाही (ETV BHARAT)

कांकेर: कांकेर में भारी बारिश का सिलसिला रुकने का नाम नहीं ले रहा है. क्षेत्र में बारिश से जन जीवन अस्त व्यस्त है. पूरे जिले में कई नदी नाले उफान पर है. कांकेर के आमाबेड़ा तहसील में कई गांवों का जिला मुख्यालय और ब्लॉक ऑफिस से संपर्क टूट गया है. आमाबेड़ा से नारायणपुर को जोड़ने वाली सड़कों का भी बुरा हाल है. आमाबेड़ा और नारायणपुर का संपर्क कट गया है.

बाढ़ से आमाबेड़ा और नारायणपुर का संपर्क कटा: बाढ़ से नारायणपुर और आमाबेड़ा के बीच जुगाड़ का पुल बह गया है. इससे लोगों को काफी परेशानी हो रही है. इस इलाके में कई सालों से कोई भी पुल पुलिया नहीं बन पाई है. कोटकोडो़ नाला,खुर्सई नाला में पुल नहीं बनने से लोग लकड़ी का पुल बनाकर काम चला रहे थे. बारिश की वजह से वह पुल भी बह चुका है. जिससे मातला ब, आलानार, बंडापाल, करमरी, देवगांव,गवाडी पंचायतों का तहसील ब्लाक एवं जिला मुख्यालय से सम्पर्क टूट गया है.

बाढ़ की वजह से जान जोखिम में डाल रहे युवक: पुल नहीं होने और बाढ़ के हालात के बीच युवकों को जरूरी काम के लिए जान जोखिम में डालना पड़ रहा है. इन युवकों को रोकने के लिए जिला प्रशासन की तरफ से कोई सुरक्षा व्यवस्था नहीं की गई है. जरूरी काम के लिए इन युवकों को जान जोखिम में डालना पड़ रहा है. अपने साइकिल और मोटराइसिल को लकड़ी के सहारे दो चार लोग कंधे पर उठाते हैं और नाले को पार करते हैं. ऐसे में कभी भी बड़ा हादसा हो सकता है.

"लगातार हो रही बारिश के चलते कोटकोडो नाले पर बना जुगाड़ का रपटा बह गया है. जिसें गांववालों ने सहयोग से बनाया था. जिसके चलते नदी पार करने में काफी परेशानी होती है. इसी तरह दो चार लोग मिलकर साइकिल मोटर साइकिल को लकड़ी के सहारे कंधे पर उठाकर नाला पार करते हैं. हमेशा डर बना रहता है अगर कहीं पैर फिसल गया तो सीधे नाले में बहने का खतरा रहता है": रत्तुराम कावडे़ मातला और दुकलु कावडे

बच्चों को स्कूल जाने से रोका गया: भारी बारिश और बाढ़ की वजह से बच्चों को स्कूल जाने से रोका गया है. ग्रामीणों ने कहा कि इस नाले पर पुल की मांग जनचौपाल में भी की गई थी लेकिन वह मांग आज तक पूरी नहीं हो पाई. जिला प्रशासन की तरफ से कोई पहल नहीं की गई है. शासन प्रशासन ने हमे हमारे हाल पर छोड़ दिया है. ऐसे में अगर यहां कभी हादसा हुआ तो कौन जिम्मेदार होगा.

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