देहरादून: उत्तराखंड में सीमांत क्षेत्र के गांवों को उत्तराखंड सरकार और आईटीबीपी की पहल पर आर्थिक रूप से मजबूत किया जा सकेगा. इसके तहत आईटीबीपी के साथ जल्द ही एक अनुबंध होने जा रहा है. इसके बाद स्थानीय पशुपालक और किसान आइटीबीपी को खाद्य सामग्री पहुंचा सकेंगे. उत्तराखंड कोऑपरेटिव फेडरेशन और आईटीबीपी के बीच जल्द ही अनुबंध होने जा रहा है. यह अनुबंध आईटीबीपी की सीमांत क्षेत्रों में मौजूद पोस्ट पर खाद्य सामग्री उपलब्ध कराने से जुड़ा होगा.
इसके तहत उत्तराखंड के सीमांत जिलों के ग्रामीण आईटीबीपी की पोस्ट पर खाद्य सामग्री उपलब्ध करवा पाएंगे. जिससे उन्हें आर्थिक रूप से मजबूती मिलेगी. सीमांत जिले जिसमें उत्तरकाशी, चमोली, पिथौरागढ़ और चंपावत जिला शामिल है, उनके करीब 4000 से ज्यादा किसान और पशुपालक खाद्य सामग्री की आपूर्ति करने में मदद करेंगे. इसके तहत स्थानीय पशुपालकों द्वारा भेड़, बकरियां, पोल्ट्री और ट्राउट मछली की आपूर्ति की जाएगी.
उत्तराखंड में वाइब्रेट विलेज योजना पर भी काम चल रहा है. जिसके तहत सीमांत क्षेत्र के गांव में पलायन को रोकने के लिए तमाम सुविधाएं विकसित की जा रही हैं. मुख्य सचिव राधा रतूड़ी ने बताया आईटीबीपी के साथ उत्तराखंड कोऑपरेटिव फेडरेशन का अनुबंध वाइब्रेट विलेज कार्यक्रम को भी आगे बढ़ाएगा. इसके साथ ही किसानों और पशुपालकों को भी इस अनुबंध से आर्थिक रूप से मजबूती मिलेगी. इससे न केवल पशुपालन के क्षेत्र में बेहतर मौके मिल पाएंगे, बल्कि सीमांत क्षेत्र में रोजगार का भी मौका मिलेगा.
प्रदेश में वोकल का लोकल को भी इससे प्रोत्साहन मिलने जा रहा है. मुख्य सचिव राधा रतूड़ी ने आईटीबीपी और उत्तराखंड सरकार की इस पहल से प्रदेश में पशुधन के क्षेत्र में मूलचूक परिवर्तन आने की बात कही. मुख्य सचिव ने इस संदर्भ में आईटीबीपी के अधिकारियों के साथ बैठक भी की. इस बैठक में आईटीबीपी ने राज्य के सीमांत क्षेत्रों में अपने पशु चिकित्सकों की सेवाएं प्रदान करने का प्रस्ताव भी रखा. जिस पर सहमति देते हुए मुख्य सचिव ने सीएसआर फंड के तहत पशुओं के लिए मेडिकल मोबाइल वैन की व्यवस्था के भी निर्देश दिए.
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