सरगुजा: देश में मिलेट्स को दोबारा प्रमोट किया जा रहा है. पहले छत्तीसगढ़ और फिर केन्द्र सरकार ने मिलेट्स खाने की उपयोगिता को बढ़ावा दिया. प्रधानमंत्री ने इसे 'श्री अन्न' की उपमा दी. मिलेट्स काफी गुणकारी होता है. इंसान को स्वस्थ रखने में ये काफी सहायक है. हालांकि आज भी कई लोगों को ये नहीं पता कि मिलेट्स कहते किसे हैं? मिलेट्स के नाम पर कई लोग मंहगे दाम पर मिलेट्स खरीद रहे हैं, जबकि मिलेट्स ग्रामीण क्षेत्रों में और ग्रामीण बाजारों में कम कीमत में आसानी से उपलब्ध हो जाता है.
"गांव का मिलेट्स बेहतर":मिलेट्स के बारे में लोग क्या जानते हैं और बाजार में किस रेट पर मिलेट्स मिल रहा है. ये जानने के लिए ईटीवी भारत की टीम सरगुजा के एक गांव पहुंची. यहां मिलेट्स के अलग-अलग प्रकारों को अलग-अलग नामों से लोग जानते हैं. जिले के कल्याणपुर गांव के मिलेट्स व्यवसायी उमेश जायसवाल ने ईटीवी भारत को बताया कि, "यहां सरसों, अलसी 42 से 43 रुपये किलो मिल जाता है. जटगी का रेट ज्यादा है, वो 85 रूपये किलो तक मिलता है." वहीं, गांव के एक बुजुर्ग कन्नी लाल बताते हैं कि "हम लोग पहले मिलेट्स ही खाते थे. आज तक उनको बीपी और शुगर जैसी कोई बीमारी नहीं हुई है. मेझरी, मक्का, कोदो, मकई और धान का चावल पहले खाते थे. ये काफी फायदेमंद होता था. हालांकि अब ये सब नहीं मिलता है."