शिमला: हिमाचल की राजधानी शिमला के सबसे बड़े उपनगर संजौली में मस्जिद के अवैध निर्माण का मामला सामने आने के बाद से प्रदेशभर में बाहरी राज्यों से आने वाले प्रवासियों का पंजीकरण करने और स्ट्रीट वेंडर्स के लिए पॉलिसी बनाने की मांग होने लगी. बीते दिन शहरी विकास मंत्री विक्रमादित्य सिंह ने पारदर्शिता और सार्वजनिक सुरक्षा बढ़ाने के उद्देश्य से प्रदेश भर में सभी खाद्य प्रतिष्ठानों में मालिकों को अपनी पहचान नाम और पते के साथ प्रदर्शित करने के निर्देश जारी किए थे, ताकि ये पता चल सके कि ऑनर कौन से राज्य और किस समाज से संबंध रखता है.
इस तरह की पोस्ट विक्रमादित्य सिंह ने अपने सोशल मीडिया पेज पर शेयर की थी. इसके बाद ये कहा जाना लगा कि हिमाचल सरकार भी यूपी की योगी सरकार की तर्ज पर काम कर रही है. यूपी में भी रेहड़ी फड़ी, स्ट्रीट वेंडर्स और खाने-पीने के दुकानों पर ऑनर को अपना नाम लिखने के निर्देश जारी किए थे.
'यूपी से नहीं है कोई लेना देना'
वहीं, इसे लेकर आज विक्रमादित्य सिंह ने आज न्यूज एजेंसी ANI से कहा कि, "इसमें यूपी या सीएम योगी आदित्यनाथ का कोई लेना-देना नहीं है. हिमाचल प्रदेश एक अलग राज्य है. हिमाचल और वहां के लोगों के अलग मुद्दे हैं. प्रदेश में अभी हाल ही में जो घटनाक्रम हुए हैं, उसके बाद सरकार संवेदनशीलता के साथ काम कर रही है. प्रदेश में धार्मिक सद्भाव और शांतिपूर्ण माहौल बनाना ये हमारा दायित्व बनता है. इसलिए एक सर्वदलीय कमेटी भी बनाई गई है, ताकि सबकी बात को सुना जाए और लोगों की जो भी आशंकाएं हैं. खासकर व्यापार मंडलों, रेहड़ी-फड़ी वालों की बातों को भी सुना जाए. हम आने वाले समय में इन चीजों को ध्यान में रखते हुए आगे बढ़ेंगे. इसका किसी राज्य से लेना देना नहीं हैं. ये सिर्फ हिमाचल और यहां के लोगों के हितों के लिए हैं".