विदिशा: देशभर में शारदीय नवरात्र का पर्व बड़े हर्षोल्लास से मनाया जा रहा है. जगह-जगह पर मां दुर्गा का भव्य पंडाल सजा हुआ है. कई पंडालों की बनावट समाज को एक संदेश देने के उद्देश्य से भी की गई है. कहीं पर्यावरण के बचाव को लेकर तो कई सड़क सुरक्षा के संदेश के साथ पंडाल बनाए गए हैं. ऐसा ही एक पूजा पंडाल विदिशा में बनाया गया है, जो महिलाओं के खिलाफ हो रहे अत्याचार को रोकने का संदेश दे रहा है. यहां पर त्रेता युग, द्वापर युग में महिलाओं के खिलाफ हुए अत्याचार और उनकी सुरक्षा को लेकर संदेश दे रहा है. इसके अलावा कलयुग में महिलाओं के खिलाफ अत्याचार को को भी दिखाया गया है. पूरे पंडाल में इस दुराचार को रोकने की अपील करते हुए स्लोगन भी लिखा गया है.
त्रेता युग, द्वापर युग और कलयुग की छलक
विदिशा में बने इस दुर्गा पूजा पंडाल में त्रेता युग में सीता हरण और द्वापर युग में द्रौपदी के चीर हरण के दृश्य को प्रदर्शित किया गया है. इसके अलावा कलयुग में महिलाओं के खिलाफ हो रहे अत्याचार को भी बड़े मार्मिक तरीके से दिखाया गया है. इसमें कोलकाता में आरजी कर मेडिकल कॉलेज में महिला डॉक्टर से साथ हुए दुष्कर्म की घटना के जरिये महिला अत्याचार की घटनाओं पर रोक लगाने का संदेश देने की कोशिश की गई है. खास बात ये है की ये सारी कालाकृतियां मुर्तियों के जरिए की गई है और सारी मूर्तियां पंडाल सजाने वाले युवाओं ने खुद तैयार की है.
हर साल कोई नई थीम पर सजता है पंडाल
इस भव्य पंडाल को बनाने में प्रमुख भूमिका निभाने वाले सोहन सिंह राजपूत ने बताया कि, "मोहन गिरी के इस स्थान पर यह 33वां वर्ष है, जब देवी मां को यहां विराजमान किया गया है. हर साल हम कोई ना कोई नई थीम बनाते हैं. इस बार हम त्रेता युग, द्वापर युग और कलयुग की थीम लेकर आए हैं. झांकी में हमने दर्शाया है कि त्रेता युग में भगवान राम का जन्म हुआ था. जब रावण ने सीता का हरण किया था तो भगवान राम वानरों की सेना के साथ लंका पर चढ़ाई कर दिए थे और वे सीता को सुरक्षित वापस ले आए थे."