गर्मी ने सुखा दी हरी भरी थाली, जानिए क्यों हुआ सब्जियों का पारा हाई - Vegetable prices increased - VEGETABLE PRICES INCREASED
Vegetable Price Hike मौसम में तेजी से हो रहे बदलाव का असर अब किसान की फसलों और आम लोगों की जेब पर भी पड़ रहा है. तेज गर्मी से सब्जियों की फसलें झुलस गई है. फसल खराब होने से बाजार में सब्जियों की आवक घटी है, जिसके चलते अब सब्जियों की कीमतों में आग लग गई है. 20-25 रुपए में मिलने वाली सब्जियों के दाम ₹100 के करीब पहुंच गई है. इस भीषण गर्मी ने लोगों के रसोई का भी बजट बिगाड़ दिया है.
रायपुर : छत्तीसगढ़ में नौतपा भले ही नौ दिनों का होता है, लेकिन इस बार की गर्मी ने सारे रिकॉर्ड तोड़ दिए हैं. आधा जून माह निकल चुका है, लेकिन गर्मी कम होने का नाम नहीं ले रहा. अभी भी तापमान 40 डिग्री के ऊपर ही है. पिछले 1 महीने से लगातार पड़ रही इस बेतहाशा गर्मी और जल रहे मौसम ने किसानों को बड़ी चोट पहुंचाई है.गर्मी से जहां किसानों की फसल झुलसा गई है. वहीं अब आम आदमी की थाली का बजट भी गड़बड़ा गया है. आलम यह है कि सब्जियां अब ₹100 के नीचे नहीं रह गई हैं.
भीषण गर्मी से सब्जियों की फसलें हुई तबाह : सब्जी विक्रेताओं का कहना है कि इस साल तापमान में बढ़ोतरी का असर मौसम के साथ साथ फसलों पर भी पड़ रहा है. सब्जियों की फसलें तेज गर्मी से झुलस गई हैं. खरीफ के समय में पैदा होने वाली फसलें, जिसमें लौकी, टमाटर, भिंडी, नेनुआ और तरोई जैसी फैसल शामिल हैं, इस गर्मी के ताप की भेंट चढ़ गए हैं. अब इसका असर बाजार पर भी दिखने लगा है. सब्जियों के पैदावार कम होने से बाजार में लोकल सब्जियों की आवक भी घट रही है, जिसके चलते सब्जियों के दाम आसमान छूने लगे हैं.
सब्जियों के बढ़ते दाम से लोग परेशान :बाजार में आवक घटने की वजह से लोकल सब्जियों के दाम लगातार बढ़ती डजा रही है. आम आदमी की पहुंच से सब्जियां दूर हो रही हैं. सप्ताहभर के भीतर ही हरी सब्जियों की कीमतों में 10 फीसदी की बढ़ोतरी दर्ज की गई है. बात टमाटर की करें तो टमाटर 100 रुपए के पार पहुंच गई है. बाकि सब्जियों के दाम भी 100 रुपए के आसपास पहुंच गए हैं.
क्या है फसलों के सूखने की वजह? : सब्जी उत्पादन के लिए किसान श्री सम्मान से सम्मानित विनय कुमार सिन्हा ने बताया, तापमान ज्यादा होने के कारण फसलों में जितना पानी दिया गया, उसका कोई असर नहीं हुआ. लगातार तापमान 40 डिग्री के आसपास बनी हुई है. इस वजह से मिट्टी की ऊपरी परत गर्म हो गई है. जिसमें पानी डालने से पानी भी गर्म हो जाता है. इस वजह से जड़ों को ठंडक नहीं मिल पाई है. कम गहराई तक होने वाली ऐसी फसलों की जड़ों तक गर्मी चली गई. यही फसलों के सूखने या कम पैदावार की वजह है.
"गर्मी इससे पहले भी 45 डिग्री टेंपरेचर तक गई है, लेकिन पिछले 1 महीने से टेंपरेचर 40 के नीचे आ ही नहीं रहा है. लगातार तापमान 40 डिग्री के आसपाल रहने की वजह से सब्जियों की फसलों को बड़ा नुकसान हुआ है."- विनय कुमार सिन्हा, किसान श्री सम्मान से सम्मानित
सब्जी उत्पादन के लिए मानक तापमान : फसलों के बेहतर उत्पादन के लिए उपयुक्त मौसम या तापमान को लेकर ईटीवी भारत की टीम ने कृषि अनुसंधान संस्थान से चर्चा की. कृषि अनुसंधान संस्थान के अनुसार, इस मौसम में जो भी सब्जियां पैदा होती हैं और उसके लिए जितने तापमान की जरूरत है, पिछले 1 महीने में तापमान उससे दो गुना से ज्यादा हो गया है. इस वजह से सब्जियों के पौधे झुलस गए हैं और उत्पादन घट रही है.
टमाटर : टमाटर के बेहतर उत्पादन के लिए मौसम का प्रतिकूल रहना बहुत ज्यादा फायदेमंद होता है. रबी, खरीफ एवं जायद तीनों महीने में टमाटर की पैदावार होती है. लेकिन गर्मी के मौसम में आने वाले टमाटर के लिए सबसे बेहतर तापमान 25 से 35 डिग्री सेंटीग्रेड माना जाता है. दिन का तापमान 35 डिग्री सेंटीग्रेड अधिकतम होना चाहिए, जबकि रात के तापमान में अगर गिरावट होती है, तो पैदावार बेहतर होती है. लेकिन छत्तीसगढ़ में पिछले एक महीने से रात का तापमान 30 डिग्री से ऊपर और दिन का तापमान 40 डिग्री से पार पहुंच गया है. जिसके चलते टमाटर की पूरी फसल ही झुलस गई है. इसलिए अब जो टमाटर बचा हुआ है, उसके दाम आसमान छू रहे हैं.
सब्जी की कीमतें (ETV Bharat)
भिंडी के गिर गए फूल : भिंडी की फसल के लिए तापमान गर्म रहना जरूरी है. इसके अच्छे अंकुरण के लिए तापमान कम से कम 20 डिग्री और दिन का तापमान 30 डिग्री तक होना चाहिए. लेकिन उससे ऊपर का तापमान भिंडी के लिए ठीक नहीं माना जाता. पारा 40 डिग्री से पार होने पर भिंडी के फूल गिरने लगते हैं. इस बार तो दिन का तापमान पिछले 1 महीने से लगातार 40 डिग्री से उपर बना हुआ है, जिसके चलते भिंडी की फसल को भी नुकसान हुआ है.
लौकी की फसल : लौकी के लिए मध्य सहनशीलता वाला तापमान बेहतर माना जाता है. इसके लिए तापमान 20 डिग्री सेंटीग्रेड से लेकर 38 डिग्री सेंटीग्रेड तक होना चाहिए. इससे ऊपर का तापमान होने पर लौकी की फसल भी सूखने लगती है. इस बार तापमान के लगातार 40 डिग्री से ऊपर होने की वजह से लौकी के फसल को भी नुकसान हुआ है.
करेला : करेले के फसल लिए भी 24 डिग्री सेंटीग्रेड से लेकर 27 डिग्री सेंटीग्रेड का तापमान सबसे बेहतर माना जाता है. 18 डिग्री तक का तापमान इसके सबसे बेहतर अंकुरण के लिए माना जाता है. लेकिन तापमान इससे कही ज्यादा होने की वजह से फसलों को नुकसान हुआ है. जो करेंले बाजार आ रहे, उस पर भी तापमान का प्रभाव पड़ रहा है. उत्पादन घटा है, जिसके चलते दाम बहुत ज्यादा बढ़ गए हैं.
कृषि अनुसंधान संस्थान ने सब्जियों के लिए उपयुक्त तापमान की जो सीमा रखी है, इस बार मौसम उससे बहुत ज्यादा रहा है. इसके चलते फसलों से जो उत्पादन होना चाहिए, वह नहीं हो रहा है.