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भारत बंद का रांची में मिलाजुला असर, कई संगठनों ने किया प्रदर्शन, सड़कों पर कम चले वाहन - Bharat Bandh

Impact of Bharat bandh. भारत बंद को लेकर रांची में मिलाजुला असर दिख रहा है. रांची के अल्बर्ट एक्का चौक पर अलग संगठनों और दलों ने प्रदर्शन किया. बंद की वजह से ज्यादातर दुकानें बंद रहीं. सड़कों पर वाहनों का परिचालन भी न के बराबर है.

Various organizations demonstrated in Ranchi regarding Bharat Bandh
बंद समर्थक और बंद दुकान (ईटीवी भारत)

By ETV Bharat Jharkhand Team

Published : Aug 21, 2024, 1:59 PM IST

Updated : Aug 21, 2024, 2:17 PM IST

रांची: सर्वोच्च न्यायालय के आरक्षण को लेकर दिए वक्तव्य को लेकर बुलाए गए भारत बंद का रांची सहित पूरे झारखंड में असर पड़ा है. रांची में सुबह से ही बंद समर्थक सड़कों पर हैं. रांची में ज्यादातर दुकानें बंद हैं. लंबी दूरी की गाड़ियां नहीं चल रही हैं.

जानकारी देते संवाददाता उपेंद्र (ईटीवी भारत)

झारखंड में राष्ट्रीय जनता दल, झारखंड मुक्ति मोर्चा सहित कई संगठन भी बंद में शामिल

आज के भारत बंद का व्यापक असर रांची सहित राज्य भर में देखा जा रहा है. राजधानी में ज्यादातर दुकानें बंद हैं तो अलग अलग दलों से जुड़े नेताओं की टोली बारी बारी से बंद को सफल बनाने के लिये झंडे बैनर के साथ सड़क पर उतर रहे हैं. इमरजेंसी सेवा को छोड़ बाकी सभी सेवाएं बंद में शामिल है.

अलग अलग संगठन के लोग अल्बर्ट एक्का चौक पर कर रहे हैं प्रदर्शन

भारत बंद का राजधानी रांची में मिला जुला असर दिख रहा है. भारी सुरक्षा व्यवस्था के बीच सड़कों पर छिटपुट वाहन चल रहे हैं लेकिन ज्यादार दुकानें बंद है. अलग अलग राजनीतिक संगठनों से जुड़े कार्यकर्ता पहुंच कर विरोध करते नजर आए. राज्य के कई इलाकों में सड़क और रेल सेवा भी बाधित करने की खबर है. वहीं रांची से अन्य जिलों के लिए खुलने वाली बस सेवा बंद है.

क्या था 01 अगस्त 2024 को दिया गया सर्वोच्च न्यायालय का फैसला

एक मामले की सुनवाई करते हुए 01अगस्त 2024 को सर्वोच्च न्यायालय सुप्रीम की सात सदस्यीय संविधान पीठ ने वर्ष 2004 में ईवी चिन्नैया केस में दिए गए सर्वोच्च न्यायालय के ही फैसले को पलटते हुए कहा था कि राज्यों को अनुसूचित जाति-जनजाति वर्गों में उपवर्गीकरण का अधिकार है. सर्वोच्च अदालत ने साथ में अपने आदेश में यह भी कहा था कि उपवर्गीकरण करने वाले राज्यों को पर्याप्त डेटा और आंकड़ा इस बात का दिखाना होगा कि जिसका उपवर्ग बनाया गया है उसका प्रतिनिधित्व अपर्याप्त है.

सुनवाई के दौरान जस्टिस बी. आर. गवई समेत चार न्यायाधीशों ने यह भी कहा था कि SC-ST आरक्षण में भी क्रीमीलेयर का सिद्धांत लागू होना चाहिए. एक न्यायाधीश ने आरक्षण को एक जेनरेशन तक सीमित रखने का मत दिया था. इस तरह सर्वोच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति डी. वाई. चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली सात जजों की बेंच में से छह ने एकमत से दिए फैसले में सुप्रीम कोर्ट के 2004 के ईवी चिन्नैया केस में दिए फैसले को पलट दिया. वर्ष 2004 के फैसले में देश की सर्वोच्च अदालत ने कहा था कि राज्यों को अनुसूचित जाति-जनजाति वर्ग में उप वर्गीकरण की इजाजत नहीं दी जा सकती है.

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Last Updated : Aug 21, 2024, 2:17 PM IST

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