वाराणसी: काशी हिंदू विश्वविद्यालय एक बार फिर से विरोध के जद में है. इस बार विरोध बीएचयू अस्पताल में 500 से ज्यादा नर्सिंग स्टाफ कर रहे हैं. दरअसल रविवार को साथी की मौत के विरोध में अस्पताल के बाहर प्रदर्शन कर रहे हैं. स्टाफ का कहना है, कि हमसे 10 घंटे ड्यूटी कराई जाती है, लेकिन हफ्ते में एक भी छुट्टी नहीं मिलती. वर्कलोड के कारण ही हमारे साथी की मौत हो गई है. जिस वजह से हम उसके परिवार को मुआवजा देने के लिए विरोध कर रहे हैं.
बता दे कि, रविवार की सुबह 6:00 बजे सीसीयू वार्ड में ड्यूटी के दौरान तैनात नर्सिंग स्टाफ खेमचंद सैनी की अचानक तबियत बिगड़ गई. इस दौरान साथी उन्हें इमरजेंसी ले गए जहां डॉक्टर ने मृत घोषित कर दिया. मौत की अभी वजह सामने नहीं आ सकी है, लेकिन अन्य नर्सिंग स्टाफ का कहना है कि खेमचंद की मौत वर्कलोड के कारण हुई है, उन्हें हार्ट अटैक आया है. उनका कहना है कि हमारी मांग है कि खेमचंद के परिवार को मुआवजा दिया जाए और हमारे वर्कलोड को काम किया जाए.
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BHU में नर्सिंग स्टाफ का विरोध, साथी की मौत पर शुरू किया प्रदर्शन, अधिकारियों पर लगाया मानसिक प्रताड़ना का आरोप - BHU Nursing staff protest - BHU NURSING STAFF PROTEST
BHU में ड्यूटी के दौरान तैनात नर्सिंग स्टाफ के एक व्यक्ति की मौत के विरोध में नर्सिंग स्टाफ अस्पताल के बाहर प्रदर्शन कर रहा है. स्टाफ ने अधिकारियों पर मानसिक प्रताड़ना का आरोप लगाया है.
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By ETV Bharat Uttar Pradesh Team
Published : Sep 15, 2024, 1:25 PM IST
1100 नर्सिंग स्टाफ करते हैं काम:गौरतलब हो कि, BHU में कुल 1100 नर्सिंग स्टाफ काम करते हैं. विरोध कर रहे हैं नर्सिंग स्टाफ बाबूलाल का कहना है कि, हमसे 10 घंटे ड्यूटी कराई जाती है. इस दौरान हमें मोबाइल निकालना और बाहर जाने नहीं दिया जाता यहां तक कि हमें सप्ताह में एक दिन की छुट्टी भी नहीं मिलती. जिस वजह से हमारे पास वर्कलोड बहुत ज्यादा है. एक नर्सिंग स्टाफ को 17 बेड संभालने की जिम्मेदारी दी जाती है, हमारा वर्कलोड इतना ज्यादा है कि हम हमेशा स्ट्रेस में रहते हैं और जब हम अपनी बात कहने के लिए उच्चधिकारी से करने जाते हैं तो हमें इंक्रीमेंट रोकने की धमकी दी जाती है. उन्होंने कहा, कि BHU के अस्पताल में स्वास्थ्य मंत्रालय की गाइडलाइन का भी पालन नहीं होता हैं.
4 साल बाद भी नहीं किया गया नियमित:नर्सिंग स्टाफ बाबूलाल ने कहा, कि नियम के मुताबिक जॉइनिंग करने के 6 महीने बाद हम सबको नियमित स्टाफ होने का प्रमाण पत्र दे दिया जाना चाहिए. लेकिन, 4 साल बीतने के बावजूद भी आज तक हमें नियमित होने का प्रमाण नहीं दिया गया है. हमारी बस इतनी मांग है, कि अस्पताल के अंदर स्वास्थ्य मंत्रालय की गाइडलाइन का पालन कर नर्सिंग स्टाफ को निर्धारित बेड का जिम्मा दिया जाए. इसके साथ ही अस्पताल के जो उच्चधिकारी हैं, वह हमें इंक्रीमेंट रोकने की धमकी ना दें. बल्कि हमारी बातों को सुने. तनाव के कारण हम बहुत परेशान होते हैं. बताते चले, कि मृतक नर्सिंग स्टाफ खेमचंद भरतपुर राजस्थान का रहने वाला है. जो इस समय अपने पत्नी और 5 साल के बच्चे के साथ वाराणसी में रहते थे.
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