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उत्तराखंड संस्कृत विश्वविद्यालय का अजब-गजब फरमान, दोबारा आचार्य नहीं कर पाएंगे छात्र, छात्रों ने किया आदेश का विरोध - Uttarakhand Sanskrit University - UTTARAKHAND SANSKRIT UNIVERSITY

कभी पीएचडी प्रवेश परीक्षा में धाधली तो कभी अपने कुछ फैसलों के कारण चर्चाओं में रहने वाला उत्तराखंड संस्कृत विश्वविद्यालय एक बार फिर सुर्खियों है. इस बार मामला छात्रों के आचार्य करने से जुड़ा है. उत्तराखंड संस्कृत विश्वविद्यालय ने एक आदेश जारी करते हुए छात्रों के दोबारा आचार्य करने पर रोक लगा दी है, जिसका छात्रों ने विरोध किया है.

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उत्तराखंड संस्कृत विश्वविद्यालय (फाइल फोटो) (Etv Bharat)

By ETV Bharat Uttarakhand Team

Published : Jun 9, 2024, 7:10 AM IST

हरिद्वार: उत्तराखंड संस्कृत विश्वविद्यालय ने छात्रों के दोबारा आचार्य करने पर रोक लगा दी. विश्वविद्यालय के इस फैसले का छात्रों ने विरोध किया है. छात्रों ने कुलपित से इस आदेश को वापस लेने की मांग की है. छात्रों की तरफ से साफ किया गया है कि यदि उत्तराखंड संस्कृत विश्वविद्यालय प्रबंधन ने अपना ये फैसला वापस नहीं लिया तो वो उग्र आंदोलन करेंगे.

दरअसल, बीती 31 मई को उत्तराखंड संस्कृत विश्वविद्यालय की प्रवेश समिति की 16 वीं बैठक हुई थी. इसी बैठक में निर्णय लिया गया है कि विश्वविद्यालय में छात्रों को किसी एक विषय स्नोतकोत्तर (पीजी) यानि आचार्य कर लेने के बाद दोबारा से अन्य विषय में स्नोतकोत्तर करने के लिए प्रवेश नहीं दिया जाएगा.

प्रवेश समिति की ओर से पारित प्रस्ताव के अनुपालन में शुक्रवार को कुल सचिव गिरीश अवस्थी ने आदेश जारी कर दिए. उन्होंने शैक्षणिक सत्र 2024-25 में एक विषय से स्नोतकोत्तर प्रवेश करने वाले छात्र-छात्रा को प्रवेश नहीं दिए जाने निर्देश दिए हैं.

उधर, विश्वविद्यालय के छात्रों ने आदेश का विरोध किया है. उन्होंने कुलपित दिनेश चंद शास्त्री को ज्ञापन देकर विश्वविद्यालय में अध्यनरत छात्र-छात्राओं ने आदेश को वापस लेने की मांग की है. उनका कहना है कि वैसे ही संस्कृत विश्वविद्यालय छात्रों की कमी से जूझ रहा है, लेकिन कुलपति के मनमाने फरमान लगातार जारी हैं. इससे छात्रों की संख्या में और भी कमी आएगी. छात्रों का कहना है कि जब विश्वविद्यालय में अनेक विषयों में आचार्य की डिग्री कराई जाती है तो रोक क्यों लगाई जा रही है?इससे छात्रों को जानबूझकर शिक्षण ग्रहण करने से रोका जा रहा है.

वहीं छात्रों के सवाल पर उत्तराखंड संस्कृत विश्वविद्यालय के कुलपति दिनेशचंद शास्त्री ने कहा कि जेएनयू और गुरुकुल कांगड़ी तमाम ऐसे विश्वविद्यालयों के उदाहरण हमारे पास हैं, जो परिसर में शैक्षणिक माहौल बनाए रखने के लिए इस तरह के निर्णय लेते आए हैं. शासनस्तर पर भी होने वाली बैठकों में शैक्षणिक संस्थानों के परिसर में व्यवस्थित माहौल बनाए जाने का निर्देश मिलता रहता है. किसी छात्र के भविष्य के साथ खिलवाड़ नहीं होगा. उनके सामने ओपन यूनिवर्सिटी के भी विकल्प हैं.

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