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अल्मोड़ा IMPCL दवा फैक्ट्री निजीकरण मामले में सुनवाई, केंद्र सरकार को जवाब दाखिल करने के आदेश - NAINITAL HIGH COURT ON IMPCL

अल्मोड़ा आईएमपीसीएल दवा फैक्ट्री को निजी हाथों में सौंपने की तैयारी मामले में हाईकोर्ट में सुनवाई, केंद्र सरकार को दाखिल करना होगा जवाब

Almora IMPCL privatization
आईएमपीसीएल निजीकरण मामले में हाईकोर्ट में सुनवाई (फोटो- ETV Bharat)

By ETV Bharat Uttarakhand Team

Published : 6 hours ago

Updated : 1 hours ago

नैनीताल: अल्मोड़ा के मोहान स्थित इंडियन मेडिसिन्स फार्मास्युटिकल कॉर्पोरेशन लिमिटेड (IMPCL) के दवा फैक्ट्री को बेचने की प्रक्रिया शुरू करने को चुनौती देती याचिका पर नैनीताल हाईकोर्ट में सुनवाई हुई. मामले में हाईकोर्ट ने केंद्र सरकार से जवाब दाखिल करने को कहा है. पूरे मामले की सुनवाई कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश मनोज कुमार तिवारी और न्यायमूर्ति पंकज पुरोहित की खंडपीठ में हुई.

दरअसल, आईएमपीसीएल कामगार संघ की ओर से नैनीताल हाईकोर्ट में एक याचिका दायर की गई है. जिसमें कहा गया है कि साल 2023 में भारत सरकार के विनिवेश मंत्रालय ने अल्मोड़ा के मोहान स्थित इंडियन मेडिसिन्स फार्मास्युटिकल कॉर्पोरेशन लिमिटेड (Indian Medicines Pharmaceutical Corporation Limited) की बिक्री (निजीकरण) की प्रक्रिया शुरू की है. जबकि, इस विनिवेश पर आयुष मंत्रालय के सचिव पहले ही आपत्ति जता चुके हैं. नैनीताल सांसद अजय भट्ट ने भी सरकार को लिखा है कि यह विनिवेश प्रक्रिया उत्तराखंड राज्य के हित के खिलाफ है. उत्तराखंड ने कभी भी ऐसे विनिवेश के लिए सहमति नहीं दी है.

आईएमपीसीएल फैक्ट्री में दवा निर्माण (फोटो- ETV Bharat)

अपीलकर्ता के अधिवक्ता कार्तिकेय हरि गुप्ता ने बताया कि कोर्ट के समक्ष दलील दी है कि लगातार लाभ कमाने वाली कंपनी का विनिवेश सार्वजनिक नीति के खिलाफ है. दूसरा, ज्यादातर बोलीदाताओं को फार्मास्युटिकल उद्योग में कोई पूर्व अनुभव नहीं है. तीसरा, यह 100 एकड़ की वन भूमि है और साल 1977 में जब इसे आईएमपीसीएल को हस्तांतरित किया गया था तो एक शर्त रखी गई थी. इस शर्त के मुताबिक, यदि आईएमपीसीएल को उक्त भूमि की आवश्यकता नहीं होगी तो यह वन विभाग को वापस मिल जाएगी.

आईएमपीसीएल फैक्ट्री में बनाई जा रही दवाइयां (फोटो- ETV Bharat)

इसलिए विनिवेश की आड़ में यह निजी कंपनियों को 100 एकड़ वन भूमि की अवैध बिक्री है. भारत सरकार की विनिवेश नीति यह स्पष्ट करती है कि ऐसा कोई भी विनिवेश नहीं किया जाएगा. जिसके परिणामस्वरूप देश के भौतिक प्राकृतिक संसाधनों का हस्तांतरण होगा. इसलिए आईएमपीसीएल का प्रस्तावित विनिवेश भारत सरकार की विनिवेश नीति के भी विरुद्ध है. अब पूरे मामले में हाईकोर्ट दो हफ्ते बाद अगली सुनवाई करेगा.

आईएमपीसीएल फैक्ट्री में दवा पैकिंग में जुटे कर्मचारी (फोटो- ETV Bharat)

आईएमपीसीएल के बारे में जानिए:बता दें कि अल्मोड़ा के मोहान क्षेत्र में केंद्र सरकार के आयुष मंत्रालय का एकमात्र आईएमपीसीएल के नाम से दवा फैक्ट्री है. कहा जा रहा है कि सरकार इस फैक्ट्री का निजीकरण करने जा रही है, जिसका फैक्ट्री के कर्मचारी के साथ ही विभिन्न सामाजिक संगठन और राजनीतिक दल विरोध कर रहे हैं. साल 1978 में पूर्व मुख्यमंत्री नारायण दत्त तिवारी ने इसकी स्थापना की थी. इस फैक्ट्री में बनने वाली दवाओं को देश और विदेशों तक भेजी जाती है.

इंडियन मेडिसिन्स फार्मास्युटिकल कॉर्पोरेशन लिमिटेड (फोटो- ETV Bharat)

वर्तमान में यह कंपनी करीब 425 यूनानी और आयुर्वेदिक दवाओं को सप्लाई कर रही है. यह देश का एकमात्र ऐसा औषधि संस्थान है, जिसके पास करीब 1200 दवाइयों को बनाने का लाइसेंस भी है. आईएमपीसीएल की ओर से रिसर्च संस्थानों सीसीआरएएस और सीसीआरयूएम के लिए ट्रायल ड्रग्स भी बनाए जाते हैं. आईएमपीसीएल के बनाए इम्यूनिटी बूस्टर 'आयुष रक्षा किट' कोरोना महामारी के दौरान प्रतिरोध क्षमता बढ़ाने और संक्रमण का प्रसार रोकने में बेहद लाभकारी सिद्ध हुई थी.

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