देहरादून: उत्तराखंड पुलिस के मुखिया की कुर्सी पर स्थायी तौर पर कौन बैठगा, इस सस्पेंस से अभीतक पर्दा नहीं उठ पाया है. बीती 30 सितंबर को इस पर फैसला होना था, लेकिन आज तीन अक्टूबर तक भी स्थिति साफ नहीं हो पाई है. इन सबके बीच सुप्रीम कोर्ट के एक नोटिस ने उत्तराखंड सरकार की थोड़ी टेंशन बढ़ा दी है. ऐसे में उम्मीद की जा रही है कि आगामी एक दो दिन में सरकार उत्तराखंड में स्थायी डीजीपी की नियुक्ति पर कोई बड़ा फैसला लेगी.
बता दें कि, फिलहाल आईपीएस अधिकारी अभिनव कुमार कार्यवाहक डीजीपी के तौर पर काम कर रहे हैं. वहीं, सुप्रीम कोर्ट ने डीजीपी की स्थायी नियुक्ति को लेकर केंद्र सरकार के साथ-साथ कुछ राज्यों को भी नोटिस जारी किया है. सुप्रीम कोर्ट ने 6 सप्ताह के अंदर सरकारों से जवाब मांगा है. यह नोटिस स्थायी नियुक्ति में आदेशों की अवहेलना को लेकर दिया गया है.
सुप्रीम कोर्ट ने सात राज्यों को जारी किया नोटिस: दरअसल, सुप्रीम कोर्ट ने उत्तराखंड के साथ-साथ आंध्र प्रदेश, उड़ीसा, पश्चिम बंगाल, उत्तर प्रदेश, तेलंगाना, चंडीगढ़ और झारखंड को डीजीपी की स्थायी नियुक्त को लेकर जारी किया. सुप्रीम कोर्ट के प्रधान न्यायाधीश (सीजेआई) डीवाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली तीन सदस्य पीठ ने सोमवार को सुनवाई के बाद यह नोटिस जारी किया है.
गौर हो कि राज्यों में डीजीपी की स्थायी नियुक्त को लेकर सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की गई थी. याचिकाकर्ता ने सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि 22 सितंबर साल 2000 के पुलिस सुधार फैसला के अनुसार राज्य में डीजीपी की स्थायी नियुक्ति होनी चाहिए, लेकिन कई राज्यों में इसका पालन नहीं हो रहा है. कई राज्य सरकार अपनी मनमर्जी से डीजीपी का नियुक्ति कर रहे हैं, जोकि सीधे-सीधे सुप्रीम कोर्ट के आदेशों की अवहेलना है क्योंकि इन सभी राज्यों ने अस्थायी डीजीपी नियुक्त किए गए हैं.
बता दें कि, उत्तराखंड में मुख्य सचिव राधा रतूड़ी का कार्यकाल भी पूरा हो चुका है, लेकिन सरकार ने बीते दिनों ही उन्हें दूसरी बार 6 महीने का सेवा विस्तार दिया है. तभी से उम्मीद लगाई जा रही थी कि राज्य सरकार 30 सितंबर तक उत्तराखंड में स्थायी डीजीपी के नाम पर कोई फैसला लेगी, लेकिन तीन अक्टूबर तक भी इस कोई फैसला नहीं लिया गया.