उत्तराखंड

uttarakhand

ETV Bharat / state

उत्तराखंड में परमानेंट डीजीपी के नाम पर सस्पेंस, सुप्रीम कोर्ट के नोटिस से बढ़ी टेंशन! जानिए क्या है पूरा मामला? - Uttarakhand permanent DGP - UTTARAKHAND PERMANENT DGP

Uttarakhand permanent DGP, Supreme Court notice, Dehradun Latest News: उत्तराखंड में स्थायी डीजीपी की नियुक्त नहीं होने पर सुप्रीम कोर्ट ने राज्य सरकार को नोटिस जारी कर 6 सप्ताह में जवाब मांगा है. उम्मीद की जा रही है कि एक दो दिन में उत्तराखंड सरकार स्थायी डीजीपी के नाम पर फैसला लेगी. आप भी जानिए स्थायी डीजीपी की दौड़ में कौन-कौन अधिकारी हैं.

Uttarakhand DGP
पुलिस मुख्यालय, देहरादून (ETV Bharat)

By ETV Bharat Uttarakhand Team

Published : Oct 3, 2024, 6:29 PM IST

देहरादून: उत्तराखंड पुलिस के मुखिया की कुर्सी पर स्थायी तौर पर कौन बैठगा, इस सस्पेंस से अभीतक पर्दा नहीं उठ पाया है. बीती 30 सितंबर को इस पर फैसला होना था, लेकिन आज तीन अक्टूबर तक भी स्थिति साफ नहीं हो पाई है. इन सबके बीच सुप्रीम कोर्ट के एक नोटिस ने उत्तराखंड सरकार की थोड़ी टेंशन बढ़ा दी है. ऐसे में उम्मीद की जा रही है कि आगामी एक दो दिन में सरकार उत्तराखंड में स्थायी डीजीपी की नियुक्ति पर कोई बड़ा फैसला लेगी.

बता दें कि, फिलहाल आईपीएस अधिकारी अभिनव कुमार कार्यवाहक डीजीपी के तौर पर काम कर रहे हैं. वहीं, सुप्रीम कोर्ट ने डीजीपी की स्थायी नियुक्ति को लेकर केंद्र सरकार के साथ-साथ कुछ राज्यों को भी नोटिस जारी किया है. सुप्रीम कोर्ट ने 6 सप्ताह के अंदर सरकारों से जवाब मांगा है. यह नोटिस स्थायी नियुक्ति में आदेशों की अवहेलना को लेकर दिया गया है.

सुप्रीम कोर्ट ने सात राज्यों को जारी किया नोटिस: दरअसल, सुप्रीम कोर्ट ने उत्तराखंड के साथ-साथ आंध्र प्रदेश, उड़ीसा, पश्चिम बंगाल, उत्तर प्रदेश, तेलंगाना, चंडीगढ़ और झारखंड को डीजीपी की स्थायी नियुक्त को लेकर जारी किया. सुप्रीम कोर्ट के प्रधान न्यायाधीश (सीजेआई) डीवाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली तीन सदस्य पीठ ने सोमवार को सुनवाई के बाद यह नोटिस जारी किया है.

गौर हो कि राज्यों में डीजीपी की स्थायी नियुक्त को लेकर सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की गई थी. याचिकाकर्ता ने सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि 22 सितंबर साल 2000 के पुलिस सुधार फैसला के अनुसार राज्य में डीजीपी की स्थायी नियुक्ति होनी चाहिए, लेकिन कई राज्यों में इसका पालन नहीं हो रहा है. कई राज्य सरकार अपनी मनमर्जी से डीजीपी का नियुक्ति कर रहे हैं, जोकि सीधे-सीधे सुप्रीम कोर्ट के आदेशों की अवहेलना है क्योंकि इन सभी राज्यों ने अस्थायी डीजीपी नियुक्त किए गए हैं.

सुप्रीम कोर्ट की तरफ से जारी किया गया नोटिस. (PHOTO- supreme court)

बता दें कि, उत्तराखंड में मुख्य सचिव राधा रतूड़ी का कार्यकाल भी पूरा हो चुका है, लेकिन सरकार ने बीते दिनों ही उन्हें दूसरी बार 6 महीने का सेवा विस्तार दिया है. तभी से उम्मीद लगाई जा रही थी कि राज्य सरकार 30 सितंबर तक उत्तराखंड में स्थायी डीजीपी के नाम पर कोई फैसला लेगी, लेकिन तीन अक्टूबर तक भी इस कोई फैसला नहीं लिया गया.

उत्तराखंड सरकार की तरफ से भेजे गए नाम: दरअसल, 10 महीने बाद बीती 30 सितंबर को दिल्ली में स्थायी डीजीपी के नाम को लेकर डीपीसी (विभागीय पदोन्नति समिति) बैठक हुई थी. इसमें राज्य सरकार की तरफ से आईपीएस अधिकारी दीपम सेठ, पीवीके प्रसाद, अभिनव कुमार, अमित सिंह और संजय गुंज्याल का नाम भेजा गया था.

सबसे सीनियर अधिकारी दीपम सेठ: उत्तराखंड के कार्यवाहक डीजीपी अभिनव कुमार की बात करें तो वो 1996 बैच के आईपीएस अधिकारी है. वहीं दीपम सेठ 1995 बैच के आईपीएस अधिकारी हैं. पीवीके प्रसाद भी 1995 बैच के अधिकारी हैं. अमित कुमार सिंह और संजय गुंज्याल 1997 बैच के अधिकारी हैं. इसमें से से ही कोई एक अधिकारी उत्तराखंड पुलिस का स्थायी मुखिया होगा.

उत्तराखंड पुलिस के स्थायी डीजीपी के नाम पर जल्द होगा फैसला: बताया तो यहां तक जा रहा है कि एक दो दिनों में उत्तराखंड पुलिस के स्थायी डीजीपी के नाम पर फैसला हो जाएगा. अब इस मामले को राज्य सरकार भी ज्यादा देर तक नहीं टाल सकती है. क्योंकि राज्य सरकार को 6 सप्ताह के भीतर सुप्रीम कोर्ट में जवाब देना है.

जानिए डीजीपी की स्थायी नियुक्ति का नियम: नियमों के तहत विशिष्ट परिस्थितियों में बहुत जरूरी होने पर ही सरकार कार्यवाहक या फिर अस्थायी डीजीपी नियुक्ति कर सकती है. पुलिस सुधार फैसले में सुप्रीम कोर्ट के स्पष्ट निर्देश हैं कि डीजीपी की नियुक्ति से पहले राज्य सरकारें यूपीएससी से परामर्श करेंगी. इसके बाद वर्तमान डीजीपी के रिटायर्ड होने से तीन महीने पहले योग्ग अधिकारियों के नाम पैनल यूपीएससी को भेजा जाएगा. इसके बाद योग्यता, अनुभव और सीनियरिटी के आधार पर यूपीएससी तीन नामों के पैनल तैयार करेगा, जिसमें से किसी एक नाम पर राज्य सरकार को अपनी मुहर लगानी होगी. रिटायरमेंट की तिथि कुछ भी क्यों न हो, नियुक्ति कम से कम दो सालों के लिए होगी.

पढ़ें--

ABOUT THE AUTHOR

...view details