उत्तराखंड में GST बायोमेट्रिक प्रमाणीकरण प्रक्रिया शुरू (VIDEO-ETV Bharat) देहरादूनः जीएसटी रजिस्ट्रेशन को लेकर बायोमेट्रिक ऑथेंटिकेशन (प्रमाणीकरण) प्रक्रिया शुरू करने वाला उत्तराखंड देश का चौथा और उत्तर भारत का पहला राज्य बन गया है. जीएसटी में होने वाले फर्जीवाड़े पर लगाम लगाते हुए अब जीएसटी धारकों को बायोमेट्रिक प्रमाणीकरण की अतिरिक्त प्रक्रिया से गुजरना पड़ेगा. उत्तराखंड जीएसटी विभाग ने 31 जुलाई से इसकी शुरुआत कर दी है. उत्तराखंड में इसका शुभारंभ वित्त मंत्री प्रेमचंद अग्रवाल ने रिबन काटकर किया.
बुधवार को कार्यक्रम के दौरान वित्त मंत्री अग्रवाल ने बताया कि नई दिल्ली में हुई जीएसटी परिषद की 53वीं बैठक में चरणबद्ध रूप से अखिल भारतीय स्तर पर पंजीकरण आवेदकों के लिए बायोमेट्रिक आधारित आधार प्रमाणीकरण यानी बायोमेट्रिक बेस्ड आधार ऑथेंटिकेशन को लागू करने की सिफारिश की गई थी. इस दिशा में आगे बढ़ते हुए उत्तराखंड में बायोमेट्रिक बेस्ड आधार ऑथेंटिकेशन व्यवस्था लागू की गई है.
उत्तर भारत का पहला राज्य: देश में बायोमेट्रिक आधारित आधार प्रमाणीकरण लागू करने वाला उत्तराखंड चौथा राज्य और उत्तर भारत का पहला राज्य है. इससे पहले गुजरात, पुडुचेरी और आंध्र प्रदेश में यह व्यवस्था है.
रुकेगा फर्जीवाड़ा: मंत्री अग्रवाल ने बताया कि इस व्यवस्था के बाद GST रजिस्ट्रेशन के लिए आने वाले डमी नाम के अलावा गलत तरीके से जीएसटी रजिस्ट्रेशन लेने वाले लोगों पर लगाम लगेगी. क्योंकि इसमें बायोमेट्रिक रजिस्ट्रेशन के जरिए जीएसटी धारक का ऑथेंटिकेशन किया जाएगा.वहीं इसके अलावा टैक्स चोरी पर भी लगाम लगेगा. इसके लिए शुरुआत में राज्य कर विभाग के प्रत्येक कार्यालय में जीएसटी सुविधा केंद्र स्थापित किया गया है. जिसके माध्यम से डॉक्यूमेंट का सत्यापन और बायोमेट्रिक ऑथेंटिकेशन सुनिश्चित किया जाएगा. पूरे राज्य में हाथ से बायोमेट्रिक ऑथेंटिकेशन के लिए 22 जीएसटी सुविधा केंद्र स्थापित किए गए हैं. जहां 37 अलग-अलग काउंटर लगाए गए हैं.
गुजरात में दर्ज की गई भारी कमी: बता दें कि बायोमेट्रिक ऑथेंटिकेशन करने वाले राज्यों में शामिल गुजरात राज्य इस प्रक्रिया के लागू किए जाने के बाद जीएसटी रजिस्ट्रेशन एप्लीकेशन में लगभग 55 फीसदी की कमी दर्ज की गई है. इसी को देखते हुए यह अंदाजा लगाया जा रहा है कि उत्तराखंड में भी 100 करोड़ से 150 करोड़ तक की टैक्स चोरी बताई जा सकती है.
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