चन्दौली :बाबा कीनाराम मठ में आज से जन्मोत्सव कार्यक्रम की शुरुआत हो रही है. यह कार्यक्रम 3 सितंबर तक चलेगा. आज सीएम योगी भी इस कार्यक्रम में शामिल होंगे. वह रामगढ़ स्थित बाबा कीनाराम आश्रम में करीब एक घंटे तक रहेंगे. दर्शन-पूजन के साथ ही वह लोगों को संबोधित भी करेंगे. इसके अलावा इस पौराणिक महत्व के स्थल को पर्यटन से जोड़ने के साथ ही करोड़ों के विकास कार्यों की सौगात भी देंगे. सीएम योगी दोपहर 3 बजे बाबा कीनाराम इंटर कॉलेज पहुंचेंगे. वह बाबा कीनाराम जन्मस्थली का अवलोकन करेंगे.
जिलाधिकारी निखिल फुंडे बताया कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ रविवार को चन्दौली दौरे पर रहेंगे. यहां वह बाबा कीनाराम जन्मोत्सव कार्यक्रम में शामिल होंगे. एसपी ने बताया कि जन्मोत्सव पर मेला भी लगेगा. इसमें पुलिस के साथ पीएसी को भी तैयार किया जाएगा. सुरक्षा के मद्देनजर 6 सीओ, 11 इंस्पेक्टर, 109 एसआई, 14 महिला दरोगा, 337 मुख्य आरक्षी/ आरक्षी, 54 महिला आरक्षी, 27 यातायात पुलिसकर्मी, 1 कंपनी, 2 प्लाटून पीएसी, अग्निशमन दल को लगाया गया है. सीसीटीवी कैमरे से मेला क्षेत्र की निगरानी की जाएगी. एंटी रोमियो स्क्वायड को भी लगाया गया है.
दो संतों का होगा समागम :बाबा कीनाराम जन्मोत्सव के संयोजक अजित सिंह ने बताया कि योगी आदित्यनाथ की यह तीसरी आध्यात्मिक यात्रा है. इससे पूर्व में भी वह इस पीठ पर 2019 और 2021 में भी आ चुके है. उनकी यह यात्रा एक मुख्यमंत्री के तौर पर नहीं बल्कि गोरक्ष पीठ के पीठाधीश्वर के तौर हो रही है. यहां उनकी मुलाकात अघोर पंथ के पीठाधीश्वर सिद्धार्थ राम गौतम से होगी. रविवार का दिन 2 संतों के समागम का संयोग होगा. यह पीठ रहस्यों से परिपूर्व और अध्यात्म की अमानत है. यहां से जो एक ऊर्जा निकलती निकलती है उसे पूरे भारत भूमि पर बिखेरने का एक प्रयास है.
चमत्कारों से भरा रहा है संत कीनाराम का जीवन :संत शिरोमणि अघोराचार्य बाबा कीनाराम का जन्म 1601 में चंदौली के रामगढ़ गांव में भाद्रपद के शुक्ल पक्ष में अकबर सिंह के घर पर हुआ था. बचपन से ही उनका स्वभाव विरक्त था. 12 साल की अल्प आयु में ही उनका विवाह हो गया था. बताया जाता है कि पत्नी की मौत से पहले ही उन्हें इसका आभास हो गया था. इस पर लोग हैरान रह गए थे. वह एक जगह नहीं रुकते थे. वह एक बार घूमते-घूमते बलिया जिले के कामेश्वर धाम पहुंच गए. यहां रामानुजी संप्रदाय के संत शिवराम को उन्होंने अपना गुरु बना लिया. गुरु ने अपनी शिष्य की प्रतिभा पहचान ली. कुछ समय के बाद वह यहां से भी निकल लिए.
जुल्मी जमींदार भी बन गया शिष्य :1669 तक अघोर संप्रदाय के मुखिया के रूप में वह प्रतिस्थापित थे. एक बार बाबा कीनाराम रास्ते से गुजर रहे थे. इस दौरान उन्होंने देखा कि एक बुजुर्ग महिला रोए जा रही थी. उसने बताया कि उसके इकलौते बेटे बीजाराम को जमींदार लगान न चुकाने पर पकड़ ले गए हैं. कीनाराम मदद के लिए पहुंचे तो देखा कि युवक को बंदी बनाया गया था. इस पर बाबा ने कहा कि जहां युवक बैठा वहीं की जमीन के नीचे काफी दौलत दबी है. उसे लेकर युवक को छोड़ दिया जाए. खोदाई में वाकई में वहां खजाना मिला था. इससे प्रभावित होकर जमींदार उनका भक्त बन गया. उधर महिला ने बेटे के संत के सुपुर्द कर दिया. बाद में वह कीनाराम बाबा की महासमाधी के बाद वाराणसी में मठ का उत्तराधिकारी बना.