लखनऊ: उत्तर प्रदेश की सभी बिजली कंपनियों में पुराने 2जी और 3जी तकनीकी के लगाए गए लगभग 12 लाख स्मार्ट मीटर और वर्तमान में आरडीएसएस योजना के तहत लगाये जा रहे 27000 करोड़ के स्मार्ट प्रीपेड मीटर के मामले पर विद्युत नियामक आयोग ने बड़ा कदम उठाया है. यूपीपीसीएल के प्रबंध निदेशक सहित अध्यक्ष पावर कारपोरेशन को सख्त निर्देश भेजते हुए 15 दिन में पूरे मामले की रिपोर्ट तलब की है. आयोग की सख्ती के बाद बिजली कंपनियों में हडकंप मच गया है.
दो घंटे में आनी चाहिए बिजलीः उत्तर प्रदेश विद्युत नियामक आयोग के सचिव की तरफ से जारी निर्देश में पावर कारपोरेशन के प्रबंध निदेशक व अध्यक्ष से 15 दिन में पूरी स्टेटस रिपोर्ट मांगी गई है. सख्त निर्देश दिए गए हैं कि विद्युत नियामक आयोग के बनाए गए कानून में स्मार्ट मीटर के डिस्कनेक्ट होने पर बकाया जमा करने पर हरहाल में दो घंटे में विद्युत आपूर्ति जुड़ जाने का प्रावधान है, लेकिन कई घंटे तक बिजली आपूर्ति बहाल नहीं होती.
आयोग ने ब्योरा मांगाः आयोग ने इसे गंभीरता से लिया है. आयोग ने यह भी कहा है कि जब वर्ष 2018 में रोल आउट प्लान अप्रूव किया गया था तो उसमें स्पष्ट किया गया था कि स्मार्ट मीटर रिमोट कनेक्ट होंगे और डिस्कनेक्ट होंगे फिर भी मैन्युअली क्यों काम कर रहे हैं? विद्युत नियामक आयोग में पुराने स्मार्ट मीटर और वर्तमान में आरडीएसएस स्कीम के तहत लगाए जा रहे मीटरों के मामले में पूरा ब्योरा तलब किया है.
कंपनियों से ये कहाः कहा है कि अप्रैल 2024 के बाद से हर महीने रिपोर्ट आयोग को भेजिए, जिसमें अनिवार्य रूप से बिजली कंपनियों को यह बताना होगा कितने मीटर एनर्जी एफिशिएंसी सर्विसेज लिमिटेड और आरडीएसएस स्कीम के तहत लगाए गए और कितने मीटर रिमोटली रीडिंग दे रहे हैं और बिलिंग कर रहे हैं. प्रीपेड पोस्टपेड व टीओडी सहित नेट मीटरिंग की स्थिति क्या है? उसका प्रतिशत कितना है? मीटर की कांफिगर्ड फ्रीक्वेंसी क्या है? बिजली चोरी स्मार्ट मीटर के प्रकरण कितने हैं? अधिक भार पर कितने मीटर के मामले सामने आए? स्मार्ट मीटर लगने के बाद बिलिंग कलेक्शंस एफिशिएंसी में क्या सुधार हुआ?
मैन्युअली काम कर रहेः उत्तर प्रदेश राज्य विद्युत उपभोक्ता परिषद के अध्यक्ष अवधेश कुमार वर्मा ने मुद्दा उठाया कि बिजली कंपनियों में जो पुराने 12 लाख स्मार्ट मीटर लगे हैं वह पूरी तरीके से मैन्युअली काम कर रहे हैं. कहने को स्मार्ट मीटर हैं, लेकिन काम साधारण मीटर की तरह कर रहे हैं. स्मार्ट मीटर के उपभोक्ताओं का बकाया पर बिजली कनेक्शन कट जाता है, पर पैसा जमा होने के बाद आठ से 10 घंटे तक बिजली आपूर्ति बहाल नहीं हो पाती. अनेकों मामलों में कई दिन लग जाते हैं जिससे उपभोक्ता परेशान होता है.
27 हजार करोड़ की योजना हैः प्रदेश की बिजली कंपनियों की महत्वाकांक्षी योजना जो वर्तमान में सभी बिजली कंपनियों में 27 हजार करोड़ के स्मार्ट प्रीपेड मीटर लगाए जा रहे हैं वह आज तक पावर कारपोरेशन के बिलिंग आरएमएस सर्वर से इंटीग्रेटेड नहीं हो पाए हैं. इसकी वजह से वह भी पोस्टपेड मोड में मैन्युअली ही काम कर रहे हैं, जो अपने आप में गंभीर मामला है. जब प्रोजेक्ट शुरू होते ही ये हाल है तो आने वाले समय में इसका क्या हाल होगा? प्रदेश में 40 हजार से 45 हजार स्मार्ट प्रीपेड मीटर उपभोक्ताओं के परिसर पर लगा दिए गए आखिर मीटर लगाने के पीछे किसका हाथ है.