वाराणसी: 'लश्कर भी तुम्हारा है, सरदार भी तुम्हारा है, तुम झूठ को सच लिख दो, अखबार तुम्हारा है.' बनारस के बुनकर आज कुछ यही लाइनें बोल रहे हैं. बनारस का विकास और तमाम योजनाएं चलाए जाने के दावे सरकार और यहां के सासंद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जरूर करते हैं. मगर बनारस में मुस्लिम का गढ़ कहे जाने वाले पीलीकोठी मुस्लिम इलाके के लोग इस बात को मानने से इनकार कर रहे हैं.
इनके पास कई वजहें भी हैं. बुनकर पलायन कर रहे हैं, बिजली के दाम बढ़े हैं और फिर महंगाई चरम पर पहुंच गई है. इनका कहना है कि यह विकास का दावा सिर्फ एक दिखावा है. काशी का बुनकर भुखमरी के कगार पर है.
बुनकर पलायन को मजबूर:पीलीकोठी में रहने वाले लोगों का कहना है कि बुनकर बहुत परेशान हैं. अधिकतर बुनकर पलायन कर गए हैं. मुलायम सिंह यादव की जब सरकार थी तो उन्होंने बुनकरों को बिजली के बिल में रियायत देने का काम किया था. बुनकर उनसे खुश था. बिजली का रेट पहले 62 रुपए था, आज ये लोग 400 पार कर दिए हैं. 860 रुपये बिल हो गया है. आज बुनकर भुखमरी के कगार पर है. भाजपा की सरकार बस मंदिर-मस्जिद, हिन्दुस्तान-पाकिस्तान और मुसलमान का नाम लेने का काम करती है.
बनारस के सांसद पीएम मोदी को दिया जीरो नंबर:लोगों का कहना है कि पीएम मोदी मंगलसूत्र की बात करते हैं. वे खुद अपनी पत्नी के मंगलसूत्र की इज्जत नहीं रख सके. वे दूसरों की बात करते हैं. बनारस का बुनकर सूरत, महाराष्ट्र, हरियाणा कहां-कहां चला जा रहा है. देश की हालत आज किसी से नहीं छिपी है. कारोबार की स्थिति दयनीय और चौपट हो चुकी है. सब कुछ उसी पर निर्भर करता है.
दवा, सिलेंडर और राशन बहुत महंगा हो गया है. इस बार मिजाज में हम लोगों के यही है. 500 रुपये जब सिलेंडर था तब मनमोहन सिंह की सरकार थी. तब ये लोग बहुत ढिंढोरा पीट रहे थे. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी गरीबों के बारे में सोच ही नहीं रहे हैं. बनारस के विकास के नाम पर हम सांसद के तौर पर पीएम मोदी को जीरो नंबर देंगे.
रोजगार के नाम पर युवाओं को मिल रहीं लाठियां:युवाओं के रोजगार की बात पर यहां के युवाओं का कहना है कि वैकेंसी निकल रही है, कैंसिल हो जा रही हैं. युवाओं को रोड पर मारा जा रहा है. स्टार्ट-अप के नाम पर पकौड़ा तलने की बात करते हैं. सरकार सिर्फ धर्म, जातिवाद और परिवारवाद की बात करती है. बनारस में सबसे बड़ा मुद्दा बेरोजगारी का है.
यहां पर अधिकतर मुस्लिम वर्ग के युवा बुनकरी का काम करते हैं. आज हमारा काम बंद है और इसकी वजह से बुनकर पलायन कर चुके हैं. हर परिवार से दूसरा-तीसरा व्यक्ति बाहर है. महंगाई और बेरोजगारी चरम पर है. दवाई और पढ़ाई जीवन के लिए बहुत जरूरी है. दोनों ही चीजें महंगी हो गई हैं. बनारस की गलियों के हालात खराब हैं. बनारस के लोग इस बार सरकार बदलने के मूड में हैं.
नोटबंदी और जीएसटी ने तोड़ दी व्यापार की कमर:यहां के लोगों का कहना है कि जब से सरकार ने नोटबंदी की और जीएसटी लागू किया तब से व्यापारियों की कमर तोड़ दी है. आज जीएसटी की वजह से सारा व्यापार बंद हो गया है और पूरा माल डंप हो गया है. बनारस का साड़ी कारोबार गंगा-जमुनी तहजीब का प्रतीक है. सन् 1600 से व्यापार शुरू हुआ है.
इस व्यापार में तमाम जाति, धर्म और वर्ग के लोग शामिल हैं. इस समय हालात ये हैं कि बनारस का अधिकांश पावरलूम और हथकरघा बंद की स्थिति में है. ये लोग रिक्शा चला रहे हैं, आलूचाप बेच रहे हैं, सब्जी बेच रहे हैं. जिस तरह से इन्होंने टैक्सेशन किया है उस वजह से बनारसी प्रोडक्ट काफी महंगे पड़ रहे हैं. प्रोडक्ट बिक नहीं रहे हैं.