बदायूं: नेपाल और उत्तराखंड में हो रही भारी बारिश का असर उत्तर प्रदेश में दिखने लगा है. नेपाल और उत्तराखंड से छोड़ा गया पानी यूपी की नदियों में उफान ला रहा है. जो गांवों में घुस रहा है. बात यूपी के बदायूं जनपद की करें तो यहां के सहसवान तथा दातागंज क्षेत्र अंतर्गत गंगा और रामगंगा नदियों में बाढ़ की स्थिति है, जिससे इन इलाकों में काफी गांव प्रभावित हुए हैं.
दातागंज इलाके से रामगंगा नदी होकर गुजरती है. रामगंगा नदी से दातागंज इलाके के लगभग दो दर्जन गांव प्रभावित हुए हैं. गंगा किनारे बसा बेला दांडी में सैकड़ों की संख्या में पशु बाढ़ में फंस गए हैं, जो ज्यादा पानी के कारण टापू पर फंस गए हैं. अब वहां से बाहर नहीं आ पा रहे हैं.
बदायूं में बाढ़ की स्थिति पर संवाददाता समीर की खास रिपोर्ट. (वीडियो क्रेडिट; Etv Bharat) बेला दांडी इलाके के रहने वाले किसान ईटीवी भारत की टीम को इलाके में अपनी घोड़ी ढूंढते हुए मिले. टीम ने जब उनसे बात की तो उन्होंने बताया कि उनकी लगभग 80 हजार रुपए की घोड़ी लगभग 10 दिन पूर्व रात के समय घर से खूंटा तोड़कर भाग गई थी. रात में ही गंगा का जलस्तर बहुत ज्यादा बढ़ गया. जिस कारण से घोड़ी का कुछ पता नहीं चल पा रहा है.
प्रशासन से भी कोई सहायता नहीं मिल पा रही है. वह कई दिन से घोड़ी की खोजबीन में लगे हैं लेकिन, गंगा में बाढ़ का पानी काफी ज्यादा है, जिसकी वजह से वह गंगा के बीच बने टापू पर भी नहीं पहुंच पा रहे हैं. उन्होंने बताया कि तमाम किसानों की गाय भैंस जो जंगल में चरने गई थीं वह अचानक पानी आ जाने से वहां पर ही फंस गई हैं.
हालांकि बाढ़ का पानी ग्रामीण क्षेत्रों में कुछ कम तो हुआ है पर गंगा किनारे बसे गांव अभी भी पूरी तरह बाढ़ के कहर से नहीं बच पाए हैं. ग्रामीणों का कहना है कि आज रात या कल सुबह तक डैम से छोड़ा गया पानी फिर से आने की उम्मीद है, जिससे स्थिति एक बार फिर भयावह हो सकती है.
बदायूं में दुल्हन ने बैलगाड़ी से किया बाढ़ के पानी को पार. (वीडियो क्रेडिट; Etv Bharat) बदायूं की बाढ़ में चली बैलगाड़ी, दुल्हन को पार कराया पानी: बदायूं शादियों का सीजन चल रहा है, जहां एक तरफ देश में अनंत अंबानी की शादी के चर्चे हैं. वहीं बदायूं में एक ऐसी शादी चर्चा का विषय बनी हुई है, जिसमें दुल्हन बाढ़ का पानी पार करके अपने पिया के घर पहुंची है. उसने विदा के बाद बोलेरो डनलप और नाव तक का सफर तय किया. उसके बाद वह ससुराल पहुंच पाई. यह शादी भी पूरे इलाके में चर्चा का विषय बनी हुई है.
मामला हजरतपुर थाना क्षेत्र इलाके के नवादा वरन गांव का है. यहां के रहने वाले मोनू पुत्र लटूरी की शादी सिकंदरपुर जिला शाहजहांपुर से तय हुई थी. मोनू की बारात जाने को तैयार थी, तब इलाके में थोड़ा पानी था, जिससे बारात बोलेरो और बस द्वारा सिकंदरपुर गांव चली गई. उसी रात इलाके में बाढ़ का पानी बढ़ गया. सुबह को जब मोनू अपनी पत्नी को विदा कराकर बोलोरो गाड़ी से गांव पहुंचा तो पूरा इलाका जलमग्न था.
इसके बाद लोगों ने राय दी कि नई बहू को गहरे पानी में नाव द्वारा पार करवाया जाए गांव के नजदीक पहुंचने पर नई नवेली दुल्हन को डनलप पर बिठाकर उसके घर तक पहुंचाया जाए. इसके बाद मोनू और उसकी नई नवेली दुल्हन को डनलप पर बैठा कर गांव के रास्ते पर ले जाया गया. पूरे रास्ते इलाके का एक आदमी आगे डंडा लेकर चला जो डनलप के आगे पानी की गहराई को डंडे से देखता रहा, जिससे दूल्हे के साथ आई दुल्हन कहीं बाढ़ के गहरे पानी की चपेट में ना आ जाए. मोनू की शादी की चर्चा पूरे इलाके में है.
गोरखपुर में बाढ़ का कहर, 24 गांव बने टापू: गोरखपुर के 24 गांव बाढ़ के पानी से बुरी तरह घिर गए हैं. इन गांवों के लोग या तो बाढ़ रहात शिविर में शरण लिए हैं, या फिर नाव के सहारे अपनी दिनचर्या को आगे बढ़ा रहे हैं. कमिश्नर, डीएम,एसएसपी,डीआईजी से लेकर आपदा विभाग की टीम बाढ़ प्रभावित क्षेत्र का दौरा कर रहे हैं. तो मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के निर्देश पर बाढ़ प्रभावितों के बीच में, जनप्रतिनिधियों की मौजूदगी में राहत सामग्री का वितरण भी शुरू हो चुका है. 30 बांधों के रेन कट भी बाढ़ के पानी के दबाव से भर गए हैं, जिससे कटान होने का खतरा बढ़ता जा रहा है. स्कूली बच्चे नाव पर सवार होकर स्कूलों को जा रहे हैं तो, लोगों को पीने के पानी का संकट उत्पन्न हो रहा है तो भी नाव ही उसमें सहारा बन रही है. राप्ती नदी खतरे के निशान से 28 सेंटीमीटर ऊपर बह रही है. केंद्रीय जल आयोग के कर्मचारी यहां मौजूद रहकर लगातार नदी के जल स्तर की निगरानी कर रहे हैं.
लखीमपुर खीरी में मोहाना कर्णाली शारदा घाघरा का उफान थमा पर: लखीमपुर खीरी-खीरी जिले में आने वाली नेपाली नदियों मोहाना कर्णाली का जलस्तर कम हो गया है. शारदा और घाघरा का उफान भी कम हो गया. पर बाढ़ के बाद अब लोगों की मुसीबतें कम होने का नाम नहीं ले रहीं. बाढ़ से पिछले 24 घन्टो में डूबकर तीन और लोगों की मौत हो चुकी है. लोगों के पास खाने और पीने के पानी की भी समस्या हो रही. प्रशासन बराबर लोगों को राहत पहुंचाने का दावा कर रहा पर राहत दूर दराज के गांवों तक नहीं पहुंच पा रही. खीरी जिले में चार तहसीलों के करीब 300 गांव बाढ़ जाने के बाद कटी सड़कों, पुलिया और घरों में बाढ़ में बहकर आए गाद की मार झेल रहे हैं. फसलें बड़े पैमाने पर तबाह हो गई हैं. दो लाख से ज्यादा आबादी बाढ़ के बाद आने वाली बीमारियों की चुनौती झेल रही हैं.
मगरमच्छों का भी आतंक:बाढ़ के बाद जहरीले सांपों और मगरमच्छों का कर भी खीरी जिले में देखने को मिल रहा है. खीरी थाना क्षेत्र के सुकेतु में शुक्रवार को एक लड़के को मगरमच्छ खींच ले गया. शोर मचाया गया तो आसपास के लोगों ने मगरमच्छ के चंगुल से लड़के को छुड़ाया पर तब तक मगरमच्छ उसका सिर और पैर खो गया था. थोड़ी ही देर बाद लड़के की मौत हो गई. खीरी थाना क्षेत्र के जड़ी के पास शारदा नदी के किनारे एक मगरमच्छ पहुंच गया. यही रहने वाले रामाधार का 12 साल का बेटा कुलदीप भैंस को चारा देने गया था. जब वह पानी में घुसा तभी उसे मगरमच्छ ने खींच लिया. उसने शोर मचाया तो आसपास के लोग पहुंचे. पर तब तक मगरमच्छ उसके सिर और पैर को मगर चबा गया था. कुछ देर बाद कुलदीप की मौत हो गई.
डीएम व एसपी हरदोई ने किया बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों का भ्रमण: आज जिलाधिकारी मंगला प्रसाद सिंह व पुलिस अधीक्षक केशव चन्द्र गोस्वामी ने सदर तहसील के बावन विकास खण्ड के बाढ़ प्रभावित ग्रामों का दौरा किया. उन्होंने एजा फॉर्म के पास बाढ़ की स्थिति देखी तथा ग्रामीणों से संवाद किया. जिलाधिकारी ने उन्हें बताया कि पानी का बहाव ऊपरी धारा से सामान्य हो गया है. अब पानी कम होना शुरू हो जाएगा. उन्होंने सम्बंधित अधिकारियों को निर्देशित किया कि जब तक बाढ़ की स्थिति रहती है तब तक प्रभावित लोगों की सहायता के लिए लगातार बाढ़ प्रभावित क्षेत्र में रहें. मुख्य चिकित्सा अधिकारी को निर्देशित किया कि बीमार लोगों की सहायता के लिए स्वास्थ्य विभाग की टीम को प्रभावित क्षेत्र में अनवरत तैनात रखा जाए. आवश्यकता पड़ने पर बीमारों व गर्भवती महिलाओं को एम्बुलेंस से अस्पताल पहुंचाने की व्यवस्था की जाए.
पीलीभीत में कहीं टूटा पुल तो कहीं रोड बनी मुसीबत: पीलीभीत में 8 जुलाई को जिले में आया बाढ़ का पानी अब निचले इलाकों की ओर रुख कर चुका है. जिले के हालात सामान्य हो गए हैं. जिले के किसी भी इलाके में अब जलभराव जैसी स्थिति नहीं है. लेकिन लोगों की जिंदगी बाढ़ के बाद पटरी पर नहीं लौट पा रही है. जिसकी बड़ी वजह है कि बाढ़ के पानी के तेज बहाव के चलते जिले में कई पुल व रोड क्षतिग्रस्त हो गईं. जिसके चलते जिले भर के आधा दर्जन से अधिक रोड अभी बंद हैं. अधिकारी इन इलाकों में निरीक्षण कर लगातार सभी पुलों को दुरुस्त करने की कवायद में लगे हैं. ताकि आवागमन शुरू कराया जा सके.
रामपुर नदियों का बढ़ा जलस्तर, जिला प्रशासन हुआ सतर्क: उत्तर प्रदेश का रामपुर उत्तराखंड की सीमा से सटा हुआ जनपद है. यही कारण है कि यहां पर कोसी गंगा और पीलाखार जैसी प्रमुख नदियां जलस्तर बढ़ने से लोगों की धड़कने तेज करने में कोई कोर कसर बाकी नहीं छोड़ती है. पहाड़ों पर बारिश हो रही है और धीरे-धीरे इन नदियों का जल स्तर बढ़ने लगा है. बाढ़ की स्थिति पर नियंत्रण बनाए जाने को लेकर जिला प्रशासन की अगुवाई में नहर विभाग की ओर से 35 बाढ़ चौकियां स्थापित की गई हैं. साथ ही कंट्रोल रूम भी बनाया गया है. आज जिलाधिकारी जोगेन्दर सिंह ने कोसी नदी का निरीक्षण किया. नदी के पास जो भी गांव हैं वहां के लोगों को सावधान रहने को कहा है.
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