नई दिल्ली: केंद्रीय वित्त मंत्री द्वारा संसद में पेश किए गए केंद्रीय बजट 2025-26 को लेकर रेलवे कर्मचारियों और श्रमिक संगठनों में गहरी नाराजगी देखी जा रही है. राष्ट्रीय भारतीय रेल कर्मचारी महासंघ (एनएफआईआर) ने इसे श्रमिक वर्ग और आम जनता के लिए निराशाजनक बताया है. एनएफआईआर के महासचिव डॉ. एम. राघवैया ने कहा कि यह बजट रेलवे के कर्मचारियों की चिंताओं और रेलवे के बुनियादी ढांचे के विकास को लेकर उदासीन नजर आता है.
रेलवे के निजीकरण की दिशा में कदम: एनएफआईआर के महासचिव ने बजट को सरकारी संपत्तियों के मौद्रीकरण और निजीकरण को बढ़ावा देने वाला बताया. उन्होंने कहा कि सरकार की नीति रेलवे जैसे सार्वजनिक उपक्रमों में निजी कंपनियों की भागीदारी बढ़ाने की ओर इशारा कर रही है. इस बजट में रेलवे में नई भर्ती या स्थायी रोजगार के अवसरों पर कोई स्पष्ट घोषणा नहीं की गई, जिससे बेरोजगारी की समस्या गहराने की आशंका है. रेलवे क्षेत्र में कई प्रमुख सुधारों की उम्मीद की जा रही थी, लेकिन सरकार ने रेलवे के आधुनिकीकरण और नई परियोजनाओं को लेकर कोई ठोस योजना पेश नहीं की. इसके अलावा, सरकार द्वारा रेलवे के घाटे को कम करने के लिए खर्चों में कटौती की जा रही है, जिससे कर्मचारियों की सुरक्षा और यात्री सुविधाओं पर नकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है.
महंगाई और वेतनभोगियों को राहत नहीं मिली: रेलवे कर्मचारियों को उम्मीद थी कि इस बजट में महंगाई भत्ता (डीए) और महंगाई राहत (डीआर) पर कोई ठोस निर्णय लिया जाएगा, लेकिन वित्त मंत्री ने इस पर कोई स्पष्ट घोषणा नहीं की. केंद्र सरकार के कर्मचारियों और पेंशनभोगियों को महंगाई भत्ते में बढ़ोतरी की उम्मीद थी, लेकिन बजट में इस पर कोई ध्यान नहीं दिया गया, जिससे लाखों सरकारी कर्मचारियों को झटका लगा है. सरकार ने बढ़ती महंगाई और आवश्यक वस्तुओं की कीमतों में वृद्धि को नियंत्रित करने के लिए कोई विशेष योजना पेश नहीं की. एनएफआईआर ने कहा कि यदि सरकार महंगाई को नियंत्रित करने के लिए आवश्यक कदम नहीं उठाती है, तो इसका प्रभाव आम जनता और श्रमिक वर्ग पर भारी पड़ेगा.