गोरखपुर : चौरी चौरा विद्रोह की बरसी पर महुआ डाबर संग्रहालय ने सेंट एंड्रयूज पीजी कॉलेज, गोरखपुर में दुर्लभ दस्तावेजों की प्रदर्शनी का आयोजन किया. इस ऐतिहासिक प्रदर्शनी में स्वतंत्रता संग्राम से जुड़े अनेक प्रमाणिक दस्तावेज, ऐतिहासिक तस्वीरें और अदालती रिपोर्टें प्रस्तुत की गईं. संग्रहालय के महानिदेशक डॉ. शाह आलम राना जो एक क्रान्तिकारी के पुत्र हैं और भारतीय क्रांतिकारी आंदोलन के गहरे शोधकर्ता भी. वह इस क्षेत्र में दो दशक से अधिक समय से इस विषय पर कार्य कर रहे हैं.
ETV Bharat (Video Credit; ETV Bharat) प्रदर्शनी में चौरी चौरा विद्रोह से जुड़े अनेक दुर्लभ दस्तावेज भी प्रदर्शित किए गए, जिनमें चौरी चौरा विद्रोह से जुड़े सरकारी टेलीग्राम, ब्रिटिश अधिकारियों के तरफ से खींची गई दुर्लभ तस्वीरें, गोरखपुर सत्र न्यायालय के फैसले, फांसी पाए स्वतंत्रता सेनानियों की दया याचिकाएं, और अखबारों में प्रकाशित रिपोर्टें शामिल थीं. इन दस्तावेजों ने न केवल चौरी चौरा घटना की ऐतिहासिकता को प्रमाणित किया, बल्कि इस घटना के सामाजिक और राजनीतिक प्रभावों को भी स्पष्ट किया.
ETV Bharat (Photo Credit; ETV Bharat) डॉ. शाह आलम राना के अनुसार, महुआ डाबर संग्रहालय का उद्देश्य इन ऐतिहासिक दस्तावेजों को संरक्षित करना और नई पीढ़ी को उनके क्रांतिकारी इतिहास से परिचित कराना है. उन्होंने बताया कि उनका परिवार 1857 के महुआ डाबर क्रांतिकारी आंदोलन के महानायक जफर अली के वंशजों में से है, जिन्होंने अंग्रेजी हुकूमत के खिलाफ संघर्ष किया था.
ETV Bharat (Photo Credit; ETV Bharat) डॉ. शाह आलम राना ने चंबल के बीहड़ों को अपना कार्यक्षेत्र बनाया और वहां क्रांतिकारी धरोहरों की खोज और संरक्षण का कार्य कर रहे हैं. उनकी यह प्रदर्शनी केवल चौरी चौरा विद्रोह ही नहीं, बल्कि भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के गहरे और अनछुए पहलुओं को उजागर करने का माध्यम बनीं. इस प्रदर्शनी में शोधकर्ताओं, इतिहास प्रेमियों और विद्यार्थियों की बड़ी संख्या में भागीदारी देखी गई, जिन्होंने इन ऐतिहासिक दस्तावेजों से महत्वपूर्ण जानकारियां प्राप्त कीं.
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