जगदलपुर :छत्तीसगढ़ का बस्तर क्षेत्र पिछले चार दशकों से नक्सल हिंसा का दंश झेल रहा है.इस दौरान कई सरकारें आईं और गई.लेकिन नक्सल समस्या का कोई ठोस हल नहीं निकल पाया. साल 2000 में जब नए राज्य का गठन हुआ तो सभी को उम्मीद थी कि इस ओर सरकार बड़ा कदम उठाएगी.लेकिन सरकार के दावों और हकीकत को देखें तो कहीं भी समस्या का समाधान होता नहीं दिख रहा.
नई सरकार से नई उम्मीद :छत्तीसगढ़ में साल 2023 में एक बार फिर चुनाव हुए.जनता ने कांग्रेस को हटाकर नई सरकार को सत्ता की कुर्सी में बैठाया.जिसके बाद फिर से एक ही सवाल मन में उठा कि नक्सल समस्या का हल क्या होगा.नई सरकार के गठन के बाद से अब तक नक्सली हिंसा में तेजी देखी गई.जिसके बाद नए गृहमंत्री विजय शर्मा ने नक्सलियों से बात करने का खुला ऑफर दे दिया.
नक्सली जैसे चाहे सरकार बात करने को तैयार :गृहमंत्री ने कहा कि नक्सली जिस तरीके से चाहते हैं वो बात करने को तैयार हैं. गृहमंत्री के इस ऐलान के बाद नक्सलियों की ओर से जवाब आया है. जिसमें नक्सली भी वार्ता के लिए तैयार हो रहे हैं. वहीं नक्सल संगठन के साथ छत्तीसगढ़ सरकार की शांति वार्ता की पहल को समर्थन मिलता भी दिख रहा है. वहीं आदिवासी संगठनों ने शांति बहाली के लिए इस ओर जल्दी कदम उठाने की मांग की है.क्योंकि दोनों तरफ से आदिवासियों की ही मौत होती है. इससे आदिवासी संगठन को काफी क्षति पहुंच रही है.
'' इस काम को जल्द ही किया जाना चाहिए. धीरे-धीरे केवल बातों में ये नहीं रहना चाहिए. इस काम के लिए यदि आदिवासी समाज की आवश्यकता होगी तो वो आगे आएगा. शांति वार्ता की पहल बस्तर में फैली अशांति को खत्म करने के लिए जरूरी है. बस्तर में हो रही हिंसा में हमारे ही लोग मारे जाते हैं.'' प्रकाश ठाकुर, संभाग अध्यक्ष, सर्व आदिवासी समाज