अल्मोड़ा: प्राकृतिक चिकित्सा से अपने जीवन के तनाव व रोगों को दूर किया जा सकता है. इसके लिए विभिन्न प्राकृतिक चिकित्सा पद्धति से उपचार की विधियां है. इसी को लेकर सोबन सिंह जीना विश्वविद्यालय का योग विज्ञान विभाग पांच दिवसीय प्राकृतिक चिकित्सा का प्रशिक्षण छात्र छात्राओं को दे रहा है.
सोबन सिंह जीना विश्वविद्यालय अल्मोड़ा के योग एवं प्राकृतिक चिकित्सा केंद्र की ओर से प्राकृतिक चिकित्सा एवं चिकित्सकीय उपचार विषय पर पांच दिवसीय कार्यशाला शुरू की गई है. कार्यशाला में प्राकृतिक चिकित्सा के विषय विशेषज्ञ उसके महत्व सहित उससे किए जाने वाले उपचार की जानकारी दे रहे हैं. इस दौरान योग व प्राकृतिक चिकित्सा विशेषज्ञ डॉ. गिरीश अधिकारी ने प्राकृतिक चिकित्सा का परिचय देते हुए वर्तमान समय में प्राकृतिक चिकित्सा की प्रासंगिकता बताई.
वहीं प्राकृतिक चिकित्सा के विभिन्न प्रयोगात्मक अभ्यासों का प्रशिक्षण दिया. इस दौरान उन्होंने पानी व तेल से भरी हुई कांच की रंगीन बोतल तैयार करने का प्रशिक्षण दिया और विभिन्न रोगों पर इनका चिकित्सीय प्रयोग के बारे में बताया. प्रशिक्षण में छात्र छात्राओं को अग्नि, सूर्य व रंग चिकित्सा के बारे में भी बताया गया. वहीं लाल, नारंगी, पीला, हरा, आसमानी, नीला व बैंगनी रंग का उपयोग के प्रयोगात्मक अभ्यासों को कराया गया. इस दौरान योग विज्ञान विभाग के विभागाध्यक्ष डॉ. नवीन भट्ट ने बताया कि योग विज्ञान विभाग का प्राकृतिक चिकित्सा केंद्र विगत तीन वर्षों से प्राकृतिक चिकित्सा के क्षेत्र में अपनी अहम भूमिका निभाते हुए आम जनमानस को जागरूक कर रहा है की वह कैसे अपने रोगों को प्राकृतिक चिकित्सा के माध्यम से दूर कर सकते हैं.
प्रशिक्षण के पहले दिन योग शिक्षक रजनीश जोशी ने प्राकृतिक चिकित्सा के पंचतत्वों पर प्रकाश डाला. हेमलता अवस्थी ने पिछले वर्ष अपने ऊपर की गयी प्राकृतिक चिकित्सा के लाभों के अनुभव को छात्र छात्राओं के साथ साझा किया. योग शिक्षक ललन कुमार ने प्राकृतिक चिकित्सा एवं चिकित्सकीय अनुप्रयोग विषय पर जानकारी दी. कार्यशाला में अपने विचार रखें.
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