अजमेर :दीपावली के अवसर पर माता लक्ष्मी की पूजा अर्चना कर लोग सुख शांति और समृद्धि की कामना करते हैं. अजमेर में प्राचीन माता वैभव लक्ष्मी के मंदिर में धनतेरस से भाई दूज तक वर्षों से दीपोत्सव मनाने की परंपरा रही है. इन 5 दिनों में माता वैभव लक्ष्मी के मंदिर में मेले सा माहौल रहता है. खासकर दीपावली के दिन सुबह 5 बजे से ही श्रद्धालु मंदिर में दीपक जलाने और माता को घर से बनाई हुई खीर का भोग लगाने के लिए आते हैं. वहीं, धनतेरस पर श्रद्धालु माता वैभव के मंदिर में झाड़ू अर्पण करते हैं.
धन, कुबेर, गणेश और सरस्वती की प्रतिमाएं भी विराजमान : अजमेर में आगरा गेट स्थित प्राचीन वैभव लक्ष्मी माता का मंदिर वर्षों से लोगों की आस्था का केंद्र रहा है. हर शुक्रवार के दिन माता वैभव लक्ष्मी के मंदिर में भक्तों का तांता लगा रहता है. खासकर महिलाएं माता वैभव लक्ष्मी के मंदिर जरूर आती हैं. महिलाएं संतान प्राप्ति, घर में समृद्धि की कामना करती हैं. वहीं, व्यापारी व्यपार में बरकत के लिए वैभव लक्ष्मी माता के व्रत करते हैं और माता को इत्र और सफेद खाद्य वस्तुओं का भोग अर्पित करते हैं. धनतेरस से भाई दूज तक माता वैभव लक्ष्मी के मंदिर में भक्ति और आस्था की सरिता बहती है. मंदिर में वैभव लक्ष्मी माता के साथ धन, कुबेर, प्रथम पूज्य भगवान गणेश और माता सरस्वती की प्रतिमाएं भी विराजमान हैं.
माता वैभव लक्ष्मी का मंदिर (वीडियो ईटीवी भारत अजमेर) पढ़ें.Rajasthan: दीपावली पर जगमग हुए जयपुर के बाजार, रोशनी के पर्व की शुरुआत, एमआई रोड पर लाइट का स्विच ऑन हुआ
भाई दूज तक मंदिर में मेले जैसा माहौल :वर्षों से मंदिर में धनतेरस से भाई दूज तक 5 दिन दीपोत्सव मनाया जाता है. मान्यता है कि इन 5 दिनों में मंदिर में घी का दीप जलाकर माता को खीर का भोग लगाने से मनवांछित फल की प्राप्ति होती है. यही वजह है कि धनतेरस से भाई दूज तक मंदिर में मेले जैसा माहौल रहता है. खासकर दीपावली के दिन सुबह 5 बजे से ही श्रद्धालुओं का मंदिर में आना शुरू हो जाता है. श्रद्धालु माता के मंदिर में दीप जलाते हैं और घर से बनाई हुई खीर का भोग लगाते हैं. सुबह से लेकर शाम तक मंदिर में दीप जलाने का सिलसिला लगा रहता है. कई लोग माता लक्ष्मी को सफेद मिष्ठान्न का भी भोग लगाते हैं. इसके अलावा नारियल, कमल का पुष्प और कमल गट्टे की माला भी श्रद्धालु माता को अर्पित करते हैं.
धनतेरस पर मंदिर में झाड़ू अर्पित करते हैं श्रद्धालु :मंदिर में पुजारी पंडित प्रकाश शर्मा बताते हैं कि धनतेरस पर श्रद्धालु झाड़ू खरीदते हैं. मंदिर में एक झाड़ू अर्पित करने के साथ ही दूसरी झाड़ू अपने साथ घर ले जाते हैं. नई झाड़ू लाने से घर से दरिद्रता रूपी अलक्ष्मी चली जाती है और लक्ष्मी माता का आगमन होता. यही वजह है कि धन तेरस पर लोग झाड़ू खरीदकर मंदिर में अर्पण करने आते हैं. प्रकाश शर्मा बताते हैं कि माता वैभव लक्ष्मी के मंदिर में दीप उत्सव मनाने की परंपरा वर्षों पुरानी है. माता वैभव लक्ष्मी का मंदिर मराठाकालीन है. उनकी 5वीं पीढ़ी मंदिर में पूजा अर्चना कर रही है. तत्कालीन समय में अजमेर परकोटे में हुआ करता था और परकोटे के बाहर घना जंगल था. यहां भी जंगल था, जहां आज मंदिर है. मराठाकाल में एक कारीगर ने लाल पत्थर से इस स्थान पर माता वैभव लक्ष्मी की प्रतिमा बनाई, जिसको हमारे पूर्वजों ने स्थापित किया था.
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आज भी श्रद्धालुओं के लिए खुला रहता है दरबार :मराठाकाल में अजमेर में मराठाओं ने कई मंदिरों की स्थापना की. मराठों के स्थापित मंदिर आज अजमेर में प्रमुख धार्मिक स्थल बन चुके हैं. इनमें से माता वैभव लक्ष्मी का मंदिर भी शामिल है. रियासत काल में मंदिर के बाहरी क्षेत्र में एक बड़ा सा गेट हुआ करता था, जो नया बाजार की ओर खुलता था, उस दौर में शाम 6 बजे बाद आगरा गेट को बंद कर दिया जाता था. समय पर परकोटे में दाखिल नहीं होने वाले लोग माता वैभव लक्ष्मी के मंदिर में ही पनाह लेते थे. वक्त के साथ आगरा गेट नहीं रहा, लेकिन माता वैभव लक्ष्मी का दरबार आज भी श्रद्धालुओं के लिए खुला रहता है.
शुक्रवार को है व्रत का है विधान :उन्होंने बताया कि धार्मिक मान्यताओं के अनुसार शुक्रवार के दिन माता वैभव लक्ष्मी के व्रत करने का विधान है. महिलाएं अपनी श्रद्धा के अनुसार हर शुक्रवार माता लक्ष्मी का व्रत कर उनकी पूजा अर्चना कर खीर का भोग लगाती हैं. मनोकामना पूर्ण होने पर व्रत करने वाली महिलाएं मंदिर में आकर माता को खीर का भोग लगाती हैं. वहीं, प्रसाद के रूप में मंदिर आने वाली अन्य महिलाओं को भी खीर का प्रसाद वितरित करती है. साथ ही माता वैभव लक्ष्मी की पुस्तिका भी व्रत उद्यापन करने वाली महिला अन्य महिलाओं को तिलक लगाकर वितरित करती हैं. इससे व्रत का उद्यापन हो जाता है.
माता वैभव लक्ष्मी का मंदिर (ETV Bharat Ajmer) श्रद्धा हो तो मनोकामना जरूर होती है पूर्ण :30 वर्षों से हर शुक्रवार को माता वैभव लक्ष्मी के मंदिर आने वाली श्रद्धालु अनीता गोयल बताती हैं कि पहले मंदिर काफी छोटा सा था, लेकिन समय के साथ ही मंदिर का आकार बड़ा हो गया. दीपावली पर माता लक्ष्मी की कृपा पाने के लिए दूर-दूर से श्रद्धालु दर्शनों के लिए आते हैं. माता वैभव लक्ष्मी में जिनकी भी श्रद्धा है, उनकी मनोकामना जरूर पूर्ण हुई है. उसके लिए श्रद्धा होना आवश्यक है. वहीं, निवेदिता बताती हैं कि मनोकामना पूर्ण करने के लिए उन्होंने 21 शुक्रवार व्रत रखे थे. मनोकामना पूर्ण होने पर वह अपने व्रत का उद्यापन कर रही हैं. माता के लिए घर से खीर बनाकर लाई हैं. यहां भोग लगाकर मंदिर आने वाली महिलाओं को प्रसाद के रूप में खीर वितरित की जाएगी. उन्होंने कहा कि श्रद्धा के साथ यदि माता रानी के व्रत किए जाते हैं तो माता रानी अवश्य मनोकामना पूर्ण करती हैं.