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आज से शुरू हो रहा गुप्त नवरात्र, जानिए शुभ मुहूर्त और पूजा की विधि - गुप्त नवरात्रि महत्व

Gupt Navratr 2024: हिंदू धर्म में नवरात्रि के पर्व का विशेष महत्व होता है. पूरे साल में चार नवरात्र मनाए जाते हैं. हालांकि अधिकांश लोग साल के दो नवरात्रि के बारे में ही जानते हैं. आईये जानते हैं आज होने वाले गुप्त नवरात्र के महत्व और शुभ मुहूर्त के बारे में..

Gupt Navratr
Gupt Navratr

By ETV Bharat Bihar Team

Published : Feb 10, 2024, 6:42 AM IST

पटनाः हिंदू धर्म में चैत्र और शारदीय नवरात्र के अलावा दो नवरात्र और होते हैं. जिन्हें गुप्त नवरात्र कहा जाता है. यह गुप्त नवरात्रि माघ और आषाढ़ मास में आते हैं. माघ महीने यानी जनवरी-फरवरी में पड़ने के कारण इन नवरात्रि को माघी नवरात्रि कहा जाता है. आचार्य मनोज मिश्रा ने बताया कि माघ मास की गुप्त नवरात्रि की शुरुआत आज शनिवार 10 फरवरी से हो रही है, जो 18 फरवरी तक मनाई जाएगी.

जानें क्या है पूजा का शुभ मुहूर्तः नवरात्रि की शुरुआत सर्वार्थ सिद्धि योग में होगी. इस नवरात्र में मां के नौ स्वरूप की पूजा होती है. शैलपुत्री, ब्रह्मचारिणी चंद्रघंटा, कूष्मांडा ,स्कंदमाता ,कात्यायनी, कालरात्रि, महागौरी और सिद्धिदात्री की आराधना और विधि विधान से पूजा की जाती है. मनोज मिश्रा ने बताया कि घटस्थापना से गुप्त नवरात्र की शुरुआत होगी. घटस्थापना का शुभ मुहूर्त सुबह 8:40 से लेकर 10:30 तक है.

तांत्रिक अघोरी के लिए बेहद महत्वपूर्ण: इसके अलावे अभिजीत मुहूर्त दोपहर 12:05 से लेकर के 1:10 तक घटस्थापना कर पूजा कि शुरुआत करें. मनोज मिश्रा ने कहा कि वैसे तो गुप्त नवरात्रि महाकाल के भक्ति तांत्रिक अघोरी के लिए बेहद महत्वपूर्ण है. इसलिए गुप्त नवरात्रि में साधक एवं तंत्रिका देवी मां की पूजा आराधना करते हैं और देवी मां का आशीर्वाद प्राप्त करते हैं.

"काली मंदिर में खास कर मां की उपासना करने वाले तांत्रिक और साधक नजर आते हैं, लेकिन गुप्त नवरात्रि के आम भक्त भी करते हैं. नवरात्र के चौथे दिन 14 फरवरी का दिन बेहद ही खास है. 14 फरवरी को बसंत पंचमी मां सरस्वती की पूजा आराधना की जाएगी. 16 फरवरी को माता नर्मदा का प्रकोत्सव मनाया जाएगा"- आचार्य मनोज मिश्रा

ऐसे करें गुप्त नवरात्रि की पूजाःआचार्य मनोज मिश्रा ने कहा कि भक्तों को घटस्थापना से पहले स्नान कर स्वच्छ वस्त्र धारण करना चाहिए. कलश स्थापना कर मां दुर्गा के चित्र या मूर्ति के समक्ष विधि विधान से पूजा करें. घी का दीपक जलाएं और फल नैवेध का भोग लगाएं.

सप्तशती दुर्गा चालीसा का पाठ करेंः सप्तशती दुर्गा चालीसा का पाठ करें. माता के नौ स्वरूपों की पूजा प्रतिदिन स्नान कर स्वच्छ वस्त्र धारण करके माता को भोग और विधि विधान के पूजा करने से मनवाक्षित फल की प्राप्ति होती है.

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