बगहाःबिहार के बगहा में बाघ के हमले की घटना सामने आयी है. दो साल बाद एक बार फिर लोगों में दहशत का माहौल है. वाल्मीकि टाइगर रिजर्व जंगल से सटे खेत में चर रहे भैंसे को बाघ ने अपना शिकार बना लिया है. घटना के बाद से विभाग ने ग्रामीणों को जंगल किनारे जाने से मना कर दिया है.
बगहा में बाघ का हमला : घटना बगहा-2 के ढोलबजवा लक्ष्मीपुर पंचायत अंतर्गत हथुहवा गांव की घटना है. जंगल के समीप मंगलवार दोपहर बाघ ने चरवाहे के सामने उसके भैंस को अपना शिकार बना लिया. बताया जा रहा है कि भैंस जंगल किनारे खेत में चर रही थी तभी बाघ दहाड़ता हुआ आया और भैंस का गर्दन दबोच लिया.
दहाड़ सुनकर भागे लोग :बाघ की दहाड़ सुनकर चरवाहे मवेशियों को छोड़कर गांव की ओर भाग निकले. जिसके बाद ग्रामीण समूह बनाकर मौके पर पहुंचे और शोर मचाया. इसके बाद बाघ जंगल से सटे एक गन्ने के खेत में घुस गया. गांव सटे जंगल में बाघ की मौजूदगी से ग्रामीण दहशत में हैं.
"बाघ द्वारा भैंस का शिकार किया गया है. इसका मुआवजा वन विभाग जांच पड़ताल के बाद देगा. ग्रामीणों को सतर्क और सावधान रहने को कहा गया है. लोगों से अपील की गई है कि वे अकेले खेत की तरफ और जंगल के किनारे ना जाएं."-डॉ. नेशामणि, वन संरक्षक सह निदेशक
वीटीआईर में बाघों की संख्या 60 : विशेषज्ञ बताते हैं कि वाल्मीकि टाइगर रिजर्व में 60 की संख्या में बाघ है. बाघिन हर तरह के मौसम में प्रजनन करते हैं. ठंड के मौसम में दिसंबर से मार्च तक का महीना प्रजनन के लिए अनुकूल होता है. लिहाजा बाघ संवेदनशील हो जाता है और इस दौरान एकांत पसंद करता है. जंगल किनारे लगे गन्ना के खेत को जंगल समझ लेता है.