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ध्वज वंदन और 'केंद्र प्रवृत्ति' शुरू करेगा कांग्रेस सेवादल, जनता के बीच होंगे कार्यक्रम: लालजी देसाई - CONGRESS SEVA DAL MEETING

जयपुर में कांग्रेस सेवादल की राष्ट्रीय कार्यसमिति की तीन दिवसीय बैठक का आगाज हुआ है. इसमें कैडर और लीडरशिप डवलपमेंट पर चर्चा होगी.

Congress Seva Dal Meeting
कांग्रेस सेवादल के राष्ट्रीय अध्यक्ष लालजी देसाई (ETV Bharat Jaipur)

By ETV Bharat Rajasthan Team

Published : Jan 17, 2025, 4:33 PM IST

जयपुर:कांग्रेस सेवादल की राष्ट्रीय कार्यसमिति की तीन दिवसीय बैठक शुक्रवार को जयपुर के बाड़ा पदमपुरा में शुरू हुई. इस बैठक में शुक्रवार को पहले दिन राष्ट्रीय कार्यसमिति की बैठक हुई. अब अगले दो दिन विस्तारित बैठक होगी. इसमें कांग्रेस सेवादल के प्रदेशाध्यक्ष, महिला विंग और यूथ ब्रिगेड के प्रदेशाध्यक्ष भी शामिल होंगे.

कांग्रेस सेवादल के राष्ट्रीय अध्यक्ष लालजी देसाई ने बताया कि एक जगह एकत्र होकर समसामयिक विषयों पर चर्चा करने की हमारी पुरानी ​एक्टिविटी 'केंद्र प्रवृत्ति' बंद हो गई है. अब इस ​गतिविधि को वापस शुरू किया जाएगा. कार्यकर्ताओं के प्रशिक्षण के काम में तेजी लाई जाएगी. कैडर और लीडरशिप डवलपमेंट पर भी फोकस किया जाएगा. उन्होंने मोहन भागवत के उस बयान पर भी कड़ी आपत्ति जताई है, जिसमें उन्होंने कहा कि देश को 1947 में राजनीतिक आजादी मिली थी. सही मायने में आजादी राम मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा से मिली है.

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आरएसएस शाखा लगाता है, हमारी 'केंद्र प्रवृत्ति': आरएसएस की तर्ज पर शाखा लगाने की बात पर उन्होंने कहा, शाखाएं आरएसएस की होती हैं. हम केंद्र कहते थे. उनके प्रचारक होते हैं. हमारे विचारक होते हैं. उनकी शाखाओं में राष्ट्रगान और तिरंगे की बात नहीं होगी. हमारे केंद्र पर तिरंगे के प्रति सम्मान और राष्ट्रगान-देश के प्रति प्यार की बात होगी. यही हमारी केंद्र प्रवृत्ति हम युवाओं-बच्चों के साथ करते हैं. आगे भी करते रहेंगे. काफी जगह हमारी केंद्र प्रवृत्ति शुरू हुई है. बाकी जगहों पर भी शुरू करने की योजना है. हर महीने के अंतिम रविवार को राष्ट्रीय ध्वज फहराकर हमारे साथी ध्वज वंदन का कार्यक्रम करेंगे. यह काम जनता के बीच जाकर करेंगे.

मोहन भागवत के बयान पर साधा निशाना:उन्होंने कहा, मोहन भागवत ने जिस प्रकार इस देश की आजादी को नकार दिया. यह देश को गुमराह करने का प्रयास है. ये लोग 1947 की आजादी को आजादी नहीं मानते हैं, क्योंकि उस आजादी की जंग में संघ ने गद्दारी और मुखबिरी का काम किया था. इतिहास में जिस संगठन की भूमिका एक विलेन के तौर पर रही हो. वो उसे कैसे मानेंगे, इसलिए वो इतिहास को बदलना चाहते हैं. इसलिए वे कहते हैं कि आजादी अब मिली है.

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मनुस्मृति लाना चाहता है आरएसएस: उन्होंने कहा, अगर यह आजादी नहीं होती तो न मोहन भागवत बोल पाते और न ही नरेंद्र मोदी प्रधानमंत्री होते. बाबा साहेब के बारे में पहले गृहमंत्री अमित शाह ने टिप्पणी की, क्या उसी बात को अब ये लोग आगे ले जाना चाहते हैं? क्या ये देश में आरक्षण को खत्म करना चाहते हैं. संविधान को खत्म कर मनुस्मृति को लाना चाहते हैं. जिन शहीदों ने अपना बलिदान दिया. उसे आप नकार रहे हैं. इन सभी चुनौतियों को जनता के बीच गांव-गली तक कैसे ले जाया जाए. इसमें तीन दिन तक मंथन किया जाएगा.

हम प्यार में भरोसा करते हैं:उन्होंने आरोप लगाते हुए कहा कि एक हौवा बना हुआ है कि आरएसएस जनता के बीच सेवा करता है. ये लोग सेवा नहीं करते, बल्कि मेवा खा रहे हैं, ज्यादातर आरएसएस कार्यकर्ताओं को देखें तो वे मिडल मैन टाइप के होंगे. जनता से खींचो और अमीरों को सींचो. यह संघी सोच है. ये राष्ट्रवाद की बात करेंगे, लेकिन देशप्रेम की बात नहीं करेंगे. वे वाद-विवाद में ज्यादा मानते हैं. हम प्यार, बलिदान और त्याग में मानते हैं. हमारा काम करने का तरीका अलग है.

समय के साथ बदलेगा सेवा का कलेवर: उन्होंने कहा, आजादी के बाद शिक्षा, स्वास्थ्य और रोजगार के मुद्दों पर सेवादल ने काम किया. अब देश में समय बदला है. अब अलग प्रकार की सेवा की जरूरत है, जहां सरकारें जनता के हितों पर कुठाराघात करती हैं, तो सेवादल वहां जाकर डटकर मुकाबला करता है. अब लड़ाई किसानों-गरीबों की आवाज की है. अब लड़ाई और सेवा का संदर्भ बदल गया है. देश के मुद्दों को लेकर सेवादल के सामने जो चुनौतियां हैं. वर्तमान में संघी शासन में जो देश का माहौल है. हालात बद से बदतर होते जा रहे हैं. हम उन पर चर्चा करेंगे. संविधान पर लगातार हमले हो रहे हैं. मनुस्मृति की तारीफ की जा रही है. सरकारें मनुस्मृति के हिसाब से देश को चलाना चाहते हैं. ऐसे माहौल में सेवादल की भूमिका अहम हो जाती है.

लोगों को बांट रहे: लालजी देसाई ने कहा, वो नारा देते हैं कि बंटेंगे तो कटेंगे, जबकि ये खुद लोगों को जाति, धर्म, प्रदेश और भाषा के नाम पर बांट रहे हैं. हम लोगों को जोड़ने की बात करते हैं. उन्होंने कहा, नारे ऐसे हो, जिससे देश का भला हो. 'बंटेंगे तो कटेंगे की जगह पढ़ेंगे तो आगे बढ़ेंगे' यह नारा क्यों नहीं दिया जाता है, क्योंकि उनकी सोच में यह नहीं है. देश के सामने आने वाले समय में जितने भी चैलेंज हैं. सेवादल की तीन दिन की बैठक में उन सब पर और उनसे कैसे लड़ा जाए?. इस पर चर्चा होगी.

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