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सर्वपितृ अमावस्या पर हजारों श्रद्धालुओं ने पांडू पिंडारा में किया पिंडदान, जानिए इस तीर्थ की मान्यता - Pind Daan in Pandu Pindara

ऐतिहासिक तीर्थ पांडू पिंडारा में सर्वपितृ अमवस्या के अवसर पर हजारों श्रद्धालुओं ने अपने पितरों का पिंडदान करके तर्पण किया. ऐसी मान्यता है कि इस दिन श्राद्ध किए जाने से पितरों की आत्मा को शांति मिलती है.

PIND DAAN IN PANDU PINDARA
PIND DAAN IN PANDU PINDARA (इसे भी पढ़ें :)

By ETV Bharat Haryana Team

Published : Oct 2, 2024, 10:50 PM IST

जींद:महाभारत कालीन ऐतिहासिक तीर्थ पांडू पिंडारा में बुधवार को सर्वपितृ अमवस्या पर हजारों श्रद्धालुओं ने सरोवर में स्नान किया और पिंडदान करके तर्पण किया. सनातन धर्म में श्राद्ध का विशेष महत्व माना जाता है, लेकिन अगर किसी को अपने पितरों की पुण्यतिथि याद न हो तो इस स्थिति में सर्वपितृ श्राद्ध अमावस्या के दिन उन पितरों का श्राद्ध किया जा सकता है. ऐसी मान्यता है कि इस दिन श्राद्ध किए जाने से पितरों की आत्मा को शांति मिलती है.

ऐतिहासिक पिंडतारक तीर्थ पर मंगलवार को शाम से ही श्रद्धालुओं का पहुंचना शुरू हो गया था. पूरी रात धर्मशालाओं में सत्संग और कीर्तन आदि का आयोजन चलता रहा. बुधवार को अल सुबह से ही श्रद्धालुओं ने सरोवर में स्नान व पिंडदान शुरू किया, जो मध्यान्ह के बाद तक चलता रहा. इस मौके पर दूर दराज से आए श्रद्धालुओं ने अपने पितरों की आत्मा की शांति के लिए पिंडदान किया.

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क्या है महत्व : पिंडतारक तीर्थ के संबंध में किदवंती है कि महाभारत युद्ध के बाद पूर्वजों की आत्मा की शांति के लिए पांडवों ने यहां 12 वर्ष तक सोमवती अमावस्या की प्रतीक्षा में तपस्या की. बाद में सोमवती अमावस्या के आने पर युद्ध में मारे गए परिजनों की आत्मा की शांति के लिए उन्होंने पिंडदान किया. तभी से यह माना जाता है कि पांडु पिंडारा स्थित पिंडतारक तीर्थ पर पिंडदान करने से पूर्वजों को मोक्ष मिल जाता है. महाभारत काल से ही पितृ विसर्जन की अमावस्या, विशेषकर सोमवती अमावस्या पर यहां पिंडदान करने का विशेष महत्व है. यहां पिंडदान करने के लिए विभिन्न प्रांतों के लोग आते हैं.

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