जींद:महाभारत कालीन ऐतिहासिक तीर्थ पांडू पिंडारा में बुधवार को सर्वपितृ अमवस्या पर हजारों श्रद्धालुओं ने सरोवर में स्नान किया और पिंडदान करके तर्पण किया. सनातन धर्म में श्राद्ध का विशेष महत्व माना जाता है, लेकिन अगर किसी को अपने पितरों की पुण्यतिथि याद न हो तो इस स्थिति में सर्वपितृ श्राद्ध अमावस्या के दिन उन पितरों का श्राद्ध किया जा सकता है. ऐसी मान्यता है कि इस दिन श्राद्ध किए जाने से पितरों की आत्मा को शांति मिलती है.
ऐतिहासिक पिंडतारक तीर्थ पर मंगलवार को शाम से ही श्रद्धालुओं का पहुंचना शुरू हो गया था. पूरी रात धर्मशालाओं में सत्संग और कीर्तन आदि का आयोजन चलता रहा. बुधवार को अल सुबह से ही श्रद्धालुओं ने सरोवर में स्नान व पिंडदान शुरू किया, जो मध्यान्ह के बाद तक चलता रहा. इस मौके पर दूर दराज से आए श्रद्धालुओं ने अपने पितरों की आत्मा की शांति के लिए पिंडदान किया.