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सारस को फिर से भा रही घना और भरतपुर की आबोहवा, कामां, डीग के नए वेटलैंड आ रहे रास - Stork in Bharatpur

भरतपुर के केवलादेव राष्ट्रीय उद्यान में एक बार फिर से सारस नजर आने लगे हैं. गत वर्ष घना समेत भरतपुर और डीग जिले में कुल 185 सारस नजर आए थे.

STORK IN BHARATPUR
STORK IN BHARATPUR

By ETV Bharat Rajasthan Team

Published : Apr 10, 2024, 6:30 AM IST

भरतपुर. एक वक्त था जब केवलादेव राष्ट्रीय उद्यान और जिलेभर में करीब 500 से भी ज्यादा सारस नजर आते थे, लेकिन पांचना बांध के पानी के अभाव में इनकी संख्या कम होती गई. अब एक बार फिर से सारस को घना और जिले की आबोहवा रास आने लगी है. डीग जिले के कामां का नौनेरा, सांवई खेड़ा और कौंरेर के जलीय क्षेत्र व वेटलैंड सारस को रास आने लगे हैं. यही वजह है कि गत वर्ष घना समेत भरतपुर और डीग जिले में कुल 185 सारस नजर आए. ऐसे में अब इन तीनों नए जलीय क्षेत्रों के संरक्षण की सख्त जरूरत है. वन विभाग और केवलादेव नेचुरल हिस्ट्री सोसायटी की ओर से 26 अप्रैल को 41 वीं सारस गणना की जाएगी. उम्मीद है कि इस बार गत वर्ष की तुलना में अधिक सारस नजर आएंगे.

संरक्षण की जरूरत :घना के सेवानिवृत्त रेंजर एवं पर्यावरणविद भोलू अबरार खान ने बताया कि 1970 से पहले घना व जिले में अच्छी संख्या में सारस नजर आते थे. यहां 500 से भी ज्यादा सारस दिख जाते थे, लेकिन बीते कई वर्षों से घना को पांचना बांध का पानी नहीं मिल पा रहा है, जिसकी वजह से इनकी संख्या कम हो गई. बीते वर्ष पूरे जिले में की गई गणना में 185 सारस नजर आए. ये काफी अच्छे संकेत हैं.

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जलीय क्षेत्रों का हो सरंक्षण : भोलू अबरार खान ने बताया कि कामां के नौनेरा और सांवई खेड़ा में बहुत अच्छा जलीय क्षेत्र है, जहां बरसात का पानी इकट्ठा हो जाता है. सर्दी के मौसम में यहां काफी अच्छी संख्या में प्रवासी पक्षी, बत्तख आदि डेरा डालते हैं. यहां पानी और भोजन की उपलब्धता की वजह से सारस भी पहुंचने लगे हैं. ऐसे में सरकार को चाहिए कि इन नए जलीय क्षेत्रों पर ध्यान देकर इनका संरक्षण किया जाए. अगर लंबे समय तक इन जलीय क्षेत्रों को संरक्षित रखा जाए, तो पक्षियों के लिए एक नया क्षेत्र तैयार हो सकता है.

26 को सारस गणना :भरतपुर घना केवलादेव नेचुरल हिस्ट्री सोसायटी के अध्यक्ष कृष्ण कुमार एडवोकेट ने बताया कि 26 अप्रैल को 41वीं भरतपुर जिला सारस गणना आयोजित की जाएगी. वर्ष 1983 से लगातार वन विभाग राजस्थान सरकार के सहयोग से यह गणना आयोजित कर रहा है. इसके लिए पूरे राष्ट्रीय उद्यान को 12 जोन में विभाजित किया जाता है और भरतपुर जिले एवं उत्तर प्रदेश के सटे हुए इलाकों को पांच क्षेत्रों में बांटकर सारस गणना की जाती है.

गत वर्ष दिखे थे ढाई गुना अधिक सारस : 2023 में कुल 185 सारस दिखे थे, जिनमें से 12 केवलादेव राष्ट्रीय उद्यान में और 81 नौनेरा ग्राम कामां, सांवई खेड़ा में 90 और कौंरेर डीग में भी सारस दिखे थे. इसलिए नौनेरा ग्राम कामां, कौंरेर, कुम्हेर, सांवई खेड़ा डीग के जलीय क्षेत्र का संरक्षण करना बहुत ही आवश्यक है.

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