लखनऊ/प्रयागराज :अबकी बार 22 जुलाई 2024 दिन सोमवार से सावन के पवित्र महीने की शुरूआत होने जा रही है. इसको लेकर डा. ज्योतिषाचार्य आचार्य देव ने बताया कि सावन भगवान शिव का अत्यंत प्रिय महीना है.
मान्यताओं के अनुसार, इस पवित्र माह में भोले बाबा भक्तों पर अपनी कृपा की वर्षा करते हैं. इस बार का श्रावण माह कई मायनो में खास है क्योंकि सावन की शुरुआत सोमवार से हो रही है और अंत भी सोमवार से हो रहा है. साथ ही इस सोमवार को एक खास प्रीति योग, आयुष्मान योग के साथ सर्वार्थ सिद्धि योग भी बन रहा है. इसको लेकर पौराणिक मान्यता है कि जो भी इस योग में पूजा पाठ करता है उस पर भोलेनाथ की विशेष कृपा होती है और अंत में तीसरी खास बात है कि सावन के आखिरी सोमवार के दिन ही रक्षाबंधन भी पड़ रहा है. इस दिन वैदिक लोग श्रावणी कर्म भी करते हैं.
भक्तों की मनोकामना पूरी करने वाला महीना :ज्योतिषाचार्य आचार्य देव ने बताया कि इस साल सावन का पावन महीना 22 जुलाई 2024 से शुरू होकर 19 अगस्त तक चलेगा. हिन्दू पञ्चांग के अनुसार, इस बार श्रावण मास की शुरुआत सूर्य उदय व्यापिनी प्रतिपदा सोमवार से हो रही है. भक्तों की मनोकामना पूरी करने वाला ये महीना इस बार बहुत से शुभ योग लेकर आ रहा है. सावन का पहला सोमवार 22 जुलाई, दूसरा सोमवार 29 जुलाई, तीसरा सोमवार 5 अगस्त, चौथा सोमवार 12 अगस्त और अंतिम सोमवार 19 अगस्त को पड़ेगा.
दोपहर 3 बजकर 26 मिनट तक है त्रयोदशी :डा. ज्योतिषाचार्य आचार्य देव ने बताया कि सावन के महीने में शिवरात्रि का विशेष महत्व होता है. इस बार सावन मास की शिवरात्रि 2 अगस्त शुक्रवार को मनाई जाएगी. इस दिन त्रयोदशी दोपहर 3 बजकर 26 मिनट तक है. इसके बाद चतुर्दशी शुरू होगी और रात्रि के निशि काल में शिव जी की पूजा की जाएगी. डा. ज्योतिषाचार्य आचार्य देव ने बताया कि इस बार चार मंगला गौरी व्रत पड़ रहे हैं. यह व्रत मंगलवार को रखा जाता है. पहला मंगला गौरी व्रत 23 जुलाई को, दूसरा 30 जुलाई को, तीसरा 6 अगस्त को, जबकि अंतिम 13 अगस्त को होगा.
भगवान शिव की पूजा में क्या करें : डा. ज्योतिषाचार्य आचार्य देव ने बताया कि शिव की पूजा करने वाला शून्य की पूजा करना होता है. क्योंकि भगवान शिव को शून्य का प्रतीक माना गया है. जो व्यक्ति भगवान शिव को बेलपत्र, बेलपत्र के फल, भांग, धतूरा, केवड़ा, गंगाजल, दूध, फलों का रस इत्यादि वस्तुएं श्रद्धा भाव से अर्पित करता है उससे भगवान भोलेनाथ प्रसन्न हो जाते हैं.