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2026 तक पूरा करना होगा ऊना बल्क ड्रग पार्क का निर्माण कार्य, फार्मा इंडस्ट्री में बजेगा भारत का डंका - UNA BULK DRUG PARK

Una Bulk Drug Park update: ऊना में बन रहे बल्क ड्रग पार्क का निर्माण कार्य अब मार्च 2026 तक पूरा करना होगा. ये निर्णय दिल्ली में आयोजित एसएससी की बैठक में लिया गया. उद्योग विभाग के निदेशक ने विश्वास दिलाया कि परियोजना का कार्य समय सीमा के भीतर पूरा किया जाएगा.

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कॉन्सेप्ट इमेज (ईटीवी भारत)

By ETV Bharat Himachal Pradesh Team

Published : Jul 10, 2024, 1:34 PM IST

Updated : Jul 10, 2024, 5:27 PM IST

शिमला: बल्क ड्रग पार्क (बीडीपी) ऊना को केंद्र सरकार से मार्च 2026 तक एक्सटेंशन मिल गई है. अब हिमाचल सरकार को मार्च 2026 तक इस प्रोजेक्ट को पूरा करना होगा. ये निर्णय योजना संचालन समिति (एसएससी) की नई दिल्ली में फार्मास्यूटिकल्स विभाग के सचिव डॉ. अरुणीश चावला की अध्यक्षता में आयोजित हुई बैठक में लिया गया. इस बैठक में बल्क ड्रग पार्क योजना के कार्यकाल को वित्त वर्ष 2026 तक बढ़ाने और पार्क के कार्य की प्रगति पर विचार-विमर्श किया गया. निदेशक उद्योग व प्रबंध निदेशक एवं मुख्य कार्यकारी अधिकारी हिमाचल प्रदेश बल्क ड्रग फार्मा इंफ्रास्ट्रक्चर लिमिटेड (एचपीबीडीपीआईएल) राकेश कुमार प्रजापति ने बल्क ड्रग पार्क की बोर्ड कंटूर प्लान व अन्य विवरण प्रस्तुत किए.

निदेशक उद्योग ने वर्ष 2023 में प्रदेश में आपदा के कारण हुए भारी नुकसान के बारे में भी विस्तृत जानकारी दी. उन्होंने बैठक में बताया कि भारी बारिश के कारण हुए नुकसान से प्रदेश में विकासात्मक कार्यों पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ा है. समिति ने विभाग की ओर से प्रस्तुत किए गए विभिन्न तथ्यों पर गहन विचार-विमर्श किया. इस परियोजना को मार्च 2026 तक विस्तार देने पर सहमति प्रकट की गई. निदेशक उद्योग ने समिति को विश्वास दिलाया कि परियोजना का कार्य समय सीमा के भीतर पूरा किया जाएगा.

बल्क ड्रग पार्क से क्या होगा फायदा

ऊना में बल्क ड्रग बनने से फार्मा इंडस्ट्री में चीन की दादागीरी खत्म होगी. हिमाचल प्रदेश को केंद्र से मंजूर हुए बल्क ड्रग पार्क से ये संभव होगा. इस पार्क के जरिए एशिया के फार्मा हब बद्दी-बरोटीवाला-नालागढ़ (हिमाचल) को भी सहारा मिलेगा. बल्क ड्रग पार्क और बीबीएन मिलकर फार्मा सेक्टर में चीन के दबदबे को खत्म करेंगे. केंद्रीय मंत्रिमंडल ने 21 मार्च, 2020 को बल्क ड्रग पार्क योजना को मंजूरी दी थी. ऊना में बल्क ड्रग पार्क परियोजना की कुल अनुमानित लागत 1923 करोड़ रुपये थी, जिसमें भारत सरकार की अनुदान राशि 1118 करोड़ रुपये और शेष 804.54 करोड़ रुपये की राशि राज्य सरकार को वहन करनी थी.

बल्क ड्रग पार्क क्या है

बल्क ड्रग को API यानी active pharmaceuticalingredient कहा जाता है. जो किसी भी दवा का मुख्य तत्व है. API दवा बनाने में इस्तेमाल होने वाले दो कंपोनेट में से एक है, इसे किसी दवा के लिए कच्चा माल कहा जा सकता है. ऐसे में बल्क ड्रग पार्क एक ऐसा स्थान होगा जहां दवा तैयार करने में इस्तेमाल होने वाले अलग-अलग तत्वों का निर्माण होगा. इन तत्वों को एक्टिव फॉर्मास्युटिकल्स इनग्रीडिएंट्स (एपीआई) कहते हैं.

इस योजना के तहत एक ही स्थान पर बेसिक इंफ्रास्ट्रक्चर यानी सामान्य बुनियदी सुविधाएं प्रदान की जाएंगी, जिससे देश में थोक दवा निर्माण के लिए एक मजबूत सिस्टम तैयार होगा, जिससे दवा की लागत में कमी आएगी. क्योंकि देश में बल्क ड्रग पार्क होने से बल्क ड्रग यानी कच्चे माल के आयात पर निर्भरता कम होगी और देश में ही दवा उत्पादन को बढ़ावा मिलेगा. इसके अलावा भारत दुनिया के दवा बाजार में पैर पसारेगा, जिससे भारत ड्रग उत्पादन का सिरमौर बनने की ओर एक कदम बढ़ाएगा.

क्यों जरूरत पड़ी

दरअसल भारत दुनिया के सबसे (Advantages of Bulk Drug Pharma Park) बड़े फार्मास्युटिकल उद्योगों में से एक है. इस मामले में भारत तीसरे स्थान पर है हालांकि इस क्षेत्र में दबदबा चीन का रहा है, लेकिन कोरोना काल में लॉकडाउन के बाद चीन की फैक्ट्रियां बंद पड़ गई और जब कोविड महामारी दुनियाभर में फैली तो दुनियाभर में सप्लाई चेन प्रभावित हो गई. भारत और चीन के बीच विवाद ने इसे और भी बुरी तरह प्रभावित किया, जिसके कारण दवा निर्माताओं को आयात में लगातार दिक्कतों का सामना करना पड़ा. जिसके बाद भारत सरकार ने बल्क ड्रग पार्क बनाने का फैसला किया. हिमाचल प्रदेश के अलावा गुजरात और आंध्र प्रदेश में भी बल्क ड्रग पार्क बनाने का ऐलान किया गया है.

हिमाचल को क्यों चुना गया

दरअसल भारत सबसे बड़े थोक दवाओं के उत्पादकों में से एक है, लेकिन दवाओं को बनाने के लिए बल्क ड्रग अन्य देशों से भी आयात किया जाता है. हिमाचल में पहले से ही एशिया का सबसे बड़ा फार्मा मैन्युफैक्चरिंग हब बद्दी-बरोटीवाला-नालागढ़ औद्योगिक क्षेत्र है. हिमाचल भारत के दवा उत्पादन के आधे हिस्से का उत्पादन करता है. कोरोना काल में भी हिमाचल में बनी दवाएं दुनियाभर के कई देशों तक निर्यात की गई. सरकार इन पार्क की स्थापना से घरेलू दवा बाजार में प्रतिस्पर्धा को बढ़ाना चाहती है. इसके अलावा अंतरराष्ट्रीय स्तर पर दवा निर्माण और उत्पादन क्षेत्र में भारत को शीर्ष पर ले जाने की योजना है. भारत के इस कदम से फार्मास्यूटिकल इंडस्ट्री में चीन का दबदबा खत्म हो जाएगा.

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Last Updated : Jul 10, 2024, 5:27 PM IST

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