छत्तीसगढ़ में टीबी के मरीजों की संख्या चिंताजनक, इस रोग से बचाव के लिए क्या कहते हैं डॉक्टर्स ? - Chhattisgarh TB patients Increase
TB patients number Increase in Chhattisgarh: छत्तीसगढ़ में टीबी के मरीजों की संख्या चिंताजनक है. इसके रोकथाम को लेकर ईटीवी भारत ने सरगुजा क्षय रोग विभाग के नोडल अधिकारी डॉ. शैलेंद्र गुप्ता से बातचीत की.
सरगुजा: छत्तीसगढ़ में टीबी के मरीजों की संख्या बढ़ती जा रही है. मरीजों के आंकड़े चिंताजनक हैं. राष्ट्रीय आंकड़ों की तुलना में छत्तीसगढ़ में टीबी के मरीज काफी अधिक हैं. छत्तीसगढ़ में टीबी मरीजों का अनुमानित अनुपात 1 लाख की आबादी में 190 है. ये राष्ट्रीय रेश्यो में 1 लाख की आबादी के 160 टीबी मरीज का है. सरकार टीबी मुक्त छत्तीसगढ़ की दिशा में आगे बढ़ रही है, हालांकि मौजूदा आंकड़े चिंताजनक हैं.
कई जगहों में मरीजों की संख्या में बढ़त:इस बारे में ईटीवी भारत ने क्षय रोग विभाग के नोडल अधिकारी डॉ. शैलेंद्र गुप्ता से बातचीत की. डॉ. शैलेंद्र गुप्ता ने बताया कि, "वर्तमान में क्षय रोग की स्थिति चिंताजनक है. राष्ट्रीय डेटा की बात करें तो छत्तीसगढ़ में 1 लाख व्यक्तियों में 190 लोग टीबी से ग्रसित हैं. पिछले साल सरगुजा में 1761 मरीज मिले थे, जिसकी आबादी 10 लाख है. जिले में 439 ग्राम पंचायत हैं, जिसमें 50 फीसद ग्राम पंचायतों में हमने पाया कि 1 हजार की आबादी में टीबी के मरीज 1 से भी कम हैं. कुछ जगह के हालात तो सही हैं हालांकि कुछ जगहों पर मरीजों की संख्या काफी अधिक है."
हवा में फैलती है बीमारी:डॉ. शैलेंद्र गुप्ता ने बताया कि, "राष्ट्रीय आंकड़े छत्तीसगढ़ की तुलना में कम हैं. 1 लाख की आबादी में 160 टीबी मरीज का राष्ट्रीय आंकड़ा है, लेकिन छत्तीसगढ़ के परिपेक्ष्य में ये अधिक है, क्योंकि छत्तीसगढ़ आदिवासी बहुल राज्य है. इसलिए यहां मरीज देर से सम्पर्क में आते हैं. जब तक वो संपर्क में आते हैं, वो अन्य लोगों में बीमारी फैला चुके होते हैं. इसमें एक बात है कि अगर मरीज पॉजिटिव है तो वो 1 साल में करीब 12 से लेकर 20 लोगों को इन्फेक्टे करता है. ये सामान्य रूप से हवा से फैलने वाली बीमारी है और एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में फैल जाती है."
कोरोना काल में हुआ इजाफा:आगे उन्होंने बताया कि, "कोरोना के कारण भी इस बीमारी में इजाफा हुआ है. उस समय लोगों के फेफड़े इंफेक्टेड हुए थे. इम्युनिटी डाउन हुई थी. इस कारण टीबी के मरीजों की संख्या बढ़ी है. साल 2025 में राष्ट्रीय और राज्य स्तर पर टीबी मुक्त करना है. टीबी की बीमारी छिपी नहीं होती है, इसमें मरीज को खांसी हो जाती है. इसके बाद मरीज स्वास्थ्य अमले के संपर्क में आ जाता है. इसमें हमारा स्वास्थ्य अमला सतर्क रहे. बेहतर प्रशिक्षित हो और दवाइयों का पूरा डोज दिया जाए तो निश्चित ही हम साल 2025 में टीबी मुक्त का लक्ष्य प्राप्त कर सकते हैं" चिकित्सकों की मानें तो समय रहते अगर इसका सही इलाज किया जाए तो इस बीमारी को तुरंत रोका जा सकता है.