दुमका : गणतंत्र दिवस के मौके पर नई दिल्ली के कर्तव्य पथ पर आयोजित होने वाले परेड में विभिन्न राज्यों की जो झांकी निकाली जायेगी, उसमें झारखंड द्वारा उपराजधानी दुमका में उत्पादित रेशम की झांकी भी शामिल है. निश्चित ही यह झांकी लोगों को आकर्षित करेगी. यह दुमका के लिए बेहद खुशी की बात है कि अथक मेहनत के दम पर कोकून उत्पादन से लेकर सूत निकालने और कपड़े बनाने तक का काम दुमका में होता है. जिसमें हजारों कोकून उत्पादक किसान और सैकड़ों महिला कारीगर लगे हुए हैं.
शहतूत के पेड़ों पर होता है कोकून का उत्पादन:आपको बता दें कि दुमका के जंगलों में शहतूत के पेड़ बहुतायत में पाए जाते हैं. इस शहतूत के पेड़ पर कोकून का उत्पादन होता है, जिससे तसर का धागा निकाला जाता है. यहां तसर कोकून को सरकार द्वारा सीधे किसानों से खरीदा जाता है और उसके बाद महिलाओं को तसर कोकून से धागा निकालकर कपड़ा बुनने का प्रशिक्षण दिया गया और फिर उत्पादन शुरू हुआ.
प्रशिक्षक क्या कहते हैं?:दुमका में तसर उद्योग को बढ़ावा देने के लिए आगरा परियोजना के अधिकारी रह चुके और अभी भी प्रशिक्षक के रूप में काम कर रहे सुधीर कुमार सिंह कहते हैं कि यह बहुत खुशी की बात है कि हमारे दुमका के तसर का प्रदर्शन गणतंत्र दिवस पर होने जा रहा है.
उन्होंने कहा कि तसर उत्पादन के मामले में झारखंड देश में प्रथम स्थान पर है. देश के कुल तसर उत्पादन का 70 फीसदी उत्पादन अकेले झारखंड में होता है. जिसमें 40 फीसदी उत्पादन संथाल परगना प्रमंडल में होता है. तसर उत्पादन के मामले में दुमका राज्य में पहले स्थान पर है.
सुधीर सिंह ने बताया कि वर्ष 2017 में तत्कालीन मुख्यमंत्री रघुवर दास ने दुमका में बने तसर सिल्क के कपड़ों की ब्रांडिंग की थी. इसका नाम मयूराक्षी सिल्क रखा गया. यहां सिल्क की साड़ी, सलवार सूट, जैकेट, बंडी, कुर्ता और भी बहुत सारी ड्रेस उपलब्ध हैं. हजारों किसान कोकून उत्पादन से जुड़े हैं जबकि करीब तीन सौ महिलाएं तसर का सूत निकालने और पोशाक तैयार करने के काम से जुड़ी हैं. जिसमें सहकारिता विभाग द्वारा दो सौ से अधिक महिलाओं को मयूराक्षी सिल्क आत्मनिर्भर समिति से जोड़ा गया है. अन्य को भी जोड़ने की प्रक्रिया जारी है. इधर, कामकाजी महिलाएं भी काफी खुश हैं क्योंकि उनके बनाये तसर के धागे और कपड़े पूरे देश में मशहूर हैं.