जयपुर.प्रदेश में स्ट्रीट डॉग्स का आतंक बढ़ता जा रहा है. वहीं एबीसी प्रोग्राम (आवारा कुत्तों की जनसंख्या घनत्व को कम करना) के अलावा नगरीय निकायों के हाथ भी बंधे हुए हैं. नतीजन प्रदेश भर से डॉग बाइटिंग के हर महीने कई मामले सामने आते हैं. अकेले राजधानी में बीते दो महीने में 1500 से ज्यादा डॉग बाइटिंग से घायल अस्पताल पहुंच चुके हैं. यही नहीं डॉग बाइट के कारण अलवर की 9 साल की मासूम मोनिका, बेगूं के 6 साल के मासूम आयुष ने दम तोड़ दिया है. ऐसे में अब डीएलबी (स्थानीय निकाय विभाग) लेवल पर सिस्टमैटिक लीगल फ्रेमवर्क तैयार किया जा रहा है.
एनिमल बर्थ कंट्रोल प्रोग्राम :विशेषज्ञों की मानें तो गर्मी के मौसम में डॉग बाइटिंग के मामले और बढ़ जाते हैं, जिन पर नकेल कसने के लिए एनिमल बर्थ कंट्रोल प्रोग्राम चलाया जा रहा है. हालंकि, कोई भी नगरीय निकाय स्ट्रीट डॉग्स को रीलोकेट नहीं कर सकता. इस संबंध में डीएलबी डायरेक्टर सुरेश कुमार ओला ने बताया कि डॉग बाइटिंग के केस संज्ञान में आए हैं, जिसमें बच्चों की मौत भी हुई है. एक जगह दो बच्चे स्ट्रीट डॉग से बचते हुए ट्रेन की चपेट में भी आए थे. ये दर्दनाक घटनाएं हैं. ऐसे में अब सिस्टमैटिक लीगल फ्रेमवर्क तैयार किया जाना है. इसके लिए डीएलबी की टीम काम कर रही है. एनिमल बर्थ कंट्रोल प्रोग्राम को भी व्यवस्थित करते हुए, इस तरह की घटनाओं पर नकेल कसने की प्लानिंग की जा रही है. जल्द ही इसका खाका तैयार कर सरकार को अप्रूवल के लिए भेजा जाएगा.