रायपुर :घर में जब नए मेहमान के रूप में बच्चे का जन्म होता है तो माता-पिता के साथ पूरा परिवार खुशियां मनाते हैं. ऐसे में माता-पिता अपने बच्चे के बेहतर स्वास्थ्य और बीमारियों से बचाव के लिए कुछ प्राचीन संस्कारों को अपनाते हैं. ताकि उनका बच्चा निरोगी रहे और बीमारियों से लड़ने में सक्षम रहे. इसीलिए हर पुष्य नक्षत्र तिथि में परिजन बच्चों को स्वर्णप्राशन कराते हैं.
स्वर्ण प्राशन क्या है ? :बच्चों को आयुर्वेदिक जड़ी बुटियों से निर्मित एक रसायन पिलाया जाता है, जिसे स्वर्णप्राशन कहा जाता है. स्वर्णप्राशन हर माह की पुष्य नक्षत्र तिथि में शून्य से 16 वर्ष के बच्चों को पिलाई जाने वाली औषधि है. यह औषधि बच्चों की रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने, श्वसन संबंधी और अन्य रोगों से रक्षा करने के साथ ही एकाग्रता और स्मरण शक्ति बढ़ाने में अत्यंत लाभकारी है. यह बच्चों के शारीरिक और मानसिक विकास में भी मदद करता है. स्वर्ण प्राशन संस्कार (Suvarnaprashan Sanskar), सनातन धर्म के 16 प्राचीन संस्कारो में से एक है, जो बच्चों में होने वाली मौसमी बीमरियों से भी रक्षा करता है.