लखनऊ : पंतनगर, रहीमनगर, इंद्रप्रस्थ नगर, अबरार नगर यहां रहने वाले लाखों लोग पिछले आठ दिन से ठीक से सोये नहीं हैं. पंतनगर की अनेक महिलाएं मुंह पर उंगली रखकर धूप में बैठी हुई हैं. उनके साथ में कुछ बच्चे भी हैं. किसी का दो मंजिल का मकान है किसी का तीन मंजिल का है. जब से मकान के आगे लाल निशान लगा है मानो सब कुछ लुटा हुआ सा महसूस हो रहा है.
ईटीवी भारत के सामने लोगों ने अपनी पीड़ा व्यक्त की. इलाके के लोगों ने अपने मकान के बाहर रजिस्ट्री की फोटोस्टेट कॉपी चस्पा कर दी है. साथ ही लोगों ने पोस्टर चस्पा किया है. सरकार से हम सभी का एक ही सवाल है अगर जिसमें लिखा है कि 'अगर हमारा मकान अवैध है, हमारे कागज अवैध हैं तो हमारा वोट भी अवैध है. हमारा पार्षद अवैध है, हमारा विधायक अवैध है. हमारे वोट से बना हुआ महापौर और संसद का पद भी अवैध है. इस वोट से चुने गए मुख्यमंत्री भी अवैध हैं.' यह नारे इन हजारों मकान के बाहर लिखे हुए हैं. एक ही आवाज गूंज रही है कि हमारी गलती क्या है? सारे वैध कागज होने के बावजूद हमारे मकान कैसे अवैध हो गए? उनका कहना है कि हम हर स्तर पर लड़ाई करेंगे. जीवन भर भारतीय जनता पार्टी को वोट देने के बाद आज हमको क्या हासिल हो रहा है?
इलाके की महिलाएं मौन व्रत रखकर धूप में बैठी हुई थीं. उनकी ओर से आंदोलन का नेतृत्व कर रहीं शिल्पी पंत का कहना है कि हम सब लगातार इस तरह से विरोध करते रहेंगे. हमारा सत्याग्रह है यह चलता रहेगा. कोई 35 साल से रह रहा है, कोई 15 साल से रह रहा है, कोई 20 साल से रह रहा है, अब हमारे मकानों को अवैध बताया जा रहा है.
अमन पांडेय बताते हैं कि मैं अपने बचपन से ही यहां रह रहा हूं, मेरे पिता ने यहां मकान बनवाया था. कुछ लोग 10 दिन पहले यहां सर्वे करने आए थे. कहा जा रहा है कि नदी से 50 मीटर की दूरी पर हमारे मकान हैं. इसलिए इन पर लाल निशान लगा दिए गए.