सरगुजा: जिले में मनरेगा के तहत मजदूरी का काम कर अपना गुजर बसर करने वाले ग्रामीण मजदूरी भुगतान के लिए तरस रहे हैं. मनरेगा में काम करने के बाद भी मजदूरों को पिछले तीन-चार माह से मजदूरी नहीं मिली है.ऐसा नहीं है कि ये स्थिति मनरेगा मजदूरों की सिर्फ सरगुजा में ही है बल्कि यही स्थिति पूरे प्रदेश में है. सिर्फ सरगुजा जिले में मजदूरों का 13 करोड़ रुपए बकाया है. वेतन भुगतान नहीं होने से ग्रामीण गांव छोड़कर शहर में काम की तलाश में भटकने को मजबूर हैं. बड़ी बात यह है कि मजदूरी भुगतान को लेकर अधिकारी भी कोई स्पष्ट जवाब नहीं दे पा रहे हैं.
काम के दिन को भी पहले से घटा दिया गया:दरअसल, मनरेगा के तहत ग्रामीण क्षेत्र में लोगों को गांव के भीतर ही काम उपलब्ध कराने का काम किया जाता है. ताकि ग्रामीणों को अपना गांव छोड़कर काम की तलाश में भटकना ना पड़े. इसके साथ ही मनरेगा ग्रामीण अर्थ व्यवस्था को मजबूत करने का एक अहम माध्यम भी है, लेकिन वर्तमान में सरगुजा जिले में मनरेगा को लेकर स्थिति अच्छी नजर नहीं आ रही है.
जिले में मनरेगा के तहत काम के दिन को भी पहले ही घटाया जा चुका है. पहले सरगुजा में 37 लाख 88 हजार कार्य दिवस का लक्ष्य दिया गया था, लेकिन इस बार इसे घटाकर 16 लाख 44 हजार काम दिवस कर दिया गया है. जिले में निर्धारित काम दिवस के तहत ग्रामीण क्षेत्रों में डबरी खोदाई, पीएम आवास निर्माण में मजदूरी सहित अन्य कार्य कराए जा रहे है. गांव में काम मिलने से ग्रामीण संतुष्ट थे, लेकिन वर्तमान में मनरेगा के तहत काम करने के बाद ग्रामीण मजदूरी भुगतान के लिए भटक रहे है.
जानिए क्या कहते हैं मजदूर: जिले के खैरबार के मजदूर करम साय कहते हैं कि, " मनरेगा हम लोगों के जीने का आधार है गांव में काम चलता है. हर मजदूर अपने ही गांव में मजदूरी कर के रोजी कमा लेता है. शहर या अन्य राज्यों में जाकर मजदूरी करने की जरूरत नहीं पड़ती है. पिछले 4 महीने से मजदूरी का पैसा नहीं मिल रहा है." वहीं, रामपुर गांव के रहने वाले मनरेगा श्रमिक शनि कहते हैं कि, "हम सब युवा पहले अम्बिकापुर में जाकर किसी ठेकेदार के अंडर में काम करते थे, लेकिन मनरेगा से गांव में ही काम मिल जाता है. बहुत अच्छी योजना है, लेकिन पिछले 4 महीने से मजदूरी भुगतान न होने से दिक्कत हो रही है."
मनरेगा के तहत जिले में लगातार कार्य हो रहे है. जैसे-जैसे राशि आती है, भुगतान किया जाता है. राशि आने पर पुनः भुगतान किया जाएगा.- नूतन कंवर, सीईओ जिला पंचायत
13 करोड़ से अधिक राशि बकाया:बताया जा रहा है कि सरगुजा में चुनाव के पहले 35 करोड़ 88 लाख 43 हजार 560 रुपये के मजदूरी का भुगतान हो गया है. जबकि 13 करोड़ 62 लाख रुपए मनरेगा के तहत मजदूरी भुगतान लंबित है. वहीं, मनरेगा के तहत निर्माण के लिए क्रय की गई सामग्री का 6 करोड़ 63 लाख 52 हजार रुपए का भुगतान भी लंबित है. मजदूरी भुगतान लंबित होने से ग्रामीणों की परेशानी बढ़ गई है. काम करने के बाद भी मेहनताना नहीं मिलने से ग्रामीण परेशान हैं. वहीं, जिला पंचायत की सीईओ ने राशि आने पर भुगतान की बात कही है.
सरगुजा में बीते चार माह से मनरेगा के तहत मजदूरी भुगतान नहीं हो रहा है. पहले जिले के कार्य दिवस को आधे से भी कम कर दिया और अब भुगतान नहीं किया जा रहा है. इससे मजदूरों का विश्वास टूटता है. वे मनरेगा को छोड़कर शहरी क्षेत्रों में काम की तलाश में भटकते हैं. आदिवसी क्षेत्रों में मजदूरी भुगतान नहीं होने और कार्य दिवस में कटौती का असर ग्रामीण क्षेत्रों में पड़ रहा है. -राकेश गुप्ता, जिला पंचायत सदस्य
सामान्य सभा में भी उठा मुद्दा :पिछले दिनों जिला पंचायत में हुई सामान्य सभा की बैठक के दौरान जिला पंचायत उपाध्यक्ष आदित्येश्वर शरण सिंहदेव ने भी इस मुद्दे को उठाया था. उन्होंने मजदूरी भुगतान नहीं होने को लेकर चिंता जाहिर की थी, लेकिन वर्तमान में मजदूरी भुगतान को लेकर कोई संकेत नजर नहीं आ रहे है. जिले में अक्टूबर, नवंबर, दिसंबर और जनवरी माह का मजदूरी भुगतान लंबित है. बताया जा रहा है कि प्रदेश स्तर पर ही मनरेगा के तहत मजदूरी का भुगतान लंबित है. यही स्थिति प्रदेश के अन्य जिलों में भी है. ऐसे में फिलहाल मजदूरों को मजदूरी भुगतान के लिए लम्बा इंतजार करना पड़ सकता है.
जिले में 125293 पंजीकृत जॉब कार्ड:वहीं, सरगुजा जिले में मनरेगा के तहत लाभ उठाने वाले हितग्राहियों के आंकड़ों पर नजर डालें तो जिले में कुल 125293 पंजीकृत जॉब कार्ड मौजूद है, जिनमें कुल पंजीकृत मजदूरों की संख्या 227226 है. इनमें से वर्तमान में सक्रिय जॉबकार्ड 99516 है, जिनमें सक्रिय मजदूरों की संख्या 172042 है. किसी भी एक परिवार के लिए एक जॉब कार्ड बनाया जाता है. उस जॉब कार्ड में परिवार के अन्य सदस्य पंजीकृत होते हैं. मनरेगा के तहत कुल 150 दिनों का काम एक जॉब कार्ड के माध्यम से मिलता है. इसमें से 100 दिनों के काम का भुगतान केंद्र सरकार करती है, जबकि 50 दिनों के काम का भुगतान राज्य सरकार को करना होता है. एक मजदूर को प्रतिदिन का 221 रुपए का मजदूरी भुगतान वर्तमान में किया जाता है.