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हिमाचल में 25 रुपए टॉयलेट शुल्क पर बवाल के बाद बैकफुट पर सरकार, सीएम बोले ऐसा कोई टैक्स नहीं, अब सामने आई विभाग की सफाई - HIMACHAL TOILET TAX

हिमाचल में टॉयलेट शुल्क लगाने के आदेश पर बवाल मचने पर सुक्खू सरकार बैकफुट पर आ गई. जिसके बाद यह आदेश वापस ले लिया गया.

By ETV Bharat Himachal Pradesh Team

Published : 5 hours ago

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Updated : 56 minutes ago

टॉयलेट शुल्क पर बवाल, बैकफुट पर सुक्खू सरकार
टॉयलेट शुल्क पर बवाल, बैकफुट पर सुक्खू सरकार (FILE)

शिमला: हिमाचल सरकार ने शहरी इलाकों में कुछ शर्तों के साथ टॉयलेट सीट पर 25 रुपए प्रति सीट प्रति माह शुल्क लगाया था. हिमाचल प्रदेश के जल शक्ति विभाग की तरफ से 21 सितंबर को जारी नोटिफिकेशन में ये दर्ज था कि शहरी इलाकों में जहां कोई प्रतिष्ठान जल शक्ति विभाग की सीवरेज लाइन का प्रयोग करता है, उसे 25 रुपए प्रति सीट प्रति माह शुल्क देना होगा. इसमें एक बिंदु ये था कि जो प्रतिष्ठान अपना वाटर सोर्स यूज कर रहे हैं, लेकिन सीवरेज सिस्टम सरकारी यानी जल शक्ति विभाग का है, उन्हें इस शुल्क का भुगतान करना होगा.

इस नोटिफिकेशन के बाद जब सोशल मीडिया पर हल्ला मचा तो सरकार बैकफुट पर आ गई. हालांकि इस शुल्क का बोझ बहुत कम लोगों या प्रतिष्ठानों पर पड़ना था, लेकिन हल्ला ऐसा मचा कि अब हिमाचल में टॉयलेट सीट यूज करने पर प्रतिमाह 25 रुपए शुल्क लगेगा.

25 रुपए टॉयलेट शुल्क को लेकर आदेश (जल शक्ति विभाग नोटिफिकेशन)
25 रुपए टॉयलेट शुल्क को लेकर आदेश (जल शक्ति विभाग नोटिफिकेशन)
केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण का कांग्रेस पर निशाना (निर्मला सीतारमण पोस्ट)

आलम ये हुआ कि केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने भी एक्स पर पोस्ट डाली. उसके बाद मची सियासी हलचल में सीएम सुखविंदर सिंह सुक्खू ने कहा कि टॉयलेट शुल्क जैसा कोई आदेश नहीं है. वहीं, जलशक्ति विभाग ने अपने सोशल मीडिया पन्ने पर भी एक स्पष्टीकरण जारी किया. अब बाकायदा सरकार के अतिरिक्त मुख्य सचिव (जल शक्ति विभाग) ओंकार शर्मा ने मीडिया में आकर स्थिति स्पष्ट की.

25 रुपए टॉयलेट शुल्क पर जल शक्ति विभाग की सफाई (ETV Bharat)

ओंकार शर्मा ने कहा कि जिस दिन यानी 21 सितंबर को ये अधिसूचना आई, उसी दिन इसे वापिस ले लिया गया. ओंकार शर्मा ने कहा, "21 सितंबर को जो अधिसूचना तैयार की गई थी, उसे डिप्टी सीएम के पास भेजा गया. डिप्टी सीएम मुकेश अग्निहोत्री के पास ही जल शक्ति विभाग भी है. डिप्टी सीएम का मानना था कि ये 25 रुपए टॉयलेट शुल्क वाली शब्दावली कुछ अजीब सी लग रही है. ऐसे में उसे वापस लिया गया और नई अधिसूचना तैयार की गई, जिसे जल्द ही अपलोड किया जाएगा".

ओंकार शर्मा ने कहा, "पहले ग्रामीण इलाकों में पानी का जो बिल आता था, उसे मई 2022 में तत्कालीन सरकार ने खत्म कर दिया था. अब ग्रामीण इलाकों में सौ रुपए प्रति कनेक्शन बिल लिया जाना तय किया गया है. वहीं, शहरी इलाकों में जो पानी के बिल आते हैं, उसका तीस फीसदी सीवरेज टैक्स पहले से ही लिया जा रहा है".

कैसे शुरू हुआ विवाद: दरअसल, हिमाचल प्रदेश में सुखविंदर सिंह सुक्खू के नेतृत्व वाली कांग्रेस सरकार ने ग्रामीण इलाकों में निशुल्क पेयजल की सुविधा को बंद कर दिया है. उसके बाद पानी की दरों को लेकर नई अधिसूचना जारी की गई थी. उसमें शहरी इलाकों में प्रति टॉयलेट सीट पर 25 रुपए मासिक शुल्क वसूलने के आदेश भी दिए गए. इस शुल्क का पैसा जल शक्ति विभाग को जाएगा. इस बारे में जल शक्ति विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव ओंकार शर्मा की तरफ से जो आदेश जारी किए गए हैं, उनके अनुसार शहरी इलाकों में जहां जल शक्ति विभाग का सीवरेज सिस्टम प्रयोग किया जा रहा है, वहां प्रति टॉयलेट सीट पर 25 रुपए शुल्क वसूला जाएगा. आदेश में कहा गया है कि कुछ प्रतिष्ठान खुद का पानी का सोर्स प्रयोग करते हैं, लेकिन सीवरेज सिस्टम जल शक्ति विभाग का प्रयोग कर रहे हैं, वहां प्रति सीट प्रति महीने 25 रुपए शुल्क लिया जाएगा.

विभाग की तरफ से जारी आदेश के अनुसार शहरी व पंचायती राज निकाय यदि राजस्व की उगाही में बेहतर प्रदर्शन करते हैं, तो उन्हें इन्सेंटिव भी दिया जाएगा. यदि रेवेन्यू कलेक्शन 75 फीसदी से 100 फीसदी के बीच रहे तो 15 फीसदी इंसेंटिव संबंधित शहरी निकाय या पंचायती राज संस्थान को दिया जाएगा. इसी तरह 50 फीसदी से अधिक लेकिन 75 फीसदी से कम रेवेन्यू कलेक्शन पर 10 फीसदी इंसेंटिव दिया जाएगा. यदि कलेक्शन पचास फीसदी से कम है तो इन्सेंटिव 5 फीसदी होगा.

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