वाराणसी : धर्म और आध्यात्मिक के साथ वाराणसी को मोक्ष की नगरी कहा जाता है. यहां पर मोक्ष के लिए लोग पहुंचते हैं और अपनी मृत्यु का इंतजार करते हैं. हालांकि कई ऐसे मामले भी सामने आए, जिसमें मोक्ष की चाहत में लोगों ने खुद जान दे दी. खास तौर पर दक्षिण भारत से आने वाले लोगों के साथ ऐसी घटनाएं ज्यादा सामने आईं. ऐसा ही मामला वाराणसी में मंगलवार को हुआ था. एसीपी भेलूपुर धनंजय मिश्रा का कहना है कि मामले की जांच की जा रही है. मौत की वजह स्पष्ट नहीं है. परिवार से बातचीत के बाद कुछ स्पष्ट हो सकेगा.
भेलूपुर थाना क्षेत्र के मानसरोवर स्थित आंध्र आश्रम के एक हॉस्टल में दो सगे भाइयों लक्ष्मी नारायण और विनोद ने आत्महत्या कर ली. हालांकि इस घटना में मौत की वजह से अब तक स्पष्ट नहीं हुई है. बहरहाल हॉस्टल मैनेजर यह मान रहे हैं कि अक्सर ऐसी घटनाएं वाराणसी में होती रहती हैं. पुलिस भी मामले की जांच कर रही है, लेकिन सवाल बड़ा है कि क्या वाकई में मोक्ष के लिए खुद की जान दे देना मोक्ष का सही रास्ता है या सिर्फ मन का भ्रम.
हॉस्टल के मैनेजर वीवी सुंदर शास्त्री का कहना है कि 28 अगस्त को दोनों भाई वाराणसी में दर्शन पूजन के लिए पहुंचे थे. हॉस्टल में मिलने वाले निशुल्क खाने का लाभ 5 सितंबर तक इन्होंने लिया. इसके बाद इन्होंने हॉस्टल के मेस में खाना नहीं खाया. काशी में मोक्ष की चाहत में दक्षिण भारत के लोगों के जान देने की टेंडेंसी आम है या कोई पहला मौका नहीं है. इसके पहले भी बनारस के अलग-अलग हॉस्टल गेस्ट हाउस और आश्रम में ऐसी घटनाएं सामने आ चुकी हैं.
अब से कुछ दिन पहले तेलंगाना के पति-पत्नी ने दो बच्चों के साथ सुसाइड कर लिया था. इस मामले में कर्ज से परेशान होने के बात सामने आई थी. इसके पहले 2020 में एक दक्षिण भारतीय व्यापारी ने भी मोक्ष की चाह में जान दे दी थी. यह बात उसने बाकायदा भगवान शिव के नाम एक चिट्ठी भी लिखी थी. दोनों भाइयों के सुसाइड को भी मोक्ष से जोड़कर देखा जा सकता है. वहीं परिवार के लोगों से भी फोन पर हुई बातचीत में वह भी आश्चर्य कर रहे हैं.