नई दिल्ली: मेघालय के पहाड़ियों पर पैदा होने वाली ‘लाकडोंग हल्दी’ की दिल्ली के बांसेरा पार्क में सफल खेती की गई है. उपराज्यपाल वीके सक्सेना ने इसकी जानकारी दी. इससे पहले दिल्ली में चंदन, चिनार, चेरी ब्लॉसम, ग्रीन एप्पल, वाटर एप्पल और अंगूर जैसे पौधों के सफल रोपण के बाद यह नया कदम उठाया गया है. इन पौधों ने दिल्ली के वनस्पति में विविधता जोड़ी है. इसके साथ ही ये मिथक भी तोड़ा है कि इस प्रकार के पौधे और पेड़ दिल्ली में नहीं उग सकते हैं.
एलजी विनय सक्सेना ने एक्स पर पोस्ट कर कहा, "खुशी की बात है कि मेघालय के जयंतिया हिल्स की प्रसिद्ध लखाडोंग हल्दी अब दिल्ली के यमुना बाढ़ क्षेत्र में बांसेरा में उगाई जा रही है. इस बेहतरीन गुणवत्ता वाली हल्दी को दिल्ली की जलवायु में उगाने का अभिनव कदम उठाया गया है. इसके परिणाम उत्साहजनक हैं. 80 प्रतिशत पौधे जीवित रह रहे हैं."
एलजी ने आगे बताया, "दिल्ली विकास प्राधिकरण (डीडीए) ने मेघालय से 500 किलोग्राम हल्दी के बीज मंगवाए और बांसेरा में घने बांस के झुरमुटों के नीचे इसे लगाया है. इस क्षेत्र में 30,000 से अधिक बांस के पौधे हैं. जो हल्दी की वृद्धि के लिए अनुकूल वातावरण प्रदान कर रहे हैं. इस हल्दी को जून 2024 में लगाया गया था और इसकी पहली फसल जनवरी 2025 में मिलने की उम्मीद है."
लाकडोंग हल्दी की विशेषताएं:लाकडोंग हल्दी एक विशेष हल्दी है. इस हल्दी को मेघालय की पहाड़ियों में उगाया जाता है. भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद के अनुसार लाकडोंग हल्दी में अन्य प्रकार की हल्दी की तुलना में अधिक करक्यूमिन पाया जाता है, जिसकी मात्रा 7 प्रतिशत से ज्यादा होती है. वहीं, हल्दी अन्य किस्मों में इसकी मात्रा 2-3 प्रतिशत तक होती है. इस उच्च करक्यूमिन सामग्री से लखाडोंग हल्दी की मांग लगातार बढ़ रही है. इस हल्दी की दिल्ली में सफल खेती से न सिर्फ शहर की कृषि संभावनाओं का विस्तार होगा. इसके साथ ही इसे भविष्य में एक नई पहचान भी मिलेगी.
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