देवघर: सफलता एक दिन में नहीं मिलती है, इसके लिए सतत प्रयत्नशील रहने की जरूरत होती है. भले ही झारखंड प्रदेश की गिनती गरीब राज्य के रुप में की जाती है. फिर भी यहां के लोगों का जुनून ही है कि वे विषम परिस्थिति में भी हार नहीं मानते और अपने आप को इन समस्याओं से उबार ही लेते हैं. कुछ इसी प्रकार से आम किसान से सफल किसान बने हैं, देवघर के रामनाथ सिंह.
झारखंड के आदिवासियों के लिए खेती सबसे बड़ी आय की स्रोत मानी जाती है. लेकिन संसाधन और साधन की कमी के कारण खेती कर रहे लोगों को भी अच्छी आय का उपार्जन नहीं हो पा रहा है. ऐसे में जरूरत है स्मार्ट सोच की, जिससे विषम परिस्थिति को हराकर परंपरागत तरीकों से ऊपर उठकर काम करने की. कुछ ऐसा ही करके दिखाया है, झारखंड के देवघर जिले के करौ ब्लॉक स्थित रानीडीह गांव के रहने वाले रामनाथ सिंह नाम ने. रामनाथ ने अपनी मेहनत और सकारात्मक सोच से यह साबित किया कि अगर व्यक्ति में जज्बा और जुनून हो तो वह बालू से भी तेल निकाल सकता है. रामनाथ सिंह ने अपने गांव में बंजर पड़ी जमीन पर आम बागवानी नामक सरकारी योजना का लाभ लेकर आज एक सफल किसान के रूप में काम कर रहे हैं.
बागवानी योजना ने बदली जिंदगी
रामनाथ सिंह भी अन्य किसानों की तरह हमेशा ही आर्थिक तंगी की समस्या से जूझते रहते थे. लेकिन वर्ष 2018 में उन्होंने आम की बागवानी की योजना के माध्यम से अपनी बंजर जमीन पर खेती शुरू की. वहां पर उन्होंने आम, महुगुना, सागवान, शीशम जैसे पेड़ों को लगाया. शुरुआत के दिनों में सरकार के निरीक्षण में उन्होंने बागवानी की. सरकार की तरफ से मनरेगा के तहत रामनाथ सिंह को मजदूरी पौधा और अन्य संसाधन मुहैया कराए गए. जब रामनाथ सिंह का बगान फल-फूल गया तो सरकार ने उन्हें बागवानी की पूरी जिम्मेदारी दे दी.
किसान रामनाथ सिंह बताते हैं कि जब से उन्होंने अपनी बागवानी शुरू की तब से उनकी आर्थिक स्थिति भी मजबूत होती चले गई. वह साल में लाखों रुपए बागवानी से कमा लेते हैं. बागवानी की कमाई से उन्होंने अपना घर बनाया और आज अपने परिवार को अच्छी तरह से पालने में भी सक्षम हो गये हैं. आज रामनाथ सिंह करौ ब्लॉक में पूरे किसान समाज के लिए मिसाल हैं. रामनाथ सिंह की सफलता को देखने के बाद गांव के युवा भी अब खेती की तरफ आकर्षित हो रहे हैं.
खेती की ओर बढ़ रहा युवाओं का रूझान