रायपुर : जयपुर की यूनिवर्सिटी से बीटेक की पढ़ाई कर रहे एक युवा ने पिता की मौत के बाद कुछ ऐसा किया, जिससे आज वो कामयाब बिजनेसमैन बन चुका है. इस युवा का नाम अनिकेत टंडन है. अनिकेत का सपना ऑफिसर बनने का था. लेकिन किस्मत को कुछ और ही मंजूर था. जब अनिकेत अपनी पढ़ाई कर रहा था तो उसके पिता की मौत हो गई. उस वक्त अनिकेत की उम्र 19 साल थी.
पिता की मौत के बाद अनिकेत अपनी पढ़ाई छोड़कर वापस रायपुर आ गया. इसी के साथ अनिकेत के कंधों पर परिवार की जिम्मेदारी भी आ गई. घर पर मां और छोटे भाई की जिम्मेदारी अनिकेत पर थी. फिर बिजनेस करने का मन बनाया, लेकिन अनिकेत के पास पैसा नहीं था. लिहाजा उन्होंने प्रधानमंत्री रोजगार सृजन कार्यक्रम के माध्यम से 25 लाख का लोन लिया. इसके बाद जो अनिकेत ने किया, वो किसी करिश्मे से कम नहीं है. लेकिन इससे पहले कि हम आपको अनिकेत के बिजनेस के बारे में बताएं, आईए जानते हैं अनिकेत की सफर कैसा था.
अनिकेत की सफलता की कहानी :ईटीवी भारत के साथ खास बातचीत के दौरान अनिकेत टंडन ने बताया कि मैंने स्कूल की पढ़ाई रायपुर में की. साइंस मैथ्स से बारहवीं पास की. 12वीं परीक्षा पास करने के बाद जयपुर यूनिवर्सिटी में बीटेक के लिए एडमिशन लिया था. पढ़ाई के साथ-साथ यूपीएससी की तैयारी भी कर रहा था. लेकिन इसी बीच साल 2020 में पिता की मौत हो गई.इसके बाद घर की सारी जवाबदारी मुझ पर आ गई. मेरे घर में मेरी मां और मेरा एक छोटा भाई था.
उस समय मेरी उम्र लगभग 19 साल रही होगी. इसके बाद मैंने वहां की पढ़ाई छोड़ दी और वापस रायपुर आ गया.उस समय मुझे कुछ समझ नहीं आ रहा था कि क्या करूं. इसके बाद रायपुर में प्राइवेट यूनिवर्सिटी से बीए की पढ़ाई के लिए अप्लाई किया. इस दौरान मुझे समझ में आया कि अब मैं यूपीएससी नहीं कर पाऊंगा और फिर पढ़ाई के साथ-साथ कुछ जॉब करने का विचार किया.लेकिन कोई जॉब नहीं मिला. फिर मैंने खुद का काम यानी बिजनेस करने का विचार किया.- अनिकेत टंडन, युवा उद्यमी
फूड बिजनेस करने का आया आइडिया :बिजनेस के लिए पूंजी की जरूरत होती है ,जो मेरे पास नहीं थी. फिर ऐसे में आगे क्या करें, इसकी चिंता मुझे सता रही थी.अनिकेत ने बताया कि उन्होंने बिजनेस शुरु करने के लिए मार्केट रिसर्च किया. इस दौरान कई तरह के बिजनेस की जानकारी आई. इसके लिए बहुत ज्यादा पैसे की जरूरत थी. पैसे हमारे पास नहीं थे. तभी रिसर्च के बाद पता चला कि कोई ऐसा बिजनेस करना चाहिए, जो 12 महीना चले. यह सिजनेबल नहीं होना चाहिए. जिसमें सिर्फ खाने का कोई आइटम ही है, जो हर महीने चल सकता है, इसलिए फूड सेक्टर में काम किया. उसमें भी आखिर किस चीज का काम किया जाए, रिसर्च में यह सोचा कि ऐसी चीज बनाएं जो ब्रांड भी बन जाए और उस काम को बहुत कम लोग यहां कर रहे हों. यह रिसर्च 2021 में शुरू किया था. लगभग 6-7 महीने रिसर्च किया. पूरे छत्तीसगढ़ में घूम घूमकर फीडबैक लिया.
रिसर्च में सामने आई सच्चाई :रिसर्च के बाद पता चला कि लोग जो चिप्स से पैकेट खरीदते हैं , उसमें आधा आलू भी नहीं आता है. उसमें केमिकल का इस्तेमाल किया जाता है. उसे खाने के बाद में बच्चों का पेट खराब हो जाता है. यह अच्छा नहीं है. ये फीडबैक लोगों से मिला. यह भी पता चला कि नए मसाले नहीं आ रहे हैं, वही स्वाद लगातार मिल रहा है. हमने अपने टीम से बात किया कि इसमें आगे क्या कर सकते हैं. एक सवाल उठा कि पहले भी लोग काफी आलू खाते थे, लेकिन उनका पेट खराब नहीं होता था. अब ऐसा क्या है कि जरा सा आलू खाने के बाद पेट खराब हो रहा है तो पता चला कि पैकेट के अंदर जो केमिकल इस्तेमाल किया जा रहा है, उसकी वजह से लोगों के स्वास्थ्य पर बुरा असर पड़ रहा है.
नैचुरल चिप्स बनाने की ठानी :अनिकेत ने रिसर्च के बाद नैचुरल चिप्स बनाने का प्लान किया, जो स्वास्थ्य के लिए लाभदायक भी हो और किसी तरह का उसमें केमिकल भी ना हो. इस बीच में 6 महीने क्या बिजनेस करना है, यह रिसर्च किया और उसके बाद डेढ़ साल कैसे बिजनेस करना है, वह रिसर्च किया. इसके बाद टीम ने यम्मी पोटैटो चिप्स लॉन्च किया. अनिकेत बताते हैं कि पहले हम मार्केट से चिप्स लेकर आते थे, उसमें होममेड मसाला मिलाकर पैकिंग कर मार्केट में बेचने जाते थे. इसके अलावा अलग अलग जगह पर स्टाल भी लगाते थे. इस दौरान हम लोगों को फ्री में भी चिप्स टेस्ट कराते थे और उनका फीडबैक लेते थे कि चिप्स में क्या कमी है, क्या किया जा सकता है. लगभग एक लाख लोगों से फीडबैक लिया गया और इस फीडबैक से हमें मॉटिवेशन मिला. इस तरह लगभग डेढ़ साल तक हमने इस प्रोडक्ट की मार्केटिंग की. उस दौरान हम लूज पैकिंग का इस्तेमाल करते थे. बाद में फिर हमने 5 रुपए पैकेट लॉन्च करके डिस्ट्रिब्यूशन पर ध्यान दिया.हर जिले में एक व्यक्ति रखकर काम किया.