नई दिल्ली:दुनियाभर में आज अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस मनाया जा रहा है. महिलाओं के विकास और उत्थान के लिए हर साल देश दुनिया में इस दिन खास कार्यक्रम किये जाते हैं और देश की बहादुर महिलाओं को सम्मानित किया जाता है. महिला दिवस पर आज मिलिये दिल्ली की लेडी सिंघम से, जिन्होंने जीबी रोड की बदनाम गलियों में रह रही महिलाओं को आत्मरक्षा के गुर सिखाये.
सब इंस्पेक्टर किरण सेठी, जो जीबी रोड स्थित महिला पुलिस चौकी की इंचार्ज हैं. ये लोगों के बीच लेडी सिंघम के नाम से मशहूर हैं. जूडो में ब्लैक बेल्ट किरण सेठी, अब तक 10 लाख से अधिक महिलाओं और लड़कियों को आत्मरक्षा के गुर सिखा चुकी हैं. साल 2015 में महिला दिवस के अवसर पर तत्कालीन गृह मंत्री राजनाथ सिंह ने उन्हें 5,000 हजार लड़कियों को सेल्फ डिफ़ेंस की ट्रेनिंग देने के लिए सम्मानित किया था.
दिल्ली में पली-बढ़ी किरण ने 19 साल की उम्र में 12वीं पास की. इसके बाद वह दिल्ली पुलिस में 1987 में बतौर सिपाही भर्ती हुईं. उन्होंने दिल्ली के जीसस एंड मैरी कॉलेज से ग्रेजुएशन करने के बाद एमएसडब्ल्यू किया है. इसके अलावा ह्यूमन राइट्स में पीजी करने के साथ ब्रांड कास्टिंग में डिप्लोमा और वाईएमसीए से मास कम्युनिकेशन की भी पढ़ाई की है. इस साल 26 जनवरी को गणतंत्र दिवस की परेड में भी उन्हें शामिल होने का अवसर मिला था.
अवॉर्ड्स:किरण सेठी को 2016 में दिल्ली महिला आयोग के द्वारा 'लाइफ टाइम अचीवमेंट', 2018 में 'आई वूमेन ग्लोबल अवार्ड', 2019 में 'रक्षक अवार्ड', 2020 में राष्ट्रपति पुलिस पदक और इसके पहले 1999 में दिल्ली पुलिस की तरफ से असाधारण कार्य पुरस्कार से सम्मानित किया गया था. किरण सेठी किक बॉक्सिंग खिलाड़ी भी रह चुकी हैं. उन्होंने 1999 में भारत का प्रतिनिधित्व किया था. इस प्रतियोगिता में उनको दूसरा स्थान मिला था. किरण सेठी कहती हैं कि समाज सेवा ही उनकी जिंदगी का लक्ष्य है. वह चाहती हैं कि मरते दम तक लोगों की सेवा करें. महिला दिवस के मौके पर ईटीवी भारत ने उनसे खास बातचीत की.
सवाल : अभी तक आप कुल कितनी महिलाओं और लड़कियों को आत्मरक्षा का प्रशिक्षण दे चुकी हैं?
जवाब : मैंने अभी तक 10,42,500 महिलाओं, लड़कियों, बच्चियों और दिल्ली पुलिस के जवानों को सेल्फ डिफेन्स की ट्रेनिंग दी है. इसमें स्कूल, कॉलेज के अलावा दिल्ली के सभी बड़े अस्पताल, एमएनसी, सीबीआई में कार्यरत महिलाएं भी हैं. इसके अलावा दृष्टि बाधित, मूक बधिर, मानसिक अशक्त बच्चों को भी आत्म रक्षा के गुर सिखाये हैं. साथ ही झुग्गियों में रहने वाली महिलाओं और बच्चों व वृद्ध महिलाओं को भी आत्मरक्षा करना सिखाया है. हमने अक्सर देखा है जिस परिवार में माता पिता दोनों नौकरी करते हैं, उनके बच्चों की देखभाल ज्यादातर घरेलू महिला कामगार करती है. वह सुबह जल्दी घर से आती हैं और देर रात घर वापस जाती हैं. इस बीच मालिक के बच्चों के परिवार की पूरी जिम्मेदारी उनकी होती है. यही सोचते हुए मैंने कई घरेलू कामगारों को भी यह ट्रेनिंग दी है. मेरा मानना है कि आत्मरक्षा महिला की सबसे बड़ी ताकत है. इसी सोच के साथ में इस काम को बढ़ चढ़ कर रही हूं और आगे भी करती रहूंगी.
सवाल : आपने सेल्फ डिफेन्स की ट्रेनिंग कहां से ली थी?
जवाब:स्कूली दिनों में ही मैंने सेल्फ डेफिन्स की ट्रेनिंग लेनी शुरू कर दी थी. इसके बाद कॉलेज के समय भी मैंने अपने टीचर शिव कुमार कोली जी से ट्रेनिंग लेना जारी रखा. 1987 में मेरी भर्ती दिल्ली पुलिस में हुई तब मैं ट्रेनिंग लेती भी थी और महिलाओं को सिखाती भी थी. मैं दिल्ली पुलिस की पहली महिला पुलिसकर्मी हूं, जो दिल्ली पुलिस के जवानों को भी आत्मरक्षा के गुर सिखा चुकी हूं.
सवाल : आप दिल्ली के रेड लाइट एरिया के महिला थाने की इंचार्ज हैं. अभी तक आपने कितनी महिलाओं को इस दलदल से मुक्त कराया है ?
जवाब: इस थाने को बने अभी एक महीना ही हुआ है, इससे पहले मैं कमला नगर थाने में पोस्टेड थी. जब मुझे यहां का डिवीजन अफसर बनाया गया, तब कुछ लड़कियों ने जीबी रोड से निकलने की बात कही, लेकिन उनके पास बाहर निकले का कोई रास्ता नहीं है. न ही कोई उनकी मदद कर रहा है. उनके मन में ये डर भी था कि अब समाज और परिवार उनको स्वीकार नहीं करेंगे. इसी वजह से वो बाहर निकलने की हिम्मत नहीं जुटा पा रही थी. तब मैंने देह व्यापार से जुड़ी लड़कियों को काउंसलिंग और दिल्ली पुलिस के सीनियर अफसरों से बात कर उन्हें स्किल डेवलेपमेंट की ट्रेनिंग दिलवानी शुरू की. इसके बाद 2020 में दो लड़कियों ने वहां से निकलने का फैसला लिया. अभी वो अच्छी कंपनियों में काम कर रही हैं और सम्मान का जीवन व्यतीत कर रही हैं.
सवाल : किस तरह की स्किल डेवलपमेंट ट्रेनिंग दी गयी और क्या अभी भी ट्रेनिंग दी जा रही है ?
जवाब :जी हां, आज भी देह व्यापार का काम करने वाली लड़कियों को स्किल डेवलपमेंट और सेल्फ डिफेन्स की ट्रेंनिंग दी जाती है. इसमें सिलाई मशीन चलाना, मिट्टी के दीपक बनाना, लिफाफे बनाना, आदि गुर सिखाए जाते हैं. शुरुआती समय में चित्रकला का परीक्षण भी दिया गया. कई बार उनके द्वारा बनाए सामान को बाज़ारों में सेल किया गया. जो भी रकम आती है उसको सभी में बांटा गया. समझाया जाता है कि देह व्यापार छोड़कर इस तरह के काम कर के भी आजीविका चलाई जा सकती है.