लखनऊ: प्रदेश के निजी विद्यालयों में शिक्षा के अधिकार अधिनियम के तहत 25% सीटों पर होने वाले निशुल्क प्रवेश की शुल्क प्रतिपूर्ति को लेकर प्राइवेट स्कूल एसोसिएसन महानिदेशक स्कूल शिक्षा को पत्र लिखकर शुल्क प्रतिपूर्ति की दर 3500 रुपए करने की मांग की है.
शिक्षा विभाग में इसे लेकर मंथन चल रहा है. अभी निजी स्कूलों में आरटीई के तहत प्रवेश के नाम पर मिलने वाली प्रतिपूर्ति बहुत कम है. वहीं, निजी स्कूल असोसिएशन ने प्रतिपूर्ति की रकम को 450 रुपये से बढ़ाकर 3500 रुपये करने की मांग की है.
अनएडेड प्राइवेट स्कूल्स एसोसिएशन यूपी के अध्यक्ष अनिल अग्रवाल ने आरटीई प्रतिपूर्ति पर रखी अपनी बात. (Video Credit; ETV Bharat) अनएडेड प्राइवेट स्कूल्स एसोसिएशन यूपी के अध्यक्ष अनिल अग्रवाल ने बताया कि आरटीई के तहत स्कूलों को पिछले 11 साल से 450 रुपये प्रतिपूर्ति के रूप में मिल रहे हैं. उन्होंने महानिदेशक को पत्र लिखकर आरटीई प्रतिपूर्ति के रूप में प्रत्येक बच्चे पर 3000 रुपये और जूनियर सेक्शन में पहुंचने पर 3500 रुपये प्रतिपूर्ति देने की मांग की है.
उन्होंने बताया कि बेसिक शिक्षा परिषद अपने विद्यालय में पढ़ने वाले बच्चों पर पूरे साल में औसतन 36000 रुपए एक बच्चे पर खर्च करता है. ऐसे में शिक्षा के अधिकार अधिनियम के तहत मिलने वाली शुक्ला प्रतिपूर्ति काफी कम है. वहीं, विभागीय अधिकारियों के मुताबिक शिक्षा विभाग में प्रतिपूर्ति बढ़ाने को लेकर मंथन चल रहा है.
सत्र 2024-25 में निजी विद्यालयों को बढ़ी हुई प्रतिपूर्ति दी जाएगी. अधिकारियों की मानें तो विभाग की ओर से एक से लेकर 5वीं कक्षा तक 1200 रुपय प्रतिपूर्ति और कक्षा 6 से 8 तक 1500 रुपये प्रतिपूर्ति का प्रस्ताव तैयार हुआ है. अभी प्रस्ताव पर मुहर लगना बाकी है.
आरटीई के क्या हैं नियम:आरटीई (शिक्षा का अधिकार नियम) के तहत शहर के निजी स्कूलों में बच्चों को प्रवेश मिलता है. यह बच्चे पहली कक्षा में प्रवेश लेकर 8वीं तक नि:शुल्क शिक्षा ग्रहण करते हैं. इन बच्चों की प्रतिपूर्ति सरकार द्वारा आरटीई एक्ट के तहत होती है. आरटीई कानून धारा12 (2) एवं रूल 8(2) के मुताबिक निजी विद्यालयों की फीस या सरकारी स्कूल में प्रति छात्र होने वाला व्यय, में से जो भी राशि कम है, उस धनराशि का भुगतान निजी विद्यालयों को प्रतिपूर्ति के रूप में दिया जाएगा.
विभाग एक बच्चे पर होने वाला व्यय करे जारी:अनिल अग्रवाल ने बताया कि बेसिक शिक्षा विभाग में मिड-डे-मील से लेकर बच्चों को मिलने वाली तमाम सुविधाओं को मिलाकर एक बच्चे पर प्रतिवर्ष तकरीबन 36 हजार रुपये तक का खर्च आ रहा है. एसोसिएशन पिछले 8 सालों से विभाग से मांग कर रहा है कि स्कूल में प्रतिवर्ष एक बच्चे पर क्या खर्च आ रहा है? लेकिन विभाग जवाब नहीं दे रहा है.
वहीं, स्कूलों का फीस स्ट्रक्चर वेबसाइट पर है. विभाग भी अपना खर्च जारी करें वहीं, निजी स्कूलों में रूरल और अर्बन एरिया में फीस स्ट्रक्चर अलग-अलग ऐसे है. ऐसे में विभाग खर्च बताएं और प्रतिपूर्ति करते समय विद्यालय की फीस को देखते हुए जो कम हो, उस हिसाब से प्रतिपूर्ति करें.
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