बिलासपुर :जूना बिलासपुर इलाके में रहने वाली सोनकली निषाद एक ऐसी महिला है,जिन्होंने अपनी जिंदगी में संघर्ष देखा है. लेकिन संघर्षों से पार पाकर आज वो कामयाब मां, पत्नी, और सफल होटल व्यवसायी हैं. सोनकली का जीवन अंधेरे से उजाले तक लाने में उनकी पाककला का योगदान है. उनके पाक कला ने उन्हें आज वो सबकुछ दिया,जिसके बारे में वो कभी सपने में सोचती थी. आईए बताते हैं आखिर सोनकली निषाद के पास वो कौन सा हुनर है.
कौन हैं सोनकली निषाद ?:25 साल पहले इलाहाबाद में रहने वाले आसाराम निषाद और सोनकली निषाद बिलासपुर आए. परिवार में गरीबी थी,इसलिए कमाने के लिए पलायन किया.बिलासपुर में आकर सोनकली अपने पति के साथ गुपचुप का ठेला लगाती.लेकिन ठेले से इतनी कमाई नहीं होती,जिससे बच्चों की परवरिश हो सके.फिर भी दोनों ने मिलकर दिन रात मेहनत किया.इसी दौरान सोनकली ने अपने छोटे बेटे के लिए आलू के पराठे बनाएं. ये पराठे इतने स्वादिष्ट थे कि बेटा हर बार इसकी डिमांड करता. इस दौरान बेटे ने मां को सलाह दी कि वो पराठे की दुकान खोले.बस यही से सोनकली की किस्मत ने पलटी मारी.
पराठे बनाने के हुनर ने बदला जीवन :सोनकली और उनके बेटे ने बैंक से लोन लेकर पराठे की दुकान डाली.इसके बाद पूरा परिवार मिलकर इस दुकान में दिन रात मेहनत करने लगा.धीरे-धीरे करके सोनकली के पराठे इलाके में फेमस हो गए. जब ग्राहक बढ़े तो पति ने पराठे तैयार करने का सामान बनाना शुरु किया और सोनकली सिर्फ पराठे बनाती.समय की बचत होने के साथ सोनकली आलू के साथ गोभी,मूली और मिक्स पराठे बनाने लगी. आज सोनकली 120 किस्म के पराठे बनाती हैं.इनके पराठों को खाने के लिए लंबी लाइन लगती है.