जोधपुर: बासनी थाना क्षेत्र में मंगलवार को भरी दोपहर में गोली मारकर की गई सुभाष विश्नोई की हत्या के आरोपियों तक पुलिस अभी नहीं पहुंची है. सुभाष के चाचा चैनाराम ने इस हत्या के लिए जितेंद्र पुत्र पप्पाराम, पप्पाराम पुत्र पोकरराम, नेमीचंद पुत्र भीकाराम व दो अन्य युवकों के खिलाफ मामला दर्ज करवाया है. पुलिस ने घटना के बाद जितेंद्र को दबोचने के लिए दबिश दी, तो पता चला कि वह गायब हो गया. थानाधिकारी शफिक अहमद का कहना है कि संभवत आपसी रंजिश में हुई इस हत्या में इस बार दूसरा परिवार सीधे तौर पर शामिल नहीं हुआ. उसने किसी ओर से सुपारी देकर हत्या करवाई है. डीसीपी राजर्षि वर्मा का कहना है कि हमारी टीमें हत्यारों की तलाश कर रही हैं. एक आरोपी की पहचान की गई है.
1970 में जोधपुर शहर बहुत छोटा था. तब डांगियावास थाना नहीं हुआ करता था. महामंदिर थाने का हलका वर्तमान डांगियावास तक लगता था. इसी क्षेत्र के गांव खेडी सालवा में चतुराराम व थानाराम के परिवार पड़ोसी थे. सबकुछ सही चल रहा था, लेकिन जमीनी विवाद हुआ तो बात हाथापाई हो गई. थानाराम ने लाठी से चतुराराम पर वार किया, तो उसकी मौत हो गई. जिसके फलस्वरूप थानाराम जेल भी गया. इस घटना के 23 साल बाद 1993 में जन्मे अनिल लेगा को जब पता चला कि उसके दादा का हत्यारा बाहर घूम रहा है, तो उसने ठान लिया कि वह बदला लेगा. जिसके चलते 48 साल बाद 25 साल की उम्र में 15 अगस्त, 2018 को अनिल ने अपने दादा के हत्यारे थानाराम की गोली मार कर हत्या कर दी. इसके बाद दोनों परिवार एक-दूसरे के खून के प्यासे हो गए. यह इस रंजिश में दूसरी हत्या थी.
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6 साल बाद मौका मिलते ही अनिल को मारा: थानाराम की हत्या के बाद उसके बेटों और पोतों ने इसे मूंछ का सवाल बना लिया कि हम भी दादा की मौत का बदला लेंगे. अनिल लेगा पुत्र पप्पाराम को पुलिस ने जेल भिजवा दिया. लेकिन थानाराम के परिवार वाले हमेशा मौके की तलाश में रहते थे. जमानत पर आए अनिल ने गांव खेड़ी आना ही छोड़ दिया. वह जोधपुर में ही रहता था. 18 जनवरी, 2024 को जब अनिल अपने मित्र सुनील लोल की शादी सभा में गांव आया, तो वहां पर थानाराम के परिवार के लोग भी थे. अनिल की गाड़ी के सामने थानाराम के पौते विष्णु विश्नोई व नाबालिग सुभाष विश्नोई ने गाड़ी लगा दी. अनिल जब नीचे उतरा, तो विष्णु ने उसकी कनपटी में गोली मार दी. अनिल के भाई जितेंद्र पुत्र पप्पाराम ने विष्णु और सुभाष मामला दर्ज करवाया था. पुलिस ने 19 साल के विष्णु को जेल और नाबालिग भाई सुभाष को बाल सुधार गृह भेजा था. यह तीसरी मौत थी.