रांचीः राजधानी रांची में सड़क हादसों में अचानक वृद्धि हुई है. पिछले 5 महीने के ही दौरान केवल रिंग रोड पर ही अलग-अलग हादसों में 116 से ज्यादा लोगों की मौत हो गई है. जबकि पूरे शहर में 5 महीने में 238 से ज्यादा लोग सड़क हादसों में अपनी जान गंवा चुके हैं.
रांची में पांच महीने में 350 सड़क हादसों में 238 लोगों की मौत
राजधानी रांची में सड़क हादसों में लगातार लोगों की जान जा रही है. सड़क सुरक्षा समिति के आंकड़े बेहद चौंकाने वाले हैं. साल 2024 के जनवरी से लेकर अगर हम मई महीने तक की बात करें तो 350 सड़क हादसों में 238 लोग अपनी जान गंवा चुके हैं, जबकि 400 से ज्यादा घायल हुए हैं.
जनवरी से लेकर मई तक रांची में सड़क हादसों का आंकड़ा
जनवरी महीने में 76 सड़क हादसों में कुल 57 लोगों की जान चली गई, फरवरी महीने में 60 सड़क हादसों में कुल 45 लोगों की मौत हो गई , मार्च महीने में 58 सड़क हादसों में 48 लोगों की जान चली गई, अप्रैल महीने में 73 सड़क हादसों में 48 लोगों की मौत हो गई, वहीं मई महीने में 55 सड़क हादसे हुए हैं, जिसमें 46 लोगों की मौत हो गई. साल की शुरुआत के 2 महीने जनवरी और फरवरी में ड्रंक एंड ड्राइव की वजह से सड़क हादसे बहुत ज्यादा सामने आते हैं, लेकिन इस बार मार्च-अप्रैल और मई महीने में भी सड़क हादसों का सिलसिला नहीं थमा.
रांची के रिंग रोड पर सबसे अधिक हादसे
रांची के सड़क सुरक्षा कार्यालय से मिली जानकारी के अनुसार केवल रांची रिंग रोड पर ही पांच महीने के भीतर 118 लोगों की मौत हुई है. जिन लोगों की मौत रिंग रोड पर हुई है उनमें अधिकांश की उम्र 18 से लेकर 30 साल के बीच की थी. अधिकांश बेहद तेज गति से गाड़ी चलाते हुए हादसे का शिकार हुए हैं. रांची के रोड सेफ्टी मैनेजर मो जमील के अनुसार सबसे अधिक सड़क हादसे बेहतरीन सड़कों पर हुए हैं. जिनमें रांची का रिंग रोड और रांची-टाटा रोड शामिल है. हाल के दिनों में इन सड़कों को बेहतर किया गया है. जिसके बाद इन सड़कों पर वाहनों की रफ्तार काफी तेज हो गई है.
रफ्तार और हेलमेट नहीं पहनना मौत का सबसे बड़ा कारण
खासकर युवा हाई स्पीड बाइक चलाते हैं. ऐसी बाइक 200 सीसी इंजन से शुरू होती है. हाई स्पीड इंजन वाली बाइक को चलाना जितना आसान है, उतना ही मुश्किल इसे आपात स्थिति में संभालना होता है. बाइक में लगे ट्विन डिस्क ब्रेक के कारण अक्सर युवा दुर्घटना के शिकार हो रहे हैं. दूसरा कारण यह है कि आज के युवा किसी भी कीमत पर हेलमेट नहीं पहना चाहते हैं. जितने भी सड़क हादसों में युवाओं की जान गई है, उनमें से अधिकांश ने हेलमेट नहीं पहना था.